Read this article in Hindi to learn about Dicey’s view on administrative law.
विधि या कानून के शासन से तात्पर्य है इच्छा के स्थान पर कानून द्वारा शासन । यह ब्रिटिश शासन की परम्परा है और वही अपने वास्तविक अर्थ में कतिपय मौजूद है, यद्यपि प्रत्येक देश में शासन का मूलाधार विधि का शासन ही होता है । डायसी इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध विधि व्यक्ता हुए हैं । उनके अनुसार प्रशासनिक विधि, विधि के शासन का उल्लंघन है ।
विधि का शासन- डायसी का मत (Rule of Law-Vote of Dicey):
लार्ड हेवार्ट के अनुसार विधि के शासन का अर्थ निरंकुशता के स्थान पर कानून की श्रेष्ठता और सर्वोच्चता है । वस्तुतः कानून का शासन एक ”सामान्य कानून” के अनुसरण पर जोर देता है, जिसके तहत सभी व्यक्ति चाहे राजा हो या रंक, अमीर हो या गरीब, सरकारी व्यक्ति हो या गैर सरकारी, एक समान कानूनों से एक ही न्यायालय द्वारा शासित होते हैं । इसका आशय यह भी है कि प्रचलित विधि का उल्लंघन करने पर ही व्यक्ति को दण्डित किया जाएगा ।
प्रो. डायसी विधि के शासन के प्रबल समर्थक हुए हैं और उनके अनुसार ब्रिटेन में ही यह अपने निम्नलिखित तीन वास्तविक अर्थों में मौजूद है:
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1. सामान्य कानून की सर्वोच्चता:
देश में सामान्य कानून ही सर्वोच्च है, जिस पर किसी स्वेच्छाचारी शक्ति का प्रभाव नहीं है । प्रत्येक व्यक्ति केवल कानून द्वारा ही शासित है ।
2. कानून के समक्ष समानता:
कानून के समक्ष सब व्यक्ति एक समान है चाहे उनकी सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक हैसियत कुछ भी हो । सबके लिए एक ही कानून है ।
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3. स्वयं संविधान कानून की देन है:
इंग्लैण्ड में नागरिक अधिकारों का स्त्रोत सामान्य कानून है जो न्यायिक निर्णयों के द्वारा लागू है । वहाँ विधान स्वयं ही इन निर्णयों-कानूनों के परिणामस्वरूप विकसित हुआ है ।
प्रशासकीय विधि– डायसी का मत (Administrative Law-Dissociation of Votes):
डायसी द्वारा दिये गये कानून के शासन का अर्थ इंग्लैण्ड में कतिपय अपवादों से अपना मूलस्वरूप खो गया है, जैसे सरकारी कार्मिकों के विरूद्ध नागरिक छह माह के भीतर ही मुकदमा ला सकते हैं, पादरियों पर चर्च के कानून लागू है ये कानून के समक्ष समानता का उल्लंघन है ।
इसी प्रकार इंग्लैण्ड में भी प्रदत्त व्यवस्थापन के तहत कार्यपालिका को अनेक विधायी शक्तियां प्राप्त हो गयी हैं जिससे विकसित प्रशासनिक विधि में एक ही सामान्य कानून की अवधारणा को ध्वस्त किया है । गृह सचिव की इच्छा पर निर्भर है कि किसे ब्रिटिश नागरिकता प्रदान करें या न करें ।
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डायसी ने इसे विधि के शासन का उल्लंघन माना । लार्ड हेवार्ट ने इसे नई निरंकुशता की संज्ञा दी । डायसी के अनुसार प्रशासनिक विधि, कानून के शासन का स्थान नहीं ले सकती । यह किसी भी तरह से कानून का पर्याय भी नहीं हो सकता ।
यद्यपि आधुनिक जटिलताओं से निपटने में एक उपाय के तौर पर का हो रहा है, किन्तु इससे प्रशासन की निरंकुशता में वृद्धि होती है । साथ ही एक देश-एक कानून की अवधारणा भी ध्वस्त होती है । यह असमानता को जन्म देती है । यद्यपि डायसी ने भी स्वीकारा है कि आवश्यकताओं की पूर्ति के प्रशासकीय कानून आवश्यक है ।
उपयुक्त विवेचन से स्पष्ट है कि का शासन एक सामान्य सर्वोच्च कानून मात्र की वकालात करता है, वह अन्य देशों के साथ स्वयं इंग्लैण्ड में भी नहीं देता । वहां भी प्रशासकीय विधि का विकास तीव्र से रहा है परन्तु ऐसा होते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कि इंग्लैण्ड में या अन्य देशों में कानून का शासन समाप्त हो गया है ।
प्रशासकीय विधि के लिए विख्यात फ्रांस में भी अधिकांश व्यवस्था पर सामान्य विधि ही लागू होती है और कानून का शासन आज प्रत्येक देश की संवैधानिक शासन व्यवस्था का मूलाधार है ।