Read this article in Hindi to learn about:- 1. सामाजिक अंकेक्षण का उद्देश्य (Objective of Social Audit) 2. सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया के चरण (Steps for the Process of Social Audit) 3. लाभ/उपयोगिता (Benefits) 4. सामाजिक अंकेक्षण को सफल बनाने के उपाय (Measures to Make Social Audit Successful).
सामाजिक अंकेक्षण का उद्देश्य (Objective of Social Audit):
1950 के दशक से अस्तित्व में आयी सामाजिक अंकेक्षण की अवधारणा का संबंध जन-भागीदारी और जनजागरूकता के माध्यम से व्यवस्था को जवाबदेह बनाने से है । भारत और पड़ोसी देशों में यह लगभग 2005 के बाद से प्रचलन में आयी । मनरेगा कार्यक्रम की धारा-17 में सोशल ऑडिट की संपूर्ण व्यवस्था का प्रावधान किया गया है ।
उद्देश्य:
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1. व्यवस्था की जवाबदेही सुनिश्चित करना ।
2. जन- बढ़ाना ।
3. कार्य एवं निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना।
4. जनसामान्य को अधिकारों एवं के बारे में जागरूक करना ।
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5. कार्ययोजनाओं के चयन एवं क्रियान्वयन पर निगरानी रखना ।
सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया के चरण (Steps for the Process of Social Audit):
1. पहला चरण – सोशल ऑडिट हेतु सूचनाओं एवं अभिलेखों का संकलन ।
2. दूसरा चरण – सोशल ऑडिट टीम द्वारा क्षेत्र भ्रमण एवं जांच ।
3. तीसरा चरण – ड्राफ्ट प्रतिवेदन तैयार करना एवं ग्राम सभा की बैठक की तैयारी ।
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4. चौथा चरण – ग्राम सभा की बैठक एवं सोशल आडिट प्रतिवेदन को अन्तिम रूप देना ।
5. पांचवा चरण – प्रतिवेदन का प्रस्तुतिकरण एवं फालोअप ।
सामाजिक अंकेक्षण के लाभ/उपयोगिता (Benefits of Social Audit):
1. सहभागी स्थानीय नियोजन के लिये समुदाय को जागरूक, प्रशिक्षित करना ।
2. स्थानीय स्तर पर प्रजातन्त्र को प्रोत्साहन ।
3. सामुदायिक सहभागिता प्रणालियों का विकास ।
4. वंचित वर्ग विशेष रूप से लाभान्वित ।
5. सामुदायिक निर्णयन प्रक्रिया और सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास ।
6. मानव संसाधन का विकास ।
7. सामाजिक पूंजी का विकास ।
8. प्रशासन के जन उत्तरदायित्व में वृद्धि ।
सामाजिक अंकेक्षक (Social Auditors):
वे व्यक्ति, संस्था या समिति जो सामाजिक अंकेक्षण का कार्य करते हैं, सामाजिक अंकेक्षक कहलाते हैं । ग्राम सभा यह सबसे निम्न तल पर अवस्थित सामाजिक अंकेक्षक संस्था है । ग्राम सभा पंचायती राज का मूलाधार है । गाँव के सभी वयस्क सदस्यों से निर्मित ग्राम सभा को यह अधिकार है कि वह पंचायत क्षेत्र में किये जा रहे विकास कार्यों के स्वरूप, क्रियान्वयन को प्रत्यक्ष निर्धारित करे । यह संबंधित योजनाओं कार्यों और उन पर व्यय आदि सभी का निरीक्षण कर सकती है, उससे संबंधित प्रश्न और आपत्ति उठा सकती है । व्यक्ति कोई भी प्रभावित या संबंधित व्यक्ति (जो इस बाबद नामित है) सामाजिक अंकेक्षण कर सकता है ।
समिति पंचायत के प्रत्येक स्तर (ग्राम, जनपद जिला) पर व्यक्तियों विशेषज्ञों की ऑडिट समितियों का निर्माण किया जा सकता है । इन समितियों में स्थानीय व्यक्ति वंचित वर्ग के व्यक्ति सदस्य होते हैं । सेवानिवृत अधिकारी, शिक्षक आदि भी सदस्य बनाये जाते है । ये सदस्य कार्यक्रम के हितग्राही वर्ग से भी हो सकते हैं ।
सामाजिक अंकेक्षण को सफल बनाने के उपाय (Measures to Make Social Audit Successful):
1. अंकेक्षण प्रक्रिया में प्रभावित हितग्राहियों को शामिल किया जाये ।
2. अंकेक्षण संबंधी उद्देश्य, कार्य प्रक्रिया लाभ आदि से हितग्राहियों/समुदाय प्रभावी ढंग से अवगत हो ।
3. अंकेक्षण प्रक्रिया पारदर्शी जवाबदेह पूर्ण हो ।
4. अंकेक्षण कार्य में महत्वपूर्ण उपयोगी व्यक्तियों को शामिल किया जाये ।
5. अंकेक्षण के परिणामों का पूर्णतः क्रियान्वयन हो ।