Read this article in Hindi to learn about the characteristics of bureaucracy as given by max weber.

वेबर के अनुसार नौकरशाही संगठन एक बड़ा संगठन होता है और यह सरकारी, निजी उद्यमों, सेना आदि जैसे बड़े संगठनों में कार्यरत “कार्मिकों के तंत्र” के लिये प्रयुक्त किया जाता है । इन सभी संगठनों के उद्देश्य चाहे भिन्न हो, उनकी विशेषताएँ समान होती है ।

(1) श्रम विभाजन (Work Division):

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संगठन के कार्यों को कार्मिकों के मध्य इस तरह विभाजित किया जाता है कि प्रत्येक कार्मिक को कोई विशेष कार्य करना होता है । इस कार्य विशेष को करते-करते वह उसमें निपुण और कुशल हो जाता है । इससे संगठन की कार्यकुशलता बढ़ जाती है ।

श्रम विभाजन के परिणामस्वरूप एक उद्देश्य के लिये कई कार्य करने होते है, जिन्हे विभिन्न व्यक्ति करते है । इस प्रकार से एक उद्देश्य को अनेक व्यक्ति मिलकर पूरा करते है जिससे भी कार्यकुशलता बढ़ती है ।

(2) पद सोपान (Step by Step):

पदसोपान की प्रणाली वेबेरियन मॉडल का आधार है । वेबर के अनुसार कार्य के अनुरूप उत्तरदायित्व और उत्तरदायित्व के अनुरूप सत्ता पदसोपान का निर्माण करती है । स्पष्ट है कि वेबर शीर्ष पर सत्ता को मानते है, अर्थात उपर से नीचे की तरफ सत्ता का स्तर कम होता जाता है ।

(3) कागजी कार्यवाही (Paper Works):

आधुनिक संगठनों का काम-काज लिखित रूप में होता है । प्रत्येक कार्य, निर्णय, आदेश, निर्देश लिखित में होते है और उसका रिकार्ड (फाइलीकरण व्यवस्था) रखा जाता है ।

(4) विधि-उन्मुखता या नियम उन्मुखता (Law-Oriented or Rule-Oriented):

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नौकरशाही के व्यवसायिक चरित्र को मैक्स वेबर ने ”विधि उन्मुखता” कहां । इसके अनुसार नौकरशाही कानून, प्रक्रिया आदि को ध्यान में रखकर बिना भेदभाव के काम करती है । वह कार्य प्रणाली में व्यवसायिक होती है । इससे कार्यकुशलता आती है ।

(5) सयंत्रीकरण (Declining):

वेबर विशेषज्ञता के लिये ”सयंत्रीकरण” शब्दावली प्रयुक्त करते है नौकरशाही में उच्च विशेषीकरण पाया जाता है । प्रत्येक कार्मिक का चयन उसकी योग्यता, तकनीकी उपलब्धि जिसके लिये डिग्री, डिप्लोमा जैसी उपाधियां और प्रतियोगी परीक्षा आदि का इस्तेमाल होता है) के आधार पर होता है ।

वेबर के अनुसार नौकरशाही का कार्य भार अधिकाधिक बढ़ता जाता है और इससे निपटने के लिये उसका सयंत्रीकरण जरूरी हो जाता है। उसमें विशेषज्ञों की संख्या बढ़ानी होती है, उन्हें आधुनिक उपकरण (जैसे कम्प्यूटर) से लैस करना होता है ।

(6) वेतन-भोगी (Wage Earner):

वेबर ने उत्तरदायित्व के स्थान पर वेतन-भोगी शब्द जानबूझकर इस्तेमाल किया । उसके अनुसार उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिये नौकरशाही को वेतन-भोगी बनाना जरूरी है । संगठन में कार्मिकों की भागीदारिता के दो स्वरूप हो सकते है- एक लाभांश आधारित, दूसरा वेतन आधारित । वेतन आधारित भागीदारिता ही उत्तरदायित्व सुनिश्चित करती है । अत: नौकरशाही में कार्मिकों को निश्चित वेतन दिया जाता है ।

(7) निव्यैंक्तिकता या तटस्थता (Neutrality):

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वेबर निव्यैंक्तिकता को तटस्थता के अर्थ में प्रयुक्त करते है । प्रत्येक कार्मिक को सभी पूर्वाग्रहों से मुक्त रहकर काम करना होता है । सभी के साथ तटस्थ दृष्टि से समान व्यवहार नौकरशाही की महत्वपूर्ण विशेषता वेबर ने मानी है ।

(8) आजीविका-व्यवस्था (Livelihood Arrangement):

वेबर की नौकरशाही एक आकर्षक पेशा या कैरियर है । प्रत्येक कार्मिक इसे कैरियर के रूप में अपनाता है और उसकी वर्तमान पद से उच्च पद की तरफ प्रगति होती रहती है । यह प्रगति समय और योग्यता दोनों पर आधारित होती है । इससे कार्मिकों में संगठन के प्रति लगाव पाया जाता है और उनका मनोबल तथा कार्यकुशलता बनी रहती है ।

(9) कार्यकुशलता (Work Efficiency):

उपर्युक्त विशेषताएं नौकरशाही को अत्यधिक कार्यकुशल संगठन के रूप में स्थापित कर देती है । वेबर के अनुसार नौकरशाही एक यंत्र की भांति तार्किक व्यवस्था है और इसलिए यंत्र की भांति अत्यधिक कार्यकुशल ।

(10) वर्ग पहचान (Class Identity):

वेबर कहते है कि वर्ग प्रत्येक संगठन में अनिवार्य रूप से उभरते है । वस्तुत: समाज स्वयं वर्ग को जन्म देता है क्योंकि समाज में प्रत्येक व्यक्ति की योग्यता दूसरे से भिन्न होती है । और यही भिन्नता वर्गों को जन्म देती है । वेबर के अनुसार नौकरशाही में वर्गीय चेतना जरूरी भी है क्योंकि शासन और शासित के मध्य एक निश्चित दूरी से ही नौकरशाही संगठन विशिष्ट संगठन बनकर कार्यकुशलता की दिशा में बढ़ सकता है ।

वैबर मॉडल की अन्य विशेषताएं:

(1) प्रत्येक पद के कार्य लेखबद्व रहते है ।

(2) कार्मिक व्यक्तिगत रूप से स्वतंत्र: मात्र कार्यालय अवधि के समय ही संगठन के कार्य बाकी समय में निजी कार्य करने के लिए व्यक्ति स्वतंत्र होता है ।

(3) सरकारी कार्यों के अलावा अन्य कार्य (लाभ हेतु) नहीं कर सकते ।

(4) जीवनवृत्ति की संरचना: पदोन्नति, सेवानिवृत्ति, पेंशन आदि का प्रावधान ।

(5) अनुशासन की एकीकृत प्रणाली ।

(6) नियमानुसार कार्य अन्यथा दण्ड का भागी बनना पड़ता ।

वेबर के अनुसार:

1. तकनीकी दृष्टि से उसका आदर्श नौकरशाही मॉडल ही उच्चतम कार्यकुशलता प्राप्त कर सकता है ।

2. कार्मिक-नियंत्रण का यह सबसे तार्किक ज्ञात साधन है ।

3. निश्चितता, विश्वसनीयता, स्थिरता और अनुशासन की दृष्टि से नौकरशाही अन्य उपागमों से श्रेष्ठतर है ।

4. इसके द्वारा ही प्रबंध परिणामों का सही मूल्यांकन कर सकते है ।

5. कार्यकुशलता की गहनता और संचालनगत लाभों की दृष्टि से भी यह अन्य मॉडलों से श्रेष्ठ है ।

6. यही एकमात्र मॉडल है जो सभी प्रकार के कार्यों (सार्वजनिक, निजी सैनिक, नागरिक) पर लागू होता है।

7. अंतत: यह आधुनिक युग के लोक प्रशासन के लिये एक अनिवार्य जरूरत है ।

8. एकतंत्रीय नौकरशाही से एक बार शासित होने के बाद जनता दूसरे तंत्र के बारे में सोच भी नहीं सकती ।

वेबर, ”ऐसी नौकरशाही में विश्वसनियता, निश्चितता, क्रमागतता, कठोरता, नियमबद्धता का विकास होता है जो इसकी अन्य विशेषताएं है ।” उसी के शब्दों में जब तकनीकी आधार पर कोई बड़ा कार्य करना हो तो नौकरशाही ही एकमात्र विकल्प होता है ।