Read this article in Hindi to learn about the position, powers and functions of the chief minister.
मुख्यमंत्री का पदस्थिति (Position of the Chief Minister):
संविधान द्वारा संसदीय प्रणाली की सरकार में जो प्रावधान किया गया है उसके अनुसार राज्यपाल नाममात्र का कार्यपालक और मुख्यमंत्री वास्तविक कार्यपालक होता है । दूसरे शब्दों में, राज्यपाल राज्य का प्रमुख होता है और मुख्यमंत्री सरकार का प्रमुख । इस प्रकार, राज्य स्तरपर मुख्यमंत्री की स्थिति केंद्र स्तर पर प्रधानमंत्री का स्थिति जैसी है ।
इस संदर्भ में संवैधानिक प्रावधान इस प्रकार है:
(i) राज्यपाल को, उसके विवेकाधीन कार्यों और शक्तियों को छोड़कर अन्य शक्तियों का प्रयोग करने और उसके कार्य में मदद करने और सलाह देने के लिए प्रत्येक राज्य में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद होगी (अनुच्छेद 163)
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(ii) मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी ।
(iii) अन्य मंत्रियों की नियुक्ति भी राज्यपाल द्वारा ही मुख्यमंत्री की सलाह से की जाएगी । तथापि बिहार मध्य प्रदेश और उड़ीसा राज्यों के लिए जनजातीय कल्याण मंत्री की भी नियुक्ति होनी चाहिए ।
(iv) मंत्रीगण राज्यपाल की सहमति से ही पद पर बने रह सकेंगे ।
(v) मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से राज्य विधानसभा के प्रति जवाबदेह होगी ।
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(vi) मंत्री को पद और गोपनीयता की शपथ राज्यपाल द्वारा दिलाई जाएगी ।
(vii) राज्य विधानमंडल का लगातार 6 माह तक सदस्य न रहने की स्थिति में वह मंत्री पद पर बना नहीं रह सकेगा ।
(viii) मंत्रियों के वेतन और भत्तों का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाएगा ।
मुख्यमंत्री का कार्य और शक्तियाँ (Chief Minister – Powers and Functions):
मुख्यमंत्री के कार्य और शक्तियाँ से संबन्धित अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है:
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मंत्रिपरिषद के संबंध में:
राज्य की मंत्रिपरिषद के नेता या प्रमुख के रूप में मुख्यमंत्री को निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं:
(i) वह राज्यपाल से मंत्रिपद पर नियुक्ति के लिए व्यक्तियों की सिफारिश राज्यपाल से करता है । राज्यपाल केवल मुख्यमंत्री द्वारा संस्तुत व्यक्तियों को ही मंत्री नियुक्त कर सकता है ।
(ii) मुख्यमंत्री मंत्रियों के विभागों का आबंटन और उनमें फेरबदल भी करता है ।
(iii) मतभेद होने की स्थिति में मुख्यमंत्री मंत्री से त्यागपत्र माँग सकता है अथवा राज्यपाल को उसे बरखास्त करने की सलाह दे सकता है ।
(iv) मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है और बैठकों में महत्त्वपूर्ण निर्णय भी वही लेता है ।
(v) मुख्यमंत्री सभी मंत्रियों के कार्यों और गतिविधियों को निर्देशित और नियंत्रित करता तथा उनके बीच तालमेल बैठाए रखता है ।
(vi) अपने पद से त्यागपत्र देकर मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद को समाप्त कर सकता है ।
राज्ययाल के संबंध में:
मुख्यमंत्री को राज्यपाल के संबंध में निम्नलिखित अधिकार हैं:
(i) मुख्यमंत्री, राज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच संवाद की मुख्य कड़ी है ।
अपनी इस पदस्थिति में मुख्यमंत्री निम्नलिखित कार्य (अनुच्छेद 167) करता है:
(क) राज्य के प्रशासन से जुड़े तथा विधायी प्रस्तावों के संबंध में मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए सभी निर्णयों की जानकारी राज्यपाल को देता है ।
(ख) राज्यपाल के माँगने पर राज्य के प्रशासन से जुड़ी और विधि निर्माण प्रस्तावों से जुड़ी सभी सूचनाएँ राज्यपाल को उपलब्ध कराता है ।
(ग) राज्यपाल द्वारा अपेक्षित किसी भी ऐसे विषय को मंत्रिपरिषद के विचारार्थ प्रस्तुत करता है जिस विषय पर किसी मंत्री ने निर्णय लिया हो किंतु उस पर मंत्रिपरिषद ने विचार न किया हो ।
(ii) मुख्यमंत्री, राज्य के महाधिवक्ता, राज्य लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों राज्य चुनाव आयुक्त आदि जैसे महत्त्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल को सलाह देता है ।
राज्य विधान मंडल के संबंध में:
मुख्यमंत्री सदन का नेता होता है तथा अपनी इस स्थिति में उसे निम्नलिखित अधिकार होते हैं:
(i) मुख्यमंत्री, राज्य विधानमंडल के सत्र को बुलाने और उसे स्थगित करने के संबंध में राज्यपाल को सलाह देता है ।
(ii) मुख्यमंत्री, किसी भी समय राज्य विधानसभा को भंग करने की सिफारिश राज्यपाल से कर सकता है ।
(iii) मुख्यमंत्री सदन में सरकार की नीतियों की घोषणा भी करता है ।
इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री सत्ताधारी दल का नेता का नेता और विभिन्न सेवाओं का राजनीतिक प्रमुख होता है । इस प्रकार, मुख्यमंत्री की राज्यप्रशासन में अति महत्वपूर्ण होती है । तथापि, राज्यपाल को प्राप्त विवेकाधीन शक्तियों के कारण प्रशासन में मुख्यमंत्री की शक्ति प्राधिकार प्रभाव प्रतिक्रिया और उसकी भूमिका में कमी आई है ।