Read this article in Hindi to learn about:- 1. मुख्य सचिव का अर्थ (Meaning of Chief Secretary) 2. मुख्य सचिव के कार्यकाल तथा नियुक्ति (Tenure and Appointment of Chief Secretary) 3. कार्य (Functions) 4. भूमिका (Role).
मुख्य सचिव का अर्थ (Meaning of Chief Secretary):
राज्य सचिवालय के पद सोपान के शीर्ष ‘मुख्य सचिव’ होता है । वह सचिवालय का ऐसा “किंगपिन” है जो सभी स्तरों पर सचिवालय के सभी विभागों को परस्पर संयुक्त करता है । वह प्रदेश की सरकार और केन्द्र तथा अन्य राज्य सरकारों के बीच संचार सूत्र का कार्य करता है । मुख्य सचिव का राजनीतिक प्रमुख मुख्यमंत्री होता है ।
A. राज्यों में मुख्य सचिव का पद भी ब्रिटिश कालीन विरासत है ।
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B. सर्वप्रथम 1799 में केन्द्र सरकार में ”मुख्य सचिव” का पद सृजित किया गया । गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली (1799-1803) ने इस पद का सृजन किया और जी.एस. बार्लो को पहला मुख्य सचिव नियुक्त किया था ।
C. बाद में केन्द्र सरकार में यह पद समाप्त कर दिया गया लेकिन प्रांतीय सरकारों में इस पद को अपनाया गया ।
पद का स्तर (Rank):
1. प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश के पश्चात 1973 से सभी राज्यों में मुख्य सचिव वरिष्ठतम लोक सेवक को बनाया जाता है ।
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2. 1973 के पूर्व राज्यवार उसकी स्थिति में भिन्नता थी । जैसे उ.प्र. में वह राजस्व बोर्ड के सदस्य तक से भी कनिष्ठ होता था । पंजाब में वह वित्त आयुक्त के पश्चात दूसरे स्तर का पद था लेकिन तमिलनाडु जैसे राज्यों में वह वरिष्ठतम लोक सेवक ही था ।
मुख्य सचिव के कार्यकाल तथा नियुक्ति (Tenure and Appointment of Chief Secretary):
i. मुख्य सचिव को कार्यकाल प्रणाली से बाहर रखा गया है अर्थात उसका कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता ।
ii. प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग ने मुख्य सचिव का कार्यकाल तीन से चार वर्ष रखने की सिफारिश की थी जो स्वीकार नहीं की गयी ।
स्थिति (Event):
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a. राज्य की राजनीतिक कार्यपालिका का प्रमुख जिस प्रकार राज्यपाल होता है, उसी प्रकार प्रशासनिक कार्यपालिका का प्रमुख मुख्य सचिव होता है ।
b. वह राज्य की लोक सेवाओं का प्रधान होता है ।
c. मंत्रिपरिषद के प्रधान के रूप में मुख्यमंत्री सम्पूर्ण प्रशासन का वास्तविक नेता होता है और मुख्य सचिव उसका प्रमुख परामर्शदाता ।
d. संसदीय शासन में मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यपालिका के रूप में सभी कार्यों को निर्मित करती है मुख्य सचिव उसे इस हेतु आवश्यक परामर्श, सहायता उपलब्ध कराता है ।
e. मुख्यमंत्री के अधीन रखे गये कतिपय विभागों का सचिव मुख्य सचिव ही होता है और सामान्य प्रशासन विभाग तो मुख्य सचिव के अधीन रहता ही है ।
f. इस प्रकार मुख्य सचिव राज्य शासन में एक साथ तिहरी भूमिका निभाता है, जो केन्द्र शासन में प्रधान सचिव, कैबिनेट सचिव तथा विभागीय सचिव मिलकर निभाते हैं । भूमिका के संदर्भ में इसके समकक्ष कोई पद केन्द्र में नहीं है ।
अत: राज्य में मुख्य सचिव की स्थिति शासन के सर्वोच्च परामर्शदाता और सलाहकार की होती है । उसके पद को केन्द्र के सचिव स्तर के समकक्ष रखा गया है ।
नियुक्ति (Appointment):
मुख्यमंत्री के परामर्श पर राज्यपाल वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को मुख्य सचिव नियुक्त करता है । 1973 के बाद इस पद पर नियुक्ति हेतु ‘वरिष्ठता’ के नियम का कठोरता से पालन किया जाता रहा है । प्रशासनिक सुधार आयोग ने इस पद के लिए वरिष्ठता और योग्यता दोनों को आधार बनाने की सिफारिश की थी । कभी-कभी मुख्यमंत्री अपनी पसन्द के अधिकारी को इस पद पर लाने के लिए वरिष्ठतम लोक सेवक को कोई अन्य प्रमुख पद दे देते हैं ।
मुख्य सचिव के कार्य (Functions of Chief Secretary):
राज्य के समस्त प्रशासन के सफलतापूर्वक संचालन की जिम्मेदारी मुख्य सचिव की होती है । इसके लिए उसे न सिर्फ स्वयं कई विभागों की प्रत्यक्ष देख-रेख करना पड़ती है, अपितु अन्य विभागों का भी निरन्तर पर्यवेक्षण, निर्देशन करना होता है ।
i. मुख्यमंत्री का परामर्शदाता (Chief Minister’s Council):
मुख्यमंत्री को राज्य के प्रमुख कार्यपालक के रूप में जितने भी कार्य करने होते हैं, मुख्य सचिव ही उसमें मुख्य सलाहकार की भूमिका निभाता है । म.प्र. और छ.ग. में मुख्यमंत्री राजनीतिक सलाहकार पृथक् से रखने लगे हैं । इसके बावजूद प्रशासनिक कार्यों में मुख्य सचिव पर से उसकी निर्भरता कम नहीं हुई है ।
ii. मंत्रिमण्डल का सचिव (Cabinet Secretary):
राज्य में मुख्य सचिव ही राज्य मंत्रिमण्डल का सचिव भी होता है । इस भूमिका में वह मंत्रिमण्डल की बैठकों का एजेण्डा तैयार करता है, बैठकों की व्यवस्था करता है और बैठक में उपस्थित रहकर प्रशासनिक मुद्दों को स्पष्ट करता है, कार्यवाहियों को नोट करता है । वह नीति-निर्माण में मंत्रिमण्डल की महत्वपूर्ण सहायता करता है । इसके लिए अन्य विभागीय सचिव मुख्य सचिव की सहायता करते हैं ।
iii. मुख्य प्रशासनिक समन्वयक (Chief Administrative Coordinator):
मुख्यमंत्री के अधीन मुख्य सचिव को ही राज्य प्रशासन के प्रमुख समन्वयक की भूमिका निभाना होती है, राज्य सचिवालय पर उसका प्रशासनिक दृष्टि से पूरा नियन्त्रण होता है और उसके नेतृत्व में ही सभी विभाग, सचिव आदि शासन के उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करते हैं ।
वह सचिवों की समय-समय पर बैठक करता है । अधीनस्थ क्षेत्रीय अधिकारियों, विशेषकर जिलाधिकारियों की बैठक भी राजधानी में बुलाता है, जिसका एक उद्देश्य उनके कार्यों के मध्य उचित समन्वय स्थापित करना है । संकटकाल में उसकी यह भूमिका अत्यधिक महत्व की हो जाती है ।
iv. मुख्य नियन्त्रक (Chief Controller):
मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की और से मुख्य सचिव ही अधीनस्थ प्रशासनिक अभिकरणों, अधिकारियों के कार्यों की बारम्बार समीक्षा करता रहता है । मुख्य सचिव जिलों, विभागों और निर्देशकों से नियतकालीन प्रतिवेदन प्राप्त कर देखता है कि शासन की नीतियां सही तरीके से क्रियान्वित हो रही हैं या नहीं ।
v. विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य (Work as Head of the Department):
मुख्य सचिव राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग का सचिव होता है । अनेक बार उसे कुछ अन्य विभागों का प्रभार भी सचिव की हैसियत से दिया जाता है । वह इन विभागों का दायित्व अपने अधीनस्थ विशेष या उप सचिव की मदद से निभाता है ।
vi. राज्य में शांति का व्यवस्थापक (Administrator of Peace in the State):
राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुख्य सचिव को निरन्तर सजग और चौकस रहना पड़ता है । वह पुलिस महानिरीक्षक के माध्यम से जिलों की कानून व्यवस्था की समीक्षा तो करता ही है, जिला दण्डाधिकारियों (कलेक्टर) से भी वह इस हेतु सम्पर्क में रहता है ।
vi. अन्य विविध कार्य (Other Miscellaneous Work):
a. मुख्य सचिव ही राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति, स्थानान्तरण आदि के लिए मंत्रिपरिषद को परामर्श देता है ।
b. वह राज्य की लोक सेवा का अध्यक्ष होता है और उनकी स्थिति पर विचार करता है ।
c. सामान्यत: अन्तर्राज्यीय सद्भाव और मतभेदों के सभी मामलों पर मुख्य सचिव की सलाह ली जाती है ।
d. वह सचिवालय एवं उनके कक्षों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखता है ।
e. संकटकाल के समय वह राज्यों के ‘नर्व सिस्टम’ की भांति कार्य करता है ।
f. मंत्रिमण्डल की अनुपस्थिति में सारे महत्वपूर्ण निर्णय मुख्य सचिव के द्वारा लिये जाते है ।
मुख्य सचिव की भूमिका (Role of Chief Secretary):
a. मुख्य सचिव राज्य प्रशासन का नेता, मार्गदर्शक और नियन्त्रक होता है ।
मंगतराय के शब्दों में- ”मुख्य सचिव का कार्य कोई तकनीशियन या व्यवसायी की तरह नहीं होता और नहीं वह कोई कुशल इंजिनियर है । वह प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट तक भी नहीं है । वह सरकारी प्रक्रिया का एक हिस्सा है और प्रजातान्त्रिक गणतन्त्र में मानवीय प्रक्रिया का भी एक हिस्सा है ।”
b. स्पष्ट है कि राज्य का सम्पूर्ण प्रशासन उसी प्रकार मुख्य सचिव के इर्द-गिर्द केन्द्रीत हो जाता है, जिस प्रकार शासन मुख्यमंत्री के ।
c. वह मुख्यमंत्री का परामर्शदाता, मंत्रिमण्डल का मित्र और मार्गदर्शक तथा सचिवों का निर्देशक होता है ।
d. राज्य शासन में उसकी भूमिका इसलिए अत्यधिक महत्व की हो जाती है कि उसे उक्त सभी कार्यों को अकेले एजेन्सी के रूप में करना पड़ता है । इसीलिए इस पद पर अनुभवी व्यक्ति की नियुक्ति आवश्यक मानी जाती है ।
e. भूमिका तब अधिक प्रभावी हो जाती है, जब वह नागरिकों से जीवंत सम्बन्ध बनाने में सफल हो जाता है ।