Read this article in Hindi to learn about:- 1. पेंशन का अर्थ (Meaning of Pension) 2. पेंशन के प्रकार (Types of Pension) 3. नई नीति (New Policy) 4. प्राधिकरण (Authority) and 5. निजी क्षेत्र में पेंशन (Private Sector Pension).
पेंशन का अर्थ (Meaning of Pension):
पेंशन मूलत: लैटिन शब्द ”पेंशियो” से बना है । इसके अनेक अर्थ है- वजन करना, भुगतान करना, लटकाना । पेंशन सेवानिवृत कार्मिक को अपने शेष जीवन के लिए प्रतिमाह मिलने वाली धन राशि है ।
इंग्लैंड में 1843 में लागू पेंशन योजना को भारत में भी लागू करने की मांग उठी । “भारतीय पेंशन अधिनियम” 1871 द्वारा भारत में लागू पेंशन योजना “अंशदायी” थी कार्मिक के ही वेतन से काटकर सेवानिवृत्ति पश्चात् दी जाती थी । 1919 के अधिनियम ने अ-अंशदायी पेंशन योजना लागू की । यही आज भी जारी है ।
पेंशन के प्रकार (Types of Pension):
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1. प्रतिपूर्ति पेंशन- जो पद समाप्त पर संबंधित कार्मिक को दी जाती है ।
2. असमर्थता पेंशन- जो कार्मिक शारीरिक या मानसिक से असमर्थ होने पर सेवानिवृत्त करने के कारण दी जाती है ।
3. अर्थवार्षिकी पेंशन- यह निश्चित आयु पूरी कर लेने पर दी जाती है । यही सामान्यत: सर्वाधिक प्रचलित पेंशन है ।
4. असामान्य पेंशन- जो कार्य पर घायल होने या मृत्यु हो जाने पर दी जाती है । मृतक के उत्तराधिकारी को परिवार पेंशन दी जाती है । यह अस्थायी कार्मिक को भी मिलती है ।
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5. रिटायरिंग पेंशन- यही सामान्य और वास्तविक पेंशन है, जो निश्चित सेवावधि पूरी कर लेने पर दी जाती है ।
नई पेंशन नीति (New Pension Policy):
केंद्रीय कार्मिकों की पेंशन नीति का निर्धारण ”कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय” करता है । सरकार ने 2004 के बाद भर्ती होने वाले कार्मिकों के लिए पेंशन विकल्प दिया है । तदनुरूप कोई कार्मिक ”आंशिक अंशदायी प्रोवीडेंट फंड” को पेंशन विकल्प के रूप में चुन सकता है । इसमें सरकार और कार्मिक प्रोविडेंट फंड में बराबर राशि जमा कराते है । वस्तुत: यह स्कीम निजी क्षेत्र में पहले से लागू है ।
23 अगस्त, 2003 को सरकार ने पहले चरण में सशस्त्र सेनाओं को छोड़कर केंद्र सरकार की सेवा में भर्ती होने वाले नए कर्मचारियों के लिये परिभाषित अंशदान के आधार पर इस नई पेंशन योजना लागू करने का फैसला किया था । यह योजना वर्तमान परिभाषित लाभ प्रणाली के स्थान पर लागू की गयी । तत्पश्चात् 22 दिसंबर, 2003 को जारी अधिसूचना के जरिए नई पेंशन प्रणाली 1 जनवरी, 2004 से लागू हो गयी ।
नई पेंशन प्रणाली की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार है:
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1. नई पेंशन व्यवस्था सुनिश्चित अंशदान पर आधारित होगी । केंद्र सरकार की सेवा में भर्ती होने वाले नए व्यक्ति को अपने वेतन और महंगाई भत्ते के 10 प्रतिशत के बराबर मासिक अंशदान करना होगा और इतना ही अंशदान केंद्र सरकार की और से किया जाएगा ।
2. नई पेंशन प्रणाली का ढांचा पूरी तरह लागू होने पर कर्मचारियों को यह विकल्प दिया कि अगर वह चाहे तो टीयर-टू खाता खोल सकते है । इसमें से पैसा निकाला जा सकेगा । यह विकल्प इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि केंद्र सरकार की नौकरी में भर्ती होने वाले लोगों को सामान्य भविष्य निधि सुविधा नहीं होगी । टीयर-टू खाते में सरकार अंशदान नहीं करेगी ।
3. कर्मचारी इस प्रणाली को सामान्यत: 60 वर्ष की आयु अथवा उसके बाद छोड़ सकेंगे । योजना से बाहर होने के समय कर्मचारियों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे इस पेंशन धन का 40 प्रतिशत किसी ग्रेच्युटि (वार्षिक वृति) में निवेश करें, ताकि कर्मचारी और उसके आश्रित माता-पिता तथा पत्नी या पति को जीवन भर पेंशन दी जा सके । पेंशन धन का शेष 60 प्रतिशत कर्मचारी को एक मुद्दत रकम के रूप में मिल जाएगा ।
4. नई प्रणाली के अंतर्गत एक केंद्रीय अभिलेख एवं लेखा कार्यालय और कई कोष प्रबंधकों की व्यवस्था होगी । इसमें कर्मचारी को तीन विकल्प दिए जाऐंगे । विकल्प ‘ए’ के अंतर्गत मुख्य निवेश नियत आय योजनाओं और कुछ निवेश इक्विटी में किया जाएगा । विकल्प ‘बी’ के अंतर्गत इक्विटी में अधिक निवेश किया जाएगा । विकल्प ‘सी’ के अंतर्गत नियत आय और इक्विटी में समान निवेश किया जाएगा ।
पेंशन प्राधिकरण (Pension Authority):
10 अक्टूबर, 2003 को जारी सरकारी संकल्प के जरिए एक अंतरिम पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पी.एफ.आर.डी.ए.) का गठन किया गया, जिसने 1 जनवरी, 2004 से काम करना शुरू कर दिया ।
1. यह प्राधिकरण वैधानिक नियामक के अस्तित्व में आने तक आवश्यक कामकाज देखेगा ।
2. प्राधिकरण का एक अध्यक्ष और दो आजीवन सदस्य होंगे । श्री डी. स्वरूप पी.एफ.आर.डी.ए के प्रथम अध्यक्ष है । वे 5 वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु अथवा अगले आदेश, इनमें जो भी पहले हो, तब तक अपने पद पर काम करेंगे ।
3. पी.एफ.आर.डी.ए केंद्रीय अभिलेख एजेंसी और पेंशन कोष सहित नई पेंशन प्रणाली के संस्थागत ढांचे की स्थापना करेगा, यह पेंशन निधियों के निवेश के बारे में दिशा निर्देश भी तय करेगा ।
4. पी.एफ.आर.डी.ए को अधिकार होगा कि पेंशन कानून का उल्लंघन होने पर कड़े दंड की व्यवस्था करें ।
5. नियामक एक विशेष कोष की स्थापन भी करेगा, जिसका इस्तेमाल कर्मचारियों को पेंशन निधि योजनाओं के बारे में शिक्षित करने ओर उनके हितों की रक्षा करने के किया जाएगा ।
निजी क्षेत्र में पेंशन (Private Sector Pension):
कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के द्वारा निजी क्षेत्र में भी पेंशन आदि का प्रावधान किया गया है । अब उन निजी उद्योगों, संगठनों में भी पेंशन योजना अनिवार्य की गयी है जहां न्यूनतम 20 कार्मिक स्थायी रूप से नियोजित हो । 10 वर्ष की न्यूनतम सेवा कार्मिक के लिए अनिवार्य रखी गयी है ।
पेंशन निर्धारण (Pension Fixation):
प्रत्येक कार्मिक के लिए पेंशन का निर्धारण करना होता है । कार्मिक की सेवावधि के संपूर्ण पारिश्रमिक का औसत निकाला जाता है । इसका आधा ही उसकी पेंशन होती है । लेकिन यह न्यूनतम 1275 प्रतिमाह और अधिकतम कुल वेतन का 50 प्रतिशत होती है । कुल मिलाकर वर्तमान वेतन का अधिकतम 40 प्रतिशत तक कार्मिक को प्रतिमाह पेंशन राशि मिल सकती है ।
भविष्य निधि (Provident Fund):
सेवा-निवृत्ति लाभ का यह एक अन्य रूप है जो कर्मचारी को एक साथ एक मुश्त दिया जाता है । इस कोष में कर्मचारी और सरकार दोनों का योगदान होता है ।
उपादान (Substance):
कर्मचारी को यह एक समय में एक मुश्त अदा की जाती है । यह तरह-तरह की होती है, जैसे सेवा उपादान, सेवानिवृत्ति उपादान, मृत्यु उपादान आदि ।
अवकाश-नगदीकरण (Leave Encashment):
कार्मिक के अर्जित अवकाश का (अधिकतम 300 दिनों के) नगदीकरण कर उसे भुगतान किया जाता है ।
बीमा लाभ (Insurance Benefits):
सामूहिक बीमा योजना (1980) जो बेहद कम प्रिमियम पर अंशदायी बीमा योजना है, के तहत सेवाकाल में मृत्यु होने पर कार्मिक के परिजनों को दोगुना भुगतान किया जाता है या सेवानिवृति पर कार्मिक को एक मुश्त धन दिया जाता है ।