Read this article in Hindi to learn about the methods used for recruitment of civil servants.
आधुनिक युग योग्यता का है । प्रत्येक क्षेत्र में योग्यता को महत्व दिया जा रहा है । अत: भर्ती पद्धति भी परंपरागत स्वरूप से हटकर योग्यता के आधुनिक स्वरूप को स्वीकार कर चुकी है ।
लोक प्रशासन का संगठन सम्पूर्ण देश में व्याप्त होता हैं, उसमें लाखों पद होते हैं । ये उच्च श्रेणी, मध्यम स्तर और निम्न स्तर में बंटे होते हैं । सरकारी कार्यों में बढ़ोतरी तथा प्रतिवर्ष हजारों कार्मिकों की सेवानिवृत्ति के कारण अनेक पद रिक्त होते है, जिन पर भर्ती की जाती हैं ।
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इन पदों को भरने के दो विकल्प सरकार के सामने होते हैं- देश के सभी योग्य उम्मीदवारों में से भर्ती करें या जो पहले से कार्य संगठन में निम्न पदों कार्यरत है, उन्हीं में से लेकर उच्च पदों को भर दे । उल्लेखनीय हैं कि मात्र उच्च पदों पर भर्ती ही ये दो विकल्प खुले होते है, अन्यथा कतिपय निम्न पदों पर भर्ती हेतु तो सीधी भर्ती ही एकमात्र विकल्प हो सकती हैं ।
फिर यह भी जरूरी नहीं होता कि अपेक्षित योग्यता के साथ आवश्यक संख्या में कार्मिक संगठन में मौजूद ही हो । सब भर्ती हेतु पहला विकल्प अपनाया जाता है, तो भर्ती के द्वारा देश के सभी योग्य उम्मीदवारों के लिए खुल जाते हैं, अत: ये खुली भर्ती कहलाती हैं ।
चुंकि चुने गये उम्मीदवार ऐसे भी होते हैं, जो पहले से संगठन में नहीं होते, अर्थात पहली बार सीधे उच्च पदों पर आसीन होते हैं- इसे सीधी भर्ती या प्रत्यक्ष भर्ती भी कहा जाता है । दुसरा विकल्प यह हैं, कि संगठन में पहले से कार्यरत व्यक्तियों को वरिष्ठता या योग्यता के आधार पर उच्च पदों नियुक्त कर दिया जाये ।
वस्तुत: यह भर्ती पदोन्नति हैं । भर्ती या संगठन में शामिल करने की प्रक्रिया है, और जो व्यक्ति पहले से संगठन का अंग है । उसकी उच्च पद पर नियुक्ति भर्ती कदापि नहीं कही जा सकती । हां यदि हम भर्ती का मात्र ”रिक्त पद पर नियुक्ति” के समुचित अर्थ में ले, तब पदोन्नति द्वारा नियुक्ति भी “भर्ती” कहलाएगी ।
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इस प्रकार आधुनिक भर्ती की दो प्रकार की पद्धतियां प्रचलित हैं:
1. बाहर से भर्ती और या प्रत्यक्ष भर्ती,
2. भीतर से भर्ती सर अप्रत्यक्ष भर्ती,
1. बाहर से भर्ती (Direct Recruitment):
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बाहर से भर्ती वस्तुत: सीधी भर्ती है । इससे आशय हैं रिक्त पद पर नियुक्ति के अवसर संगठन में कार्यरत कार्मिकों के साथ ही संगठन के बाहर स्थित व्यक्तियों को भी समान रुप से प्रदान करना । उच्च पदों पर अनुभवहीन व्यक्तियों के बैठ जाने के खतरे के बावजूद लगभग आधे पदों पर सीधी भर्ती इसकी विशेषताओं का लाभ उठाने के लोभवश ही की जाती हैं । इसमें देश के सभी योग्य उम्मीदवारों को भर्ती हेतु आमंत्रित किया जाता हैं । अत: सीधी भर्ती प्रजातांत्रिक है और सभी को समान अवसर प्रदान करती हैं ।
इसके गुण-दोष इस प्रकार हैं:
गुण:
(i) चयन का व्यापक क्षेत्र उपलब्ध रहता है, अत: अधिक योग्य व्यक्ति प्राप्त होने की संभावना ।
(ii) नया रक्त नयी विचारधारा तो लाता ही है, लोक सेवा में उत्साह और कर्मठता भी भरता है ।
(iii) समाज के नवोदित युवाओं को रोजगार उपलब्ध रहता है ।
(iv) यह प्रजातंत्र की भावना के अनुकूल हैं ।
दोष:
(i) उच्च पदों पर अनुभवहीन युवाओं की नियुक्ति से कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है ।
(ii) पहले से कार्यरत कार्मिकों की पदोन्नति आशा के साथ उसके उत्साह को समाप्त कर देती है ।
(iii) व्ययशील है क्योंकि भर्ती प्रक्रिया और नये भर्ती युवाओं को प्रशिक्षण देने पर व्यय होता हैं ।
(iv) युवाओं के अधीन अधिक आयु वाले व्यक्तियों को कार्य करना पड़ता है । इससे अनुभवी पुराने कार्मिकों में ईर्ष्या और निराशा पैदा होती है ।
2. पदोन्नति द्वारा भर्ती या भीतर से भर्ती:
यह अप्रत्यक्ष भर्ती है । इससे आशय है, संगठन में पहले से कार्यरत कार्मिकों में से ही योग्य व्यक्तियों को उच्च पदों पर नियुक्त करना ।
संगठन के भीतर के व्यक्तियों से ही उच्च पदों पर नियुक्ति दो आधारों पर हो सकती हैं- सरकार को जिस विभाग के पद रिक्त हो, उसी मात्र उसी विभाग के कार्मिकों से ही उच्च पद भरे जाएं, या सभी विभागों के कार्मिकों को किसी भी विभाग के उच्च पद पर पदोन्नत किया जा सके ।
वैसे पदोन्नति तो मात्र विभागीय ही होती हैं, लेकिन भर्ती के सन्दर्भ में ले तो यदि उच्च पद तकनीकी या प्राविधिक नहीं है, और सामान्य प्रशासन से संबंधित हैं, तो सभी लोक सेवकों को इस हेतु विचारार्थ लिया जाना चाहिए ।
इसके गुण दोष इस प्रकार हैं:
गुण:
(i) उच्च पदों पर अनुभवी व्यक्तियों की प्राप्ति होती है ।
(ii) निम्न पदों पर भी योग्य कार्मिक आ जाते हैं-भविष्य में पदोन्नति की आशा से ।
(iii) यह अत्यधिक मितव्ययी है ।
(iv) कार्मिकों में उत्साह बना रहता है और वे लगन से काम करते हैं ।
दोष:
भीतर से भर्ती के दोष अधिक नुकसानदायक हैं ।
जैसे:
(i) लोक सेवा बाहरी योग्यता से वंचित हो जाती है ।
(ii) नये खून से वंचित लोक सेवा में रूढ़िवादिता और जड़ता का विकास होता है ।
(iii) कार्यकुशलता हतोत्साहित होती हैं, लोक सेवा कामचोरों का आश्रय स्थल बन जाती हैं ।
(iv) समाज की प्रतिभाओं में नैराश्य भाव उत्पन्न होता है ।
(v) प्रजातांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन होता है ।
वस्तुत: दोनों में से किसी एक भर्ती प्रणाली को चुनने के अपने खतरे हैं, अत: लगभग सभी देशों में इन दोनों का प्रयोग किया जाता हैं । निम्न पदों पर प्रत्यक्ष भर्ती को तथा उच्च पदों पर पदोन्नति द्वारा भर्ती को अधिक उपयुक्त माना जाता है, तथा प्रत्येक स्तर के पदों पर कुछ पद प्रत्यक्ष भर्ती से तथा कुछ पर विभागीय भर्ती से भरे जाते हैं- इनका अनुपात तय करते समय देश की संरचना को ध्यान में रखा जाना चाहिए ।
ब्रिटेन में उच्च पदों का 80 प्रतिशत सीधी भर्ती से ही भरा जाता है । जबकि अमेरिका में अधिकांश पद पदोन्नति द्वारा भरे जाते हैं । भारत में उच्च पदों पर पदोन्नति और प्रत्यक्ष भर्ती का अनुपात 45:55 हैं, लेकिन तृतीय श्रेणी के पदों तक पहुंचते यह अनुपात काफी बढ़ जाता हैं ।
भर्ती की आदर्श प्रणाली (Ideal System of Recruitment):
भर्ती के प्रकार चाहे जो हो, लोकसेवा की कार्यकुशलता इस बात पर अधिक निर्भर करती है कि भर्ती की प्रणाली का स्वरूप क्या है । यदि लोक सेवा में दोष उत्पन्न होते हैं तो शंका की पहली सुई भर्ती प्रणाली की तरफ ही घुमती है ।
एल. डी. व्हाइट ने एक श्रेष्ठ भर्ती प्रणाली की चार प्रमुख विशेषताओं का वर्णन किया है:
1. नियोक्ता एजेन्सी की निष्पक्षता ।
2. भर्ती में ईमानदारी अर्थात सिफारिश, रिश्वत का अभाव ।
3. परिवर्तनोन्मुखी अर्थात् बदलती परिस्थितियों के अनुरूप प्रगतिशीलता और
4. आधुनिक भर्ती तकनीकों का प्रयोग ।