Read this article in Hindi to learn about the criteria and benefits for retirement of civil servants.
कार्मिक के स्वास्थ्य और संगठन की कार्यकुशलता दोनो के लिए आवश्यक है । यह कार्मिक के प्रति प्रशासन का नैतिक दायित्व है कि उसकी वृद्धावस्था में उसे आर्थिक लाभ सहित विश्राम दिया जाए । लोक सेवा का जीर्णोद्धार होता है क्योंकि रिक्त पद पर नया खून आता है । यह वृत्तिक लोक सेवा की विशेषता है । इससे योग्य व्यक्ति लोकसेवा की तरफ आकर्षित होते है । कार्मिक ईमानदारी से नौकरी करते है ।
आधार:
सेवानिवृत्ति के विभिन्न आधार हो सकते है, जैसे:
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1. आयु- विभिन्न देशों में यह अलग-अलग हो सकती है । जैसे अमेरिका में 65-70 हैं जबकि भारत में 58-62 ।
2. शारीरिक या मानसिक अक्षमता होने पर ।
3. कार्मिक की मृत्यु होने पर उसके आश्रितों को सेवानिवृत्ति के लाभ दिए जाते है ।
4. यदि कार्मिक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लें ।
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5. यदि सरकार स्वयं उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दें दे ।
6. यदि निश्चित सेवावधि पूरी कर ले ।
उल्लेखनीय है कि प्रशासनिक सुधार आयोग ने सेवानिवृत्ति पर अनेक सुझाव दिए थे:
1. जैसे 15 वर्ष की सेवावधि के आधार भी सेवानिवृत्ति की एच्छिकता का अधिकार हो ।
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2. अस्थायी कार्मिको को भी न्यूनतम 10 वर्ष की सेवावधि उपरांत सेवानिवृत्ति के लाभ मिले ।
सेवानिवृत्ति लाभ (Retirement Benefits):
सेवानिवृत्ति के उपरांत सरकार द्वारा कार्मिक को पेंशन, ग्रेच्यूटी, भविष्यनिधि, अवकाश-नगदीकरण, बीमा-लाभ आदि प्रदान किए जाते है ।
इन लाभों को प्रदान करने हेतु सरकार के पास तीन विकल्प होते है:
1. अंशदायी पद्धति जिसमें कर्मचारी के वेतन ही कटोति कर ये लाभ जुटाये जाते हैं अर्थात् मात्र कार्मिक का अंशदान होता है, सरकार का नहीं ।
2. आंशिक अंशदान में कार्मिक और सरकार उक्त लाभों को जुटाने में योगदान करते हैं ।
3. अ-अंशदायी पद्धति में पूरा भार सरकार उठाती है ।
निष्कर्षत:
सेवानिवृत्ति इस सामाजिक सिद्धांत पर आधारित है कि जिस व्यक्ति ने अपनी युवावस्था सरकार की में गुजार दी है उसके की आर्थिक देखभाल सरकार करना चाहिए । इससे कार्मिक का मनोबल ऊंचा रहता और वे निश्चिंत होकर ईमानदारी से संगठन की सेवा करते है ।