Read this article in Hindi to learn about the procedure for training civil servants in India.

स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारतीय लोक सेवा के परिवीक्षाकालीन सदस्यों को ऑक्सफोर्ड, कैब्रिज, लंदन और डबलिन के चार विश्वविद्यालयों में एक या दो वर्ष का सामान्य प्रशिक्षण दिया जाता था । द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब प्रशिक्षण देने में कठिनाई आई तो देहरादून में अस्थायी प्रशिक्षण कैंप लगाया गया ।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद आइसीएस का स्थान आई.ए.एस. ने ले लिया और वर्ष 1947 में दिल्ली स्थिति मेटकॉफ हाउस में आई.ए.एस. प्रशिक्षण स्कूल स्थापित किया गया । इसमें आई.ए.एस. परिवीक्षाधीन सदस्यों को एक वर्ष का बहुउद्‌देशीय प्रशिक्षण दिया जाने लगा ।

वर्ष 1957 में शिमला में आई.ए.एस. स्टाफ कॉलेज की स्थापना 6 से 10 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके वरिष्ठ आई.ए.एस अधिकारियों को पुनश्चर्या प्रशिक्षण देने के लिए की गई । वर्ष 1959 में दिल्ली और शिमला स्थित इन दोनों संस्थाओं को मिलाकर मसूरी में राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी की स्थापना हुई । तब से अब तक यह अकादमी आई ए एस के परिवीक्षाधीन सदस्यों को प्रशिक्षण प्रदान करती आ रही है ।

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आई.ए.एस. के प्रशिक्षण कार्यक्रम में निम्नलिखित विषय शामिल हैं:

1. आधारभूत प्रशिक्षण – 4 माह

2. व्यावसायिक प्रशिक्षण (प्रथम चरण) – 2 माह

3. राज्य में जिला स्तर का प्रशिक्षण – 12 माह

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4. व्यावसायिक प्रशिक्षण (द्वितीय चरण) – 3 माह

5. योग – 21 माह

राष्ट्रीय अकादमी द्वारा आयोजित आधारात्मक प्रशिक्षण पदक्रम अखिल भारतीय सेवा में नवागंतुकों अर्थात आई.ए.एस., आई.पी.एस. और आई.एफ.एस. (भारतीय वन सेवा) के परिवीक्षाधीन सदस्यों केंद्रीय सेवा ग्रुप ए (भारतीय विदेश सेवा सहित) जिसमें केंद्रीय सचिवालय सेवा शामिल नहीं है के लिए संयुक्त प्रशिक्षण पाठ्‌यक्रम होता है ।

अकादमी में यह संयुक्त प्रशिक्षण एक ही स्थान पर निम्नलिखित उद्देश्य से प्रदान किया जाता है:

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1. उच्चतर लोक सेवा के सदस्यों में आपसी संबद्धता की भावना और समान तथा व्यापक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए ।

2. संवैधानिक आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, विधायी, प्रशासनिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों की जानकारी देने के लिए जिसमें प्रशासकों को कार्य करना और अपना योगदान देना होता है ।

3. परिवीक्षाधीन सदस्यों में व्यावसायिक, प्रशासनिक तथा मानवीय मूल्यों को मन में बैठाने के लिए ।

आधारात्मक प्रशिक्षण पूरा होने के बाद अन्य सेवाओं के अधिकारियों को व्यासायिक प्रशिक्षण के लिए संबद्ध प्रशिक्षण संस्थानों में भेज दिया जाता है जब कि आई.ए.एस. के परिवीक्षाधीन सदस्यों को व्यावसायिक प्रशिक्षण (जिसे सांस्थानिक प्रशिक्षण भी कहते हैं) के लिए अकादमी में ही रोक लिया जाता है ।

वर्ष 1969 में, आई.ए.एस. के परिवीक्षाधीन सदस्यों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश पर ‘सैंडविच’ नामक पाठ्यक्रम शामिल कर इस कार्यक्रम में बदलाव लाया गया था । तब से, परिवीक्षाधीन सदस्यों को अकादमी में व्यावसायिक प्रशिक्षण एक वर्ष के अंतराल पर दो चरणों में प्रदान किया जाता है । एक वर्ष के इस अंतराल का उपयोग राज्यों में जिला स्तर का प्रशिक्षण प्रदान करके किया जाता है जिसे कार्यक्षेत्र या व्यावहारिक प्रशिक्षण भी कहते हैं ।

आई.ए.एस. के परिवीक्षाधीन सदस्य व्यावसायिक/सांस्थानिक प्रशिक्षण के प्रथम चरण में भारतीय प्रशासन, जिला प्रशासन, भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, संवैधानिक और विधायी प्रणाली आर्थिक नियोजन और अन्य से जुड़ी समस्याओं का विस्तृत अध्ययन करते हैं । इसके बाद उन्हें आबंटित राज्य में फील्ड ट्रेनिंन के लिए भेज दिया जाता है । आई.ए.एस. के परिवीक्षाधीन सदस्यों की तैनाती स्थल का निर्धारण राज्य सरकार का मुख्य सचिव करता है ।

इस प्रशिक्षण के विषय इस प्रकार हैं:

1. राज्य प्रशिक्षण स्कूल मैं सांस्थानिक प्रशिक्षण

2. कलेक्टर की देख रेख में जिले में व्यावहारिक प्रशिक्षण

3. राज्य सचिवालय में प्रशिक्षण

राज्य में एक वर्ष के इस प्रशिक्षण की समाप्ति के बाद परिवीक्षाधीन सदस्य पुन: राष्ट्रीय अकादमी आते हैं जहाँ उनको दूसरे चरण का व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है । इस अवस्था पर परिवीक्षाधीन अपना ध्यान उन समस्याओं और प्रश्नों पर लगाते है जो उनके व्यावहारिक प्रशिक्षण के दौरान आई थीं या जिनका उन्होंने अनुभव किया था । इस चरण का प्रशिक्षण समस्या अभिमुख अधिक होता है । और इसके साथ ही परिवीक्षाधीन आई.ए.एस. का 21 माह का प्रशिक्षण चक्र पूरा होता है ।

भारतीय पुलिस सवा का प्रशिक्षण (Training of IPS):

आई.पी.एस. के प्रशिक्षण कार्यक्रम के विभिन्न घटक हैं:

1. आधारभूत प्रशिक्षण – 4 माह

2. व्यावसायिक प्रशिक्षण (प्रथम चरण) – 12 माह

3. राज्य में जिला स्तर का प्रशिक्षण – 8 माह

4. व्यावसायिक प्रशिक्षण (द्वितीय चरण) – 3 माह

5. योग – 27 माह

भारतीय पुलिस सेवा के परिवीक्षाधीन सदस्यों को आचारात्मक प्रशिक्षण अखिल भारतीय सेवा के अन्य अधिकारियों/सदस्यों के साथ-साथ लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (मसूरी) में दिया जाता है । संयुक्त आधारात्मक प्रशिक्षण पूरा होने के बाद आई.पी.एस. प्रोबेशनरों को सरदार बल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय अकादमी (हैदराबाद) में व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है । पुलिस प्रशिक्षण से संबंधित गोरे समिति (1974) की सिफारिश पर आई.पी.एस. प्रोबेशनरों के व्यासायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में ‘सैंडविच’ नाम से एक नया पाठ्‌यक्रम शामिल कर वर्ष 1986 में उसमें बदलाव लाया गया । यह नया पाठ्क्रम आई.पी.एस प्रोबेशनर के ‘सैंडविच’ पाठयूकम की तर्ज पर ही है ।

इसलिए वर्ष 1986 से आई.पी.एस. प्रोबेशनरों को भी व्यावसायिक प्रशिक्षण दो चरणों में नेशनल पुलिस अकादमी (हैदराबाद) में 8 महीने के अंतराल (35 सप्ताह) पर लेना होता है । इस अंतराल का उपयोग राज्यों में जिला स्तर के (फील्ड ट्रेनिंग या प्रैक्टिक्त ट्रेनिंग) प्रशिक्षण में किया जाता है ।

भारतीय वन सेवा (इंडियन फॉरेस्ट सर्विस) का प्रशिक्षण:

भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीन अधिकारियों को 3 वर्षों के लिए प्रेरक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के विभिन्न घटक और उनकी अवधि नीचे दी गयी है ।

(i) आधारभूत प्रशिक्षण – 4 माह

(ii) पेशेवर प्रशिक्षण – 24 माह

(iii) कैडर राज्यों में सेवाकालीन प्रशिक्षण – 8 माह

कुल – 36 माह

आईएफएस अधिकारियों को आधारभूत प्रशिक्षण अखिल भारतीय एवं अन्य केन्द्र सेवाओं के परिवीक्षाधिकारियों के साथ लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (मसूरी) में प्रदान किया जाता है । इसके बाद उन्हें पेशेवर प्रशिक्षण के लिए इन्दिरा गाँधी नेशनल फरिस्ट अकेडमी (देहरादून) में भेज दिया जाता है ।

भारतीय विदेश सवा का प्रशिक्षण (Training of IFS):

आई.एफ.एस. परिविक्षाधीनों को दिये जाने वाले प्रशिक्षण की अवधि तीन वर्ष है ।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के विभिन्न घटक तथा उनकी अवधि इस प्रकार है:

आई.एफ.एस. के परिवीक्षाधीनों के लिए प्रारंभिक प्रशिक्षण की यह प्रणाली वर्ष 1987 से लागू है । इससे पहले सात चरणों की प्रशिक्षण प्रणाली थी जिसमें 6 माह का जिला स्तरीय प्रशिक्षण भी था । प्रोबेशनरों को इंडियन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, नई दिल्ली’ में सांस्थानिक प्रशिक्षण दिया जाता था । बाद में इस संस्थान का नाम विदेश सेवा संस्थान रखा गया ।

अन्य उच्च सेवाओं का प्रशिक्षण (Training of Other Higher Services):

मसूरी में 4 माह की अवधि का संयुक्त आधारात्मक प्रशिक्षण पूरा होने के बाद विभिन्न उच्च सिविल सेवाओं के परिवीक्षाधीनों (प्रोबेशनरों) को व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए संबद्ध प्रशिक्षण संस्थानों को भेज दिया जाता है ।

इस संदर्भ में निम्नलिखित बातें उल्लेखनीय हैं:

1. भारतीय लेखा और लेखा परीक्षा सेवा के परिवीक्षाधीनों को व्यावसायिक प्रशिक्षण भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा कर्मचारी प्रशिक्षण कालेज (‘इंडियन ऑडिट एंड एकाउंट्‌स सर्विस स्टाफ ट्रेनिंग कॉलेज’) शिमला में दिया जाता है ।

2. आयकर सेवा के प्रोबेशनरों को व्यावसायिक प्रशिक्षण ‘भारतीय राजस्व सेवा (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) प्रत्यक्ष कर प्रशिक्षण संस्थान, नागपुर’ में दिया जाता है ।

3. रेल सेवा के प्राबेशनरों को ‘रेलवे स्टाफ कॉलेज बड़ौदा बड़ोदरा)’ में प्रशिक्षित किया जाता है ।

4. केंद्रीय सचिवालय सेवा के प्रोबेशनरों को आधारात्मक प्रशिक्षण और व्यावसायिक प्रशिक्षण दोनों सचिवालय प्रशिक्षण तथा प्रबंध संस्थान नई दिल्ली में दिए जाते हैं । केंद्रीय सचिवालय सेवा के प्रोबेशनरों को मसूरी में 4 माह की अवधि के आधारात्मक प्रशिक्षण में शामिल नहीं होना होता है ।

5. भारतीय डाक सेवा के प्रोबेशनरों को ‘पोस्टल स्टाफ कॉलेज, गाजियाबाद’ (उत्तर प्रदेश) में प्रशिक्षित किया जाता है ।

6. भारतीय वन सेवा के प्रोबेशनरों को दो वर्षीय प्रशिक्षण ‘राष्ट्रीय वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून’ में दिया जाता है ।

7. भारतीय उत्पाद सीमाशुल्क सेवा के प्रोबेशनरों को ‘कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज ट्रेनिंग स्कूल, फरीदाबाद’ में प्रशिक्षित किया जाता है ।

8. भारतीय सूचना सेवा के प्रोबेशनरों को व्यावसायिक प्रशिक्षण ‘इंडियन इंस्टीट्‌यूट आफ माँस कम्यूनिकेशन नई दिल्ली’ में दिया जाता है ।

विभिन्न उच्च लोक सेवाओं के प्रोबेशनरों को दिए जाने वाले दीर्घकालिक व्यावसायिक प्रशिक्षण के निम्नलिखित दो घटक हैं:

(i) संबद्ध प्रशिक्षण संस्थानों में सैद्धांतिक दिशानिर्देशन ।

(ii) वरिष्ठ अधिकारियों के मार्ग दर्शन में फील्ड में प्रैक्टिकल प्रशिक्षण ।