Read this article in Hindi to learn about the training provided to various civil servants.

1. आई. ए. एस. का प्रशिक्षण (Training of I.A.S):

यह लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी मसूरी में दिया जाता है जो 1959 में अस्तित्व में आयी । 1969 से ”सैन्डविच” प्रशिक्षण के तहत उन्हें अकादमी फील्ड और पुन: अकादमी में प्रशिक्षण दिया जाता है । हितेन्द्र माया समिति और रामचंद्र समिति आदि ने आई.ए.एस. प्रशिक्षण प्रणाली में सुधार किये ।

I.A.S. प्रशिक्षण कार्यक्रम:

वर्तमान में आई.ए.एस. को 21 माह का सेण्डविच प्रशिक्षण (मुख्यालय-फिल्ड-मुख्यालय) इस प्रकार दिया जाता है:

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आधारभूत प्रशिक्षण (Foundation Training):

मसूरी में उपर्युक्त आधारभूत प्रशिक्षण (4 माह) आई.ए.एस. के साथ ही आई.पी.एस. आई.एफ.एस. (जिनमें केन्द्रीय सचिवालय सेवा के सदस्य शक्ति नहीं है) का संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम जिसके पीछे उद्देश्य है ।

1. उच्च लोक सेवा के सदस्यों परस्पर भावनात्मक, एकात्मक और व्यापकतम दृष्टिकोण का विकास करना ।

2. उस सम्पूर्ण परिवेश (संवैधानिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, प्रशासनिक, सांस्कृतिक) से सदस्यों को समान रूप से अवगत कराना जिनमें रहकर उन्हें कार्य करना है ।

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3. सदस्यों के मध्य सेवागत प्रशासनिक और मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को समान रुप से सुनिश्चित करना ।

आई.ए.एस. का व्यवसायिक प्रशिक्षण (प्रथम चरण):

संयुक्त प्रशिक्षण के उपरांत जहां अन्य सेवाओं के सदस्य अपने व्यवसायगत प्रशिक्षण के लिये विशेष प्रशिक्षण केन्द्रों पर चले जाते है, वहीं आई.ए.एस. अपना व्यवसायिक प्रशिक्षण मसूरी में ही रूककर ग्रहण करते हैं । 1969 से लागू सेण्डविच प्रशिक्षण के तहत व्यवसायिक प्रशिक्षण दो चरणों में दिया जाता है । प्रथम चरण में उन्हें भारतीय प्रशासन, जिला प्रशासन, संवैधानिक-विधायी प्रणाली, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय दण्ड संहिता, नियोजन आदि मुद्दों पर विस्तृत और विश्लेषणात्मक प्रशिक्षण दिया जाता है ।

जिला प्रशिक्षण (फील्ड ट्रेनिंग):

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इसके बाद आई.ए.एस. को संबंधित कॉडर राज्य में भेज दिया जाता है, जहां मुख्य सचिव उनके प्रशिक्षण स्थल का निर्धारण और उनकी नियुक्ति करता है । यहां भी उन्हें तीन तरह का प्रशिक्षण (सेंडविच पेटर्न) दिया जाता है ।

i. राज्य के प्रशिक्षण संस्थान में संस्थानिक प्रशिक्षण ।

ii. जिले में कलेक्टर की देख रेख में व्यवहारिक प्रशिक्षण और

iii. राज्य सचिवालय में प्रशिक्षण ।

2. आई.पी.एस. का प्रशिक्षण (Training of I.P.S):

पहले माउंट आबू में स्थापित पुलिस कॉलेज (1948) में प्रशिक्षण दिया जाता था । 1977 में सरदार वल्लभ भाई पुलिस अकादमी के रूप में इसे हैदराबाद स्थानांतरित कर दिया गया, कोहली समिति की अनुशंसा पर । भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों को कुल 27 माह का प्रशिक्षण दिया जाता है ।

जिसके निम्नलिखित 4 भाग हैं:

1. आधारक प्रशिक्षण : 4 माह

2. व्यवसायिक प्रशिक्षण (प्रथम चरण) : 12 माह

3. जिला स्तर पर प्रशिक्षण (फील्ड ट्रेनिंग) : 8 माह

4. व्यवसायिक प्रशिक्षण (द्वितीय चरण) : 3 माह कुल : 27 माह

आधारभूत संयुक्त प्रशिक्षण (Foundation Training):

आई.पी.एस. को यह प्रशिक्षण उक्त वर्णित आई.ए.एस. के आधारभूत प्रशिक्षण के साथ ही संयुक्त रूप से दिया जाता है और इसके भी वही उद्देश्य होते हैं ।

व्यवसायिक प्रशिक्षण:

आधारभूत प्रशिक्षण के उपरान्त आई.पी.एस. सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भेजे जाते है । गोरे समिति (1974) की अनुशंसानुसार आई.पी.एस. को भी अब आई.ए.एस. की भांति सैण्डविच ट्रैनिंग 1986 से दी जाने लगी है । तदनुरूप उन्हें व्यवसायिक-फिल्ड-व्यवसायिक के चक्र में प्रशिक्षण दिया जाता है ।

व्यवसायिक प्रशिक्षण (प्रथम चरण) में आई.पी.एस. को भारतीय दण्ड संहिता, अपराधिक प्रक्रिया संहिता संवैधानिक और विधायी प्रणाली, अपराधों के सामाजिक-आर्थिक-मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य, पुलिस एक्ट और सुधार इत्यादि का प्रशिक्षण दिया जाता है । यहां 16 सप्ताह का आधारभूत प्रशिक्षण और संस्थागत प्रशिक्षण दिया जाता है । इसके बाद 3-4 सप्ताह दिल्ली या इंदौर में अस्त्र-शस्त्र का प्रशिक्षण और 4 सप्ताह का प्रशिक्षण पंजाब में सैन्य विभाग में दिया जाता है ।

जिला प्रशिक्षण (फिल्ड ट्रेनिंग):

इसके बाद आई.पी.एस. को सबंधित कॉडर राज्य में व्यवहारिक प्रशिक्षण (35 सप्ताह) के लिये भेजा जाता है । यहां वे अस्त्र-शस्त्र संचालन और एस.डी.ओ.पी. के रूप में अपराध नियंत्रण के विभिन्न पहलुओं का प्रशिक्षण लेते है । वे जिला पुलिस अधीक्षक के निदेशन में इस दौरान रहते हैं ।

व्यवसायिक प्रशिक्षण (द्वितीय चरण):

पुन: राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में आकर 14 सप्ताह तक व्यवहारिक समसयाओं के संदर्भ में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं ।

इस प्रकार आई.पी.एस. को दिये जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम का ब्योंरा इस प्रकार है:

i. आधारभूत प्रशिक्षण : 4 माह

ii. व्यवसायिक प्रशिक्षण (प्रथम चरण) : 12 माह

iii. जिला स्तर पर प्रशिक्षण (फील्ड ट्रेनिंग) : 8 माह

iv. व्यवसायिक प्रशिक्षण (द्वितीय चरण) : 3 माह कुल : 27 माह

3. आई.एफ.एस. (विदेश सेवा) का प्रशिक्षण [Training of IFS (Foreign Service)]:

इन्हें पहले मसूरी में आई.ए.एस. के साथ ही संस्थागत आधारभूत प्रशिक्षण प्राप्त होता है, फिर सचिवालय में प्रशिक्षण दिया जाता है । पिल्लई समिति इस प्रशिक्षण से संबंधित है । इनको सर्वाधिक 3 वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाता है । 1986 में इंडियन स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडिज, दिल्ली का नाम बदलकर “फारेन सर्विस इंस्टिट्‌यूट दिल्ली” कर दिया गया है ।

भारतीय विदेश सेवा का प्रशिक्षण:

सर्वाधिक अवधि (3 वर्ष) का प्रशिक्षण विदेश सेवा के अधिकारियों को दिया जाता है ।

1. आधारभूत प्रशिक्षण (मसूरी में) : 4 माह

2. व्यवसायिक प्रशिक्षण : 12 माह

(विदेश सेवा संस्थान, नई दिल्ली में)

3. विदेश मंत्रालय में कार्यगत प्रशिक्षण : 6 माह

4. विदेश स्थित भारतीय मिशन में भाषा : 14 माह

संबंधी प्रशिक्षण

कुल : 36 माह

(i) आई.एफ.एस. का उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम 1987 से लागू है ।

(ii) 1987 के पूर्व आई.एफ.एस. को 7 चरणों में प्रशिक्षण दिया जाता था, जिसमें 6 माह का जिला स्तरीय प्रशिक्षण भी शामिल था । 1987 से यह प्रणाली समाप्त कर दी गयी ।

(iii) विदेश सेवा संस्थान, नई दिल्ली का नाम पहले इंडियन स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज था ।

(iv) आई.एफ.एस. को आधारभूत प्रशिक्षण आई.ए.एस. और अन्य के आधारभूत प्रशिक्षण के साथ ही संयुक्त रूप से दिया जाता है और इसके भी वही उद्देश्य होते हैं ।

4. भारतीय लेखा सेवा प्रशिक्षण (Indian Accounting Services Training):

यह शिमला में 1 वर्ष के लिए दिया जाता है ।

5. भारतीय राजस्व सेवा प्रशिक्षण (Indian Revenue Service Training):

नागपुर में स्थापित राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी में 16 माह का प्रशिक्षण दिया जाता है ।

विशेष तथ्य:

(i) प्रशिक्षण की शुरूवात 1803 में वेलेजली ने विलियम फोर्ट (कलकत्ता) में की थी ।

(ii) सर्वप्रथम मैटकाफ हाउस में 1948 में आई.ए.एस. प्रशिक्षण शाला स्थापित की गयी थी । इसे 1956 में समाप्त किया गया । मसूरी में राष्ट्रीय प्रशिक्षण अकादमी वर्ष 1959 में स्थापित हुई । 3 वर्ष बाद इसका नाम लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर रखा गया ।

(iii) एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज 1957 में हैदराबाद में स्थापित किया गया । इंग्लैंड के हैनरी कॉलेज के आदर्श पर यहां निजी व लोक सेवा दोनों का प्रशिक्षण दिया जाता है । यह एक स्वायत्त संस्थान है ।

(iv) राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान, हैदराबाद में सामूहिक विकास से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है । यह ग्रामीण विकास में अनुसंधान भी करती है ।

(v) भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली 1954 में ऐपीलबी की अनुशंसा पर स्थापित हुआ था । यह सेवारत कार्मिकों को प्रशिक्षण देती है । यह अर्धशासकीय संस्थान (Quasi-Government) है ।