Read this article in Hindi to learn about:- 1. तुलनात्मक लोक प्रशासन के उददेश्य (Objective of Comparative Public Administration) 2. तुलनात्मक लोक प्रशासन के मान्यताएं (Assertions of Comparative Public Administration) 3. विशेषताएं (Characteristics) and Other Details.
तुलनात्मक लोक प्रशासन के उददेश्य (Objectives of Comparative Public Administration):
तुलनात्मक लोक प्रशासन के सामान्य उद्देशय हैं:
1. किसी भी प्रशासनिक प्रणाली का अध्ययन करके उसकी विशेषताओं को रेखांकित करना ।
ADVERTISEMENTS:
2. उन कारणों का पता लगाना जो भिन्न संस्कृतियों में प्रशासनिक भिन्नता को जन्म देते है।
3. विभिन्न प्रशासनिक प्रणालियों और मॉडलों का तुलनात्मक अध्ययन करके यह पता लगाना कि उनमें से कौन किस परिस्थिति में सफल या असफल होगी ।
4. उपर्युक्त आधार पर प्रशासनिक सुधार करना । (यह उद्देश्य तुलनात्मक लोक प्रशासन को विकास प्राशासन बना देता है) ।
5. उपर्युक्त आधारों पर प्रशासन के संस्कृति निरपेक्ष सार्वभौमिक सिद्धान्तों का निर्माण करना ।
ADVERTISEMENTS:
6. लोक प्रशासन के अध्ययन-विश्लेषण में आदर्श और व्यवहार दोनों का समन्वय करना ।
सारांशत:
तु. लो. प्रशासन के दो प्रमुख उद्देश्य हैं:
ADVERTISEMENTS:
(1) सिद्धान्त निर्माण और
(2) विकासशील देशों की प्रशासनिक समस्याएं अर्थात विकास प्रशासन ।
तुलनात्मक लोक प्रशासन के मान्यताएं (Assertions of Comparative Public Administration):
राबर्ट जैक्सन ने ”एन एनालिसिस आफ द कम्पेरिटिव एडमिनिस्ट्रेशन मूवमेन्ट” में तुलनात्मक लोक प्रशासन की 4 प्रमुख मान्यताएं बतायी हैं:
1. लोक प्रशासन का विज्ञान इसमें प्रशासनिक व्यवहार की ऐसी प्रवृत्तियां होती हैं, जिनका विश्लेषण किया जा सकता है और फलस्वरूप सिद्धान्त विकसित किए जा सकते है । यद्यपि यह एक निष्कंटक मार्ग नहीं है ।
2. लोक प्रशासन के वैज्ञानिक स्वरूप के लिए आवश्यक है कि प्रशासन का अनुसंधान संकर सांस्कृतिक और संकर राष्ट्रीय सन्दर्भों में हो ।
3. उक्त ”अध्ययन-अनुसंधान से प्राप्त निष्कर्षों (जिन्हें सिद्धान्त कहा जाता है) का तुलनात्मक विश्लेषण द्वारा ही परीक्षण करना चाहिए ।
4. इस प्रकार जो सामान्यीकरण प्राप्त होंगे उनके आधार पर परिकल्पनाएं विकसित होंगी, जो सामान्य सिद्धान्तों को जन्म देगी (यद्यपि इनमें सार्वभौमिकता और प्रायोगिकता का स्तर कम हो सकता है) ।
तुलनात्मक लोक प्रशासन की विशेषताएं (Characteristics of Comparative Public Administration):
तुलनात्मक लोक प्रशासन की निम्नलिखित विशेषताएं सामने आती हैं:
1. लोक प्रशासन के अध्ययन में नवीन विषय क्षेत्र है ।
2. यह सरकारी प्रशासनों का अध्ययन है, निजी प्रशासनों का नहीं ।
3. सामान्य रूप से इसके अन्तर्गत दो या अधिक प्रशासनिक प्रणालियों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है ।
4. यह लोक प्रशासन के अध्ययन में अन्तरविषयक दृष्टिकोण है ।
5. इसका उद्देश्य सिद्धान्त निर्माण है- लेकिन परम्परागत सिद्धान्तों के स्थान पर अनुभव संबंधी व्यवहारिक और पारिस्थितिकीय सिद्धान्तों की खोज इसका केन्द्रीय तत्व है ।
6. यह लोक प्रशासन को व्यवहारिक विज्ञान बनाने का प्रयत्न है ।
7. यह प्रशासन की पारिस्थितकीय पर सर्वाधिक बल देता है ।
8. यह लोक प्रशासनों की तुलना प्रति सांस्कृतिक (Cross Cultural) आधारों पर करता है ।
9. यह प्रशासनिक विकास का रास्ता बताता है अर्थात विकास प्रशासन से संबंधित है लेकिन उससे बहुत व्यापक है ।
10. यह लोक प्रशासन से इतर एक अलग अध्ययन विषय भी बन गया है ।
11. इसका स्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय है ।
12. इसके अध्ययन की दो मुख्य धाराएं है- अन्तर सांस्कृतिक और अन्तर्राष्ट्रीय । अन्तर सांस्कृतिक अध्ययन भिन्न संस्कृतियों के सन्दर्भ में होते है, चाहे वे एक देश के भीतर हो या विभिन्न देशों की सांस्कृतियों के सन्दर्भ में हो ।
13. अनेक विधाओं के विद्वानों के प्रवेश और उनके उत्साहपूर्ण भाग ने तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन में अनेक ऐसे उपागमों का विकास किया है, जो परस्पर विरोधी भी है ।
14. लोक प्रशासन की भांति तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन विकास में भी अमेरिकी विद्वानों का वर्चस्व रहा है ।
15. तुलनात्मक लोक प्रशासन का दोहरा सरोकार है- सिद्धान्त निर्माण और विकासशील देशों की समस्याएं ।
16. इसके अध्ययन में पारिस्थितिकीय, अनुभवातित के साथ मूल्यपरकता का जोर रहा है ।
तुलनात्मक लोक प्रशासन के क्षेत्र (Scope of Comparative Public Administration):
इसका क्षेत्र अत्यंत विस्तृत होता जा रहा हैं:
1. अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र:
दो देशों के प्रशासन या उनके अंगो/घटकों की तुलना । जैसे भारत के वित्त प्रशासन और ब्रिटेन के वित्त प्रशासन की तुलना ।
2. अंतरदेशीय क्षेत्र:
एक ही देश के दो राज्यों या दो क्षेत्रों में स्थिति प्रशासनिक घटकों की तुलना जैसे, मध्यप्रदेश के कार्मिक प्रशासन और छत्तीसगढ़ के कार्मिक प्रशासन की
तुलना ।
3. अंतर सांस्कृतिक क्षेत्र:
दो भिन्न संस्कृति में स्थित एक ही प्रशासन की तुलना जैसे, पूर्वोत्तर की संस्कृति में गृह प्रशासन और दक्षिण भारतीय संस्कृति में स्थित गृह प्रशासन में तुलना ।
4. संकर सांस्कृतिक क्षेत्र:
दो ऐसी संस्कृतियों के प्रशासन की तुलना जिनमें भारी अंतर हो । थाइलैण्ड की संस्कृति में स्थित प्रशासन और अमेरिकी संस्कृति में स्थित प्रशासन ।
5. संकर सामयिक:
दो अलग युगों के प्रशासनों की तुलना जैसे अशोक और अकबर के प्रशासन की तुलना ।
तुलनात्मक लोक प्रशासन के प्रकृति (Nature of Comparative Public Administration):
फैरल हेडी ने इसकी 4 प्रकृति बतलायी है:
1. सुधरी हुई पारस्परिक प्रकृति:
इसमें किसी देश की प्रशासनिक प्रणाली का अध्ययन विकसित देशों की संबंधित संस्थाओं के सन्दर्भ में किया जाता है, जिससे उस देश की प्रशासनिक प्रणाली में सुधार लाया जाता है ।
2. विकासमान प्रकृति:
तीव्र सामाजिक-आर्थिक विकास के कारण उत्पन्न समस्याओं का तुलनात्मक अध्ययन इसके अन्तर्गत किया जाता है ।
3. सामान्य प्रणाली प्रारूप:
प्रशासनिक संस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन सामाजिक पर्यावरण के सन्दर्भ में किया जाता है ।
4. मध्यवर्ती सिद्धान्तों का प्रारूप:
प्रशासनिक संगठन की किसी निश्चित प्रक्रिया का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है ।
रिग्स द्वारा निर्धारित प्रकृति:
रिग्स ने “ए ट्रेन्ड इन कम्पेरेटिव स्टडी ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन” (1962) में तुलनात्मक लोक प्रशासन की उभर रही 3 प्रवृत्तियों का जिक्र किया:
1. आदर्शात्मक से व्यवहारिक और अनुभव संबंधी उन्मुखता:
परम्परागत लोक प्रशासन में निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने पर विशेष बल दिया जाता रहा । निर्देशात्मकता, आदर्शात्मकता इसकी विशेषता रही । उदाहरण के लिए वेबर ने नौकरशाही संगठन के आदर्श प्रारूप की कल्पना की । उर्विक-फेयोल प्रतिमान आदर्श सिद्धान्तों पर केन्द्रीत रहा ।
व्यवहारवाद ने लोक प्रशासन को आदर्शात्मक सिद्धान्तों से बाहर लाकर यथार्थ के धरातल पर खड़ा किया । इसने प्रशासनिक अध्ययन में “अनुभव” अर्थात परिस्थितियों (क्या हैं) के वास्तविक आकलन को महत्व दिया ।
अब अनुभाविक अध्ययन (तथ्य पटक) महत्वपूर्ण हो गये । साईमन का निर्णय निर्माण मॉडल यथार्थवादी अनुभवखक अध्ययन का श्रेष्ठ उदाहरण है । उल्लेखनीय है कि नवीन लोक प्रशासन के उदय ने 1970 में उत्तर व्यवहारवादी क्रांति को जन्म देकर ”चाहिए” और ”है” के बीच की खाई को पाट दिया ।
2. इडियोग्राफिक से नौमाथेटिक (भावक्रियात्मक से विधि सम्बन्धी):
रिग्स ने विशेष अध्ययनों के लिए इडियोग्राफिक तथा सामान्य अध्ययनों के लिए नौमोथेटिक शब्दावली प्रयुक्त की । परम्परागत लोक प्रशासन के अध्ययन इडियोग्राफिक थे अर्थात किसी विशेष घटना, समस्या, राष्ट्र या जीवनी से संबंधित थे और मूर्त थे । रिग्स के अनुसार अब तुलनात्मक लोक प्रशासन में नौमीथेटिक अर्थात सामान्य अध्ययनों का महत्व है जिनकी प्रकृति अमूर्त होती है । इस अध्ययन का उद्देशय सिद्धान्त निर्माण प्रक्रिया को तेज करना है ।
3. गैर पारिस्थितिकीय से पारिस्थितिकीय:
परम्परागत अध्ययन गैर पारिस्थितिकीय थे अर्थात प्रशासन और पर्यावरण के अन्तर संबंधों को लगभग अनदेखा ही करते थे । रिग्स के अनुसार निरन्तर गतिशील पर्यावरण में कार्यरत प्रशासनिक व्यवस्था का वास्तविक व्यवहार उस पर्यावरण के सन्दर्भ में ही अनुमानित किया जा सकता है । दूसरे शब्दों में प्रशासन-पर्यावरण परस्पर प्रभाव डालते हैं ।
गोलम्बयुस्की का अभिमत:
राबर्ट गोलम्बयुस्की ने तुलनात्मक लोक प्रशासन की तीन महत्वपूर्ण विषयवस्तु बतायी हैं:
1. ध्यान केन्द्रीत करने योग्य ”विषय” वस्तु को महत्व ।
2. परिणाममूलक प्रयासों को अधिक महत्व ।
3 अध्ययन पद्धतियों या दृष्टिकोणों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करना ।
गोलम्ब्यूस्की के अनुसार तुलनात्मक लोक प्रशासन चार महत्वपूर्ण बातों पर बल देता हैं:
1. संगठन को विशेष सांस्कृतिक राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखना ।
2. लोक प्रशासन के सिद्धान्त गम्भीरतम रूप से अपर्याप्त हैं ।
3. लोक प्रशासन को सिद्धान्त और व्यवहार दोनों दृष्टि से अध्ययन मूल्यों से प्रेरित है ।
4. सामान्यतया प्रत्येक विषय के शुद्ध और प्रयोगात्मक पूरक पहलू होते हैं ।
तुलनात्मक लोक प्रशासन के अध्ययन प्रणाली (Study Methodology of Comparative Public Administration):
1. विषय वस्तु के आधार पर : व्यापक, मध्य स्तरीय और लघु स्तरीय:
a. व्यापक:
एक देश के संपूर्ण प्रशासन की दूसरे देश के संपूर्ण प्रशासन से तुलना, जैसे ब्रिटेन का प्रशासन और भारत का प्रशासन ।
b. मध्य स्तरीय:
एक देश के प्रशासन के एक बड़े भाग या अंग की दूसरे देश के समकक्ष भाग या अंग से तुलना । जैसे ब्रिटेन का गृहमंत्रालय और भारत का गृहमंत्रालय ।
c. लघु स्तरीय:
एक देश के प्रशासन के एक छोटे भाग की दूसरे देश के समकक्ष भाग से तुलना । ब्रिटेन की प्रशिक्षण प्रणाली और भारत की प्रशिक्षण प्रणाली । अब तुलनात्मक लोक प्रशासन में अधिकांशतया लघु स्तरीय पद्वति ही प्रचलित है ।
2. दृष्टिकोण के आधार पर: परंपरागत और आधुनिक परम्परावादी दृष्टिकोण:
लोक प्रशासन में प्रचलित परम्परावादी दृष्टिकोणों के आधार पर ही तुलनात्मक लोक प्रशासन का अध्ययन विश्लेषण शुरू हुआ, लेकिन इन्हें शीघ्र ही खारिज कर दिया गया । व्हाइट, विलोबी, एण्डरसन द्वारा समर्पित परम्परावादी दृष्टिकोण संगठनात्मक या संरचनात्मक दृष्टिकोण है, जिसका पूरा अध्ययन केन्द्र मात्र संरचना या संगठन या संस्थाएं होती हैं ।
तुलनात्मक लोक प्रशासन के नौकरशाही अभिगम (Bureaucratic Access to Comparative Public Administration):
परम्परागत दृष्टिकोणों में तुलनात्मक लोक प्रशासन के लिए सर्वाधिक प्रयुक्त और प्रभावशाली उपागम मैक्स वेबर की नौकरशाही है । विभिन्न संरचनात्मक विशेषताओं, जैसे पद सोपान, निश्चित भूमिका, जीवन वृत्ति की संरचना आदि से युक्त वेबेरियन मॉडल में तार्किकता और कार्यकुशलता पर बल दिया गया है । अत: विभिन्न देशों की प्रशासनिक प्रणालियों में तुलना हेतु इसकी विशेषताओं को आधार बनाया गया, विशेषकर कार्यकुशलता को मापने के लिए ।
माइकेल क्रोजीयर, राय लेथर्ड, मोरो राबर्ट प्रेस्थस, बर्जर, डायमंट, फेरल हडी ने वेबेरियन मॉडल के आधार पर अनेक तुलनात्मक अध्ययन किए । 1964 में वाल्डों ने वेबेरियन मॉडल को तुलनात्मक अध्ययन के लिए आदर्श उदाहरण माना । लेकिन यह कहना होगा कि आदर्शात्मकता और तार्किकता ही नौकरशाहियों की तुलना में अनेक बाधाएं उत्पन्न कर देती हैं । अतएव अब इसकी प्रयोज्यता एक सीमित सन्दर्भ में ही रह गयी है ।