मंत्रिपरिषद की शीर्ष 7 विशेषताएं | Top 7 Features of the Council of Ministers. Read this article in Hindi to learn about the top seven features of the council of ministers. The features are:- 1. मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यपालिका हैं 2. मंत्रिपरिषद व संसद के संबंध की घनिष्ठता 3. राजनीतिक सजातीयता 4. प्रधानमंत्री का नेतृत्व and a Few Others.

1. मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यपालिका हैं:

भारत में मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यपालिका है तथा उसे शासन की वास्तविक शक्ति प्राप्त हैं । शासन के सारे कार्य यद्यपि नाममात्र की कार्यपालिका राष्ट्रपति के नाम से किये जाते हैं तथापि उनके संबंध में वास्तविक निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा ही किये जाते हैं ।

2. मंत्रिपरिषद व संसद के संबंध की घनिष्ठता:

भारतीय शासन प्रणाली में मंत्रिपरिषद व संसद के बीच घनिष्ठ संबंध रहता है । मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य संसद के सदस्य होते हैं । ये संसद की बैठकों में भाग लेते हैं, विधेयकों को प्रस्तुत करते हैं तथा उससे संबंधित वाद-विवाद में भाग लेते हैं । वे इस प्रकार शासन व विधायिका के बीच एक कड़ी का कार्य करते हैं । संसद भी अपना नियंत्रण रखते हुए मंत्रिपरिषद को शासन के संचालन में सहायता करती है ।

3. राजनीतिक सजातीयता:

मंत्रिमण्डल में मंत्रियों के रूप में कार्य करने वाले लोगों में विचारों व सिद्धान्तों की वह एकता पायी जाती है जिसे राजनीतिक सजातीयता कहा जाता है तथा उसके आधार पर वे परस्पर मिल-जुलकर एक टीम के रूप में काम करते हैं ।

4. प्रधानमंत्री का नेतृत्व:

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प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का नेतृत्व करता है । वही अपने परामर्श से राष्ट्रपति द्वारा मंत्रियों की नियुक्ति करवाता है उसकी इच्छा के अनुसार ही मंत्रीगण अपने पद पर कार्य करते रह सकते हैं । प्रधानमंत्री ही मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता करता है, उसकी कार्यवाही का संचालन करता है, तथा मंत्रियों का मार्गदर्शन भी करता है । नेता के रूप में यदि वह अपना त्यागपत्र दे दे, तो वह त्यागपत्र सम्पूर्ण मंत्रिमण्डल का माना जाता है ।

5. गोपनीयता:

मंत्रीगण पद ग्रहण करने से पहले गोपनीयता की शपथ लेते हैं । मंत्रिपरिषद में रहते हुए वे इसकी कार्यवाहियों व निर्णयों को उस समय तक गुप्त रखने के लिए बाध्य होते है, जब तक उन्हें प्रकाशित किये जाने का निर्णय मंत्रिपरिषद द्वारा न कर लिया जाये । यदि कोई मंत्री इस गोपनीयता को भंग करता है तो उसे प्रधानमंत्री मंत्रीपद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य कर सकता है ।

6. लोकसभा के प्रति मंत्रिपरिषद का सामूहिक उत्तरदायित्व:

संविधान के अनु. 75(3) के अनुसार- ”मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है ।” इसका तात्पर्य है कि लोकसभा मंत्रिपरिषद से उसकी नीति के संबंध में प्रश्न पूछ सकती हैं उसके कार्यों की आलोचना कर सकती हैं और असन्तोष अधिक बढ़ने पर उसके विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे पदच्युत कर सकती है । मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व का अर्थ यह है कि मंत्रिपरिषद संगठित रूप से अथवा एक इकाई के रूप में कार्य करती है और सभी मंत्री मंत्रिपरिषद की सभी नीतियों का समर्थन करते हैं ।

7. अंतरंग मंत्रिपरिषद का अस्तित्व (मंत्रिमण्डल):

विविध स्तरों के मंत्रियों सहित पूरी मंत्रिपरिषद का आकार इतना बड़ा होता है कि प्रत्येक विषय पर उन सबका परामर्श व्यवहार में न संभव होता है न वांछनीय । अत: मंत्रिपरिषद में कुछ महत्वपूर्ण मंत्रियों की एक समिति सी बन जाती है जो शासन के महत्वपूर्ण निर्णय करती है । इस समिति को ‘अंतरंग मंत्रिपरिषद’ कहते हैं ।

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वेतन तथा भत्ता:

a. अनु. 75(6) के तहत मंत्रियों को ऐसे वेतन और भत्ते दिये जाते हैं, जो समय-समय पर संसद विधि द्वारा निर्धारित करती है ।

b. वर्तमान में कैबिनेट मंत्रियों और राज्यमंत्रियों को 12500 तथा उपमंत्रियों को रू. 10500 मासिक वेतन दिया जाता है ।