निर्णय लेने के शीर्ष 3 मॉडल | Top 3 Models of Decision Making. Read this article in Hindi to learn about the top three models of decision making. The models are:- 1. लिंडब्लॉंम का वृद्धिशील मॉडल (Incremental Model of Lindblom) 2. एत्जीयोनी का मिश्रित स्कैनिंग मॉडल (Mixed Scanning Model) 3. ड्रोर का दृष्टतम प्रतिमान (Dror’s Optimal Model of Decision Making).
1. लिंडब्लॉंम का वृद्धिशील मॉडल (Incremental Model of Lindblom):
”दि साइंस आफॅ मॉडलिंग थ्रू” (1959) नामक लेख में चार्ल्स लिंडब्लॉम ने ”निर्णयन का वृद्धिशील मॉडल” दिया जो साइमन के ”तार्किक मॉडल” का ठीक उलट है । इसे ”शाखा तकनीक”, ”क्रमिक सीमित तुलनाओं का मॉडल”, ”सीढी दर सीढी निर्णय निर्माण” और ”निर्णय निर्माण में सुधार सिद्धांत” भी कहते हैं ।
इस मॉडल की मान्यताएं हैं:
(a) निर्णय निर्माण में सिद्धांत और व्यवहार में अन्तर होता ।
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(b) निर्णय में सीमित तार्किकता के स्थान पर वृद्धिशील तार्किकता पायी जाती है ।
(c) प्रशासनिक निर्णयों की नियम सीमाएं होती है जो धन समय, सूचना, राजनीति जैसे अनेक मुद्दों और कारकों से उत्पन्न होती है ।
(d) प्रशासकगण भावी निर्णय लेने के लिये पुरानी गतिविधियों, अनुभव आदि का उपयोग करते है ।
(e) वृद्धिशीलता- निर्णयकर्ता वर्तमान कार्यों, नीतियों को ही सुधार कर, उसमें जोड़कर नयी नीतियों के रूप प्रस्तुत करते हैं । इस प्रकार लिंडब्लॉम के अनुसार निर्णय यदि कुछ है तो मात्र वृद्धिशीलता ।
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लिंडब्लॉम समीकरण:
निर्णय = पुरानी या वर्तमान नीति + सुधार (नया तत्व जोड़ना या कुछ घटाना) ।
इस प्रकार यह यथास्थितिवादी के स्थान पर प्रगतिशीलता का पोषक है ।
वास्तविक निर्णय निर्माण:
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लिंडब्लॉम ने वास्तविक निर्णय निर्माण की व्याख्या के लिये दो अवधारणाओं का इस्तेमाल किया ।
(1) सीमांतीय वृद्धिशीलता (Marginal Incrementalism)
(2) पक्षधर परस्पर व्यवस्थापन (Partisan Mutual Adjustment)
2. एत्जीयोनी का मिश्रित स्कैनिंग मॉडल (Mixed Scanning Model):
(i) एत्जीयोनी ने साइमन के तार्किक व्यवहारिक मॉडल और लिंडब्लॉम के ”वृद्धिशील” मॉडल दोनों को समन्वित कर एसा मॉडल दिया जिसमें दोनों मॉडलों की विशेषताओं को लेने तथा दोनों की कमियों को दूर करने का प्रयास दिखायी देता हैं ।
(ii) इसीलिये एत्जीयोनी ने अपने लेख ”मिक्सड स्केनिंग: थर्ड एप्रोच टू डिसिजन मेकिंग” (1967) में अपने मॉडल को मिक्सड स्कनिंग माडल कहा है ।
(iii) एत्जीयोनी ने साइमन मॉडल की उन्ही कमियों को गिनाया जो लिंडब्लॉम ने बतायी ।
(iv) लेकिन एत्जीयोनी ने लिंडब्लॉम मॉडल की भी दो कमियां बतायी:
1. यह सामाजिक रचनात्मकता को हतोत्साहित करता है और इस तरह अपने तरीके में पक्षपाती है ।
2. यह मूलभूत निर्णयों पर लागू नहीं हो सकता अर्थात मूल निर्णयों पर आधारित बाद के निर्णयों की ही बात करना है ।
(v) अतः एत्जीयोनी का मिक्सड-स्कैनिंग मॉडल तार्किकता, व्यावहारिकता, परिस्थिति, मूल्य और तथ्य जैसे तत्वों को समाहित करता है ।
3. ड्रोर का दृष्टतम प्रतिमान (Dror’s Optimal Model of Decision Making):
“पब्लिक पालिसी मेकिंग- री-एक्जामिंड” नामक अपनी पुस्तक में प्रसिद्ध नीति विश्लेषक यह्जकोल ड्रोर ने यह निर्णय मॉडल प्रस्तुत किया ।
इसके दो मुख्य तत्व हैं:
(I) नीति निर्माण और
(II) नीति विश्लेषण
ड्रोर के अनुसार प्रत्येक नीति का निर्माण ही निर्णय है । नीति निर्माण का एक भाग नीति विश्लेषण होता है ।
ड्रोर के आप्टिमल मॉडल की विशेषताएँ:
ड्रोर के अनुसार यह आर्थिक आधार पर तार्किक और तार्किकेतर दोनों मॉडल का मिश्रण है ।
इसकी 5 मुख्य विशेषताएँ है:
1. इसमें तार्किकता और अतिरिक्त तार्किकता दोनों तत्वों को स्थान दिया जाता है ।
2. यह गुणात्मक है, परिणात्मक नहीं (Quantitative, Not Quantitative) अर्थात इसमें मात्रा के स्थान पर गुणों पर बल दिया जाता है ।
3. यह आर्थिक तर्क के लिये आधारभूत तर्क है । अर्थात इसमें आधारभूत तार्किकता से आर्थिक तार्किकता की तरफ प्रेरणा है ।
4. इसका सम्बन्ध पश्चनीति निर्माण (Meta Policy Making) है । अर्थात वास्तविक नीति निर्माण के अतिरिक्त अन्य नीतियों पर भी विचार करता है ।
5. इसमें प्रतिप्रेषण (Feedback) की व्यवस्था है । नीतियों पर प्रतिक्रिया जानकर उनमें तदनुरूप संशोधन किया जाता है ।
तीन चरण:
ड्रोर ने अपने मॉडल के 3 चरण बताये हैं:
1. पश्च नीति निर्माण (Meta Policy Making)
2. नीति निर्माण (Policy Making)
3. उत्तर नीति निर्माण (Post Policy Making)
नीति विज्ञान और नीति निर्माण: डोर का सम्पूर्ण दर्शन ”नीति” पर केन्द्रीत है । वे नीति को श्रेष्ठ स्तर पर देखना चाहते हैं और इसीलिये ”नीति विज्ञान” के तीव्र विकास की जरूरत प्रतिपादित करते हैं । ड्रोर के अनुसार समाज जिन गंभीर समस्याओं से ग्रस्त है, उनका समाधान नीति विज्ञान में ही निहित है ।
ड्रोर के अनुसार नीति विज्ञान वह विषय है जो नीति ज्ञान की खोज करें ओर नीति ज्ञान के अन्तर्गत दो प्रमुख तत्व हैं:
1. नीति मुद्दे का ज्ञान अर्थात नीति विशेष से संबंधित ज्ञान
2. नीति निर्माण का ज्ञान अर्थात नीति निर्माण की सम्पूर्ण व्यवसाठा की जानकारी ।