Read this article in Hindi to learn about:- 1. जापानी लोक सेवा का प्रारम्भ (Introduction to Japanese Civil Service) 2. जापानी लोक सेवा का राष्ट्रीय कार्मिक प्राधिकरण (National Personnel Authority of Japanese Civil Service) 3. वर्गीकरण (Classification) and Other Details.

जापानी लोक सेवा का प्रारम्भ (Introduction to Japanese Civil Service):

जापान में आधुनिक लोक सेवा का जन्म और विकास मेइसी युक (1868-1945) की देन है । जर्मन पद्धति से संगठित होने के कारण वह वेबेरियन मॉडल के निकट थी ।

मेइजी कालीन लोक सेवा के सन्दर्भ में निम्नलिखित तत्व महत्वपूर्ण है:

ADVERTISEMENTS:

(i) आधुनिक लोक सेवा का जन्म ।

(ii) लेकिन प्रारंभिक दो दशकों तक संरक्षण प्रणाली का बोलबाला ।

(iii) 1885 में भर्ती का योग्यता सिद्धान्त लागू और 1887 में पहली प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन ।

(iv) 1947 तक लोकसेवा सम्राट पर निर्भर, न कि जनता पर ।

ADVERTISEMENTS:

(v) नौकरशाही सम्राट के प्रति उत्तरदायी न कि जनता की प्रतिनिधि संस्था के प्रति ।

(vi) अतः वह स्वामी की भावना से ग्रस्त न कि जन सेवक की भावना ।

शोवा संविधान और लोक सेवा की स्थिति में परिवर्तन:

द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-45) के पश्चात जापान पर अमेरिकी जनरल डगलस मेकउर्थर (मित्र राष्ट्र का सेनापति) का शासन आया ओर उसने जो शोवा संविधान लागू करवाया उससे जापानी लोक सेवा का स्वरूप ही बदल गया ।

ADVERTISEMENTS:

अमेरिकी कार्मिक सलाहकार मिशन की सिफारिश पर जापानी विधायिका ने राष्ट्रीय लोक सेवा अधिनियम पारित किया, जिसमें जापानी लोक सेवा में आमूल चुल परिवर्तन कर दिये । इसका महत्वपूर्ण प्रभाव था लोक सेवा को अमेरिकी पद्धति पर पुर्नगठित करना और उसे लोकतांत्रिक, आधुनिक, तार्किक और पेशेवर दक्षता की दिशा देना ।

शोवा या मेकअर्थर संविधान ने इस संबंध में दो महत्वपूर्ण प्रावधान किये:

1. अनुच्छेद 15 में कहा गया कि लोक सेवक सम्पूर्ण समाज के सेवक हैं न कि किसी समुदाय विशेष के ।

2. अनुच्छेद 17 में कहा गया कि सरकारी कार्यों से होने वाले नुकसान की भरपाई हेतु जनता दावा कर सकती है ।

जापानी लोक सेवा का राष्ट्रीय कार्मिक प्राधिकरण (National Personnel Authority of Japanese Civil Service):

यह जापान की सर्वोच्च केन्द्रीय कार्मिक एजेन्सी है जिसकी स्थापना 1949 में राष्ट्रीय लोकसेवा कानून, 1947 के तहत की गयी थी । इस प्रकार यह संविधानेतर लेकिन वैधानिक संस्था है । इसे पर्याप्त स्वायत्तता हासिल है क्योंकि यह विधायिका और कार्यपालिका से स्वतन्त्र रहकर काम करती है । तत्कालीन अमेरिकी मॉडल (अमेरिकी लोक सेवा आयोग) पर आधारित NPA उन विविध कार्यों को अकेले करती है जिन्हें भारत में लोक सेवा आयोग और कार्मिक मंत्रालय पृथक-पृथक करते हैं ।

संगठन:

NPA एक 3 सदस्यीय संस्था है जिसमें 1 अध्यक्ष और 2 आयुक्त होते हैं । सम्राट द्वारा हस्ताक्षरित ये नियुक्तियां विधायिका की स्वीकृति पर केबिनेट करती है । कोई भी दो आयुक्त एक ही पार्टी के या एक ही विश्वविद्यालय के एक ही विभाग के स्नातक नहीं हो सकते । इनका कार्यकाल 4 वर्षीय है और उन्हें पुनर्नियुक्त किया जा सकता है लेकिन कोई भी सदस्य लगातार 12 वर्ष से अधिक इस पद पर नहीं रह सकता ।

कार्य:

NPA का महत्वपूर्ण दायित्व है लोकसेवा का लोकतान्त्रिकरण करना और राष्ट्रीय लोक सेवा कानून का क्रियान्वयन ।

उसके अन्य कार्य हैं:

1. भर्ती हेतु परीक्षाओं का आयोजन ।

2. पदवर्गीकरण योजना का क्रियान्वयन और विकास ।

3. लोकसेवकों की पदोन्नति ।

4. लोकसेवकों की कार्यकुशलता में सुधार के प्रयास ।

5. इस हेतु प्रशिक्षण प्रदान करना ।

6. कार्मिक प्रशासन में निष्पक्षता सुनिश्चित करना ।

7. लोकसेवकों में अनुशासन बनाए रखना ।

8. क्षतिपूर्ति एवं सेवा शर्तों पर सिफारिशें करना ।

9. कार्मिक प्रशासन के विभिन्न पक्षों पर क्रियाविधियों और मानक तय करना ।

प्रतिवेदन:

NPA अपना वार्षिक प्रतिवेदन डाइट और मंत्रिमण्डल दोनों को सौंपता है ।

तीन अन्य एजेंसिया:

जापानी लोक सेवा में 3 और एजेंसिया की भूमिका होती है:

1. प्रधानमंत्री कार्यालय

2. प्रबंधन एवं समन्वय एजेंसी (द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश पर 1884 में स्थापित)

3. वित्त मंत्रालय में बजट ब्यूरो ।

जापानी लोक सेवा का वर्गीकरण (Classification of Japanese Civil Service):

जापानी लोक सेवा का वैज्ञानिक वर्गीकरण राष्ट्रीय लोक सेवा अधिनियम, 1947 ने किया था जो 1949 से लागू है । यह अधिनियम लोक सेवा को मोटे तौर पर वर्गों में रखता है ।

1. विशेष सेवा:

इसके अन्तर्गत सभी निर्वाचित, राजनीतिक, कूटनीतिक, प्रतिरक्षा, राजकीय और न्यायिक पदाधिकारी आते हैं । इसमें प्रधानमंत्री, राज्य मंत्री, राजघराने के उच्चाधिकारी डाइट के सदस्य, प्रतिरक्षा कर्मी, राजदूत न्यायधीश NPA के सदस्य, लेखा परीक्षण बोर्ड के निरीक्षण आदि आते हैं ।

2. सामान्य सेवा:

यह नियमित या स्थायी सेवा है जिसमें विशेष सेवा के लोक सेवकों को छोड़कर राष्ट्रीय लोक सेवा के शेष सभी प्रशासनिक और लिपिक वर्गीय अधिकारी कार्मिक आते हैं । वस्तुतः सामान्य सेवा ही वास्तविक लोक सेवा का अर्थ रखती है और राष्ट्रीय लोक सेवा अधिनियम का संबंध भी अधिकांशतः इसी सेवा से है ।

वेतन आधारित वर्गिकरण के तहत जापानी लोक सेवा के 16 वर्ग हैं:

1. प्रशासनिक सेवा (I)

2. प्रशासनिक सेवा (II)

3. सार्वजनिक सुरक्षा सेवा (I)

4. सार्वजनिक सुरक्षा सेवा (II)

5. शैक्षणिक सेवा (I)

6. शैक्षणिक सेवा (II)

7. शैक्षणिक सेवा (III)

8. शैक्षणिक सेवा (IV)

9. नौसेना सेवा (I)

10. नौसेना सेवा (II)

11. चिकित्सा सेवा (I)

12. चिकित्सा सेवा (II)

13. चिकित्सा सेवा (III)

14. कराधान सेवा

15. अनुसंधान सेवा

16. प्रदत्त सेवा

इस प्रदत्त सेवा के अन्तर्गत प्रशासनिक उपमंत्री, ब्यूरो प्रमुख, आयोग प्रमुख, एजेंसी प्रमुख, अनुसंधान संस्थान प्रमुख, विश्वविद्यालय प्रमुख तथा अन्य संगठनों के प्रमुख जैसे पद आते हैं और इन्हें सर्वाधिक वेतन मिलता है ।

जापानी लोक सेवा में भर्ती (Recruitment in Japanese Civil Service):

जापान में उच्चतर, मध्यम और निम्न इन सभी वर्गों की भर्ती प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर होती है और इसका दायित्व NPA पर है । NPA इस हेतु 16 परीक्षाओं का आयोजन करता है और चयन सूची संबंधित मंत्रालयों को भेजता है । इस सूची में से मंत्री अंतिम चयन के पूर्व स्वयं भी साक्षात्कार लेता है ।

प्रतियोगी परीक्षाओं की वर्तमान प्रणाली का प्रारंभ 1948 में अमेरिका की आधिपत्यकारी सेना ने किया था । प्रधान वरिष्ठ ”ए-श्रेणी” प्रवेश परीक्षा (The Principal Senior A-Class Entrance Exam)- यह सर्वोच्च प्रतियोगी परीक्षा है इसके माध्यम से सर्वोच्च प्रशासनिक वर्ग के I.A.S., I.P.S. के समान वर्ग हैं । यद्यपि जापान में इनकी भर्ती मंत्रालय विशेष के लिये होती है जिसमें ये अंत तक बने रहते हैं ।

इस परीक्षा के 2 चरण हैं:

1. प्रारंभिक परीक्षा जो बहु विकल्पिय वस्तुनिस्ट (Multiple and Objective Pattern) प्रकार की होती है ।

2. मुख्य परीक्षा जिसमें निबंधात्मक शैली की लिखित परीक्षा और साक्षात्कार दोनों शामिल हैं ।

उल्लेखनीय है कि:

(i) विदेश सेवाओं में भर्ती स्वयं विदेश मंत्रालय करता है, NPA नहीं ।

(ii) चिकित्सा और शिक्षा सेवा में भर्ती मूल्यांकन पद्धति से होती है परीक्षा द्वारा नहीं ।

(iii) चयनितों को एक अप्रैल (जिस दिन उनका चयन होता है) से ही भर्ती कर लिया जाता है ।

(iv) चयन में टोक्यो वि.वि. के विधि स्नातकों का दबदबा है ।

जापानी लोक सेवा में प्रशिक्षण (Training in Japanese Civil Service):

जापान में लोक सेवकों के प्रशिक्षण को देखभाल अर्थ की ही जिम्मेदारी है । NPA ने इस जिम्मेदारी के निर्वाह के लिये अपनी एक संस्था ”लोक प्रशासन संस्थान” (IPA-Institute of Public Administration) की स्थापना साईटामा प्रिफेक्चर (टोक्यो के पास स्थित) में की है ।

IPA- (Institute of Public Administration):

NPA के अधीन काम करते हुये प्रशिक्षण की जिम्मेदारी उठाने वाली 185 का संबंध उच्च और मध्य स्तर के लोक सेवकों के प्रशिक्षण से है । इसका प्रमुख अधिकारी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होता है जो पेशेवर होता है यह NPA के प्रत्यक्ष नियन्त्रण में रहता है ।

संयुक्त परिचयात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम (Joint Introductory Training Programme):

प्रधान वरिष्ट श्रेणी-1 प्रवेश परीक्षा में सफल पेशेवर लोक सेवकों और नये भर्ती हुये उच्चतर लोक सेवकों के लिये IPA 1967 से यह 4 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है ।

इसका मुख्य उद्देश्य है:

1. स्प्रीट डी कार्पस (दलीय भावना) का विकास करना और परस्पर समझ बूझ बढ़ाना ।

2. लोक सेवक की भावना का विकास करना ।

3. समाज के प्रति सामुदायिक भावना का विकास करना ।

यह कार्यक्रम उद्देश्यों में भारतीय प्रशासनिक सेवा के साथ अन्य उच्च लोक सेवकों को दिये जाने वाले ”आधार भूत प्रशिक्षण” के अत्यन्त निकट है लेकिन उसकी तुलना में बेहद अल्पावधि का है ।

अनौपचारिक कार्यानुभव प्रशिक्षण:

उक्त प्रशिक्षण के पश्चात प्रशिक्षु अपने आवंटित मंत्रालय में काम सीखते हैं । वे वरिष्टों के मार्गदर्शन में काम करते है और अपने मंत्रालय संबंधी कामों में धीरे-धीरे विशेषज्ञता हासिल कर लेते हैं । अपने पूरे कार्यकाल में वे संबंधित मंत्रालय में ही बने रहते हैं ।

विदेश सेवा के लोक सेवकों का प्रशिक्षण:

यह सर्वाधिक लम्बा है । लगभग 4 वर्ष के इस प्रशिक्षण में भी 2 से 3 वर्ष वे दूतावास में विदेशी भाषा सीखने में व्यतीत करते हैं । 1 वर्ष विदेश मंत्रालय में और 4 माह विदेश सेवा प्रशिक्षण संस्थान में संस्थागत प्रशिक्षण लेते हैं ।

जापानी लोक सेवा में पदोन्नति (Promotion in Japanese Civil Service):

इस संबंध में राष्ट्रीय लोक सेवा कानून (National Public Service Law) स्पष्ट रूप से कहता है कि:

1. कार्मिकों की पदोन्नति मुख्यतः योग्यता आधारित होगी ।

2. योग्यता का निर्धारण अधीनस्थ पदों पर कार्यरत कार्मिकों के मध्य प्रतियोगी परीक्षा के आधार पर होगा ।

3. लेकिन यदि NPA (National Personnel Authority) को लगता है कि किसी परिस्थिति में प्रतियोगी परीक्षा व्यावहारिक नहीं है, तो ऐसे मामलों में उम्मीदवारों के सेवा-अभिलेख (Service Record) का मूल्यांकन कर पदोन्नति दी जा सकेगी । जापान में पदोन्नति के लिये सैद्धान्तिक रूप से योग्यता पर जबकि व्यावहारिक रूप से वरिष्ठता पर बल दिया जाता है ।

इस प्रकार सैद्धान्तिक रूप से पदोन्नति के दो आधार हैं:

1. प्रमाणित योग्यता

2. निष्पादन मूल्यांकन

लेकिन व्यावहारिक रूप से जापानी लोक सेवा में पदोन्नति में ”वरिष्ठता” को ही प्रमुखता दी जाती है अर्थात् ”सेवा अवधि” (Service Life) जितनी अधिक, पदोन्नति का दावा भी उतना ही मजबूत । पदोन्नति के लिये एक और आधार जिसको विचारार्थ लिया जाता है वह शैक्षणिक पृष्ठभूमि है । विश्वविद्यालयीन शिक्षा के साथ-साथ ”अकादमिक विशेषज्ञता” भी इसमें शामिल है ।

इस प्रकार जापान में पदोन्नति के प्रचलित आधार हैं:

1. वरिष्ठता

2. प्रतियोगी योग्यता

3. निष्पादन मूल्यांकन

4. शैक्षणिक उपलब्धि

सामूहित वरिष्ठता का सिद्धान्त (Principle of Collective Seniority or Batch Based Seniority):

जापान पदोन्नति प्रणाली की एक अनन्य विशेषता है, ”सामूहिक पदोन्नति” । अर्थात् समान वरिष्ठता प्राप्त लोक सेवकों को एक ही समय में एक साथ पदोन्नत किया जाता है । यदि उच्च पद उतनी संख्या में नहीं हों तो अतिरिक्त पदोन्नत (Surplus Promotives) लोक सेवक त्यागपत्र दे देते हैं ।

वे त्यागपत्र देकर अर्धसरकारी या निजी संगठनों या राजनीति में चले जाते हैं । जापान में इसे ”दूसरा कैरियर” कहा जाता है । उदाहरण के लिये 1945 के विश्वयुद्ध के बाद से जापान की डाइट का महत्वपूर्ण भाग पूर्व लोक सेवक है ।

यही नहीं इस अवधि में बने केबिनेट मंत्रियों का 20 प्रतिशत और अब तक हुए प्रधानमंत्रियों में से लगभग आधे पहले लोक सेवक ही रहे थे । इस प्रकार जापान ऐसा देश है जिसकी लोक सेवा में किसी लोक सेवा की पदोन्नति और त्यागपत्र दोनों एक साथ हो जाते हैं ।

समयबद्ध पदोन्नति (Time Bound Promotion):

जापानी लोक सेवा में कोई लोक सेवक पदोन्नति द्वारा निम्न पद से उच्च पद तक पहुँच सकता है । जापानी लोक सेवा का सर्वोच्च पद है, ”प्रशासनिक उपमंत्री” (Administrative Vice-Minister) । यह भारत सरकार में सचिव पद के समकक्ष पद है । प्रशासनिक उपमंत्री पद तक बहुत कम लोक सेवक निम्न पदों से पहुंच पाते है । निदेशक से ऊपर के पदों पर पदोन्नति के लिये NPA की पूर्व स्वीकृति अनिवार्य है ।

जापानी लोक सेवा में वेतन और सेवा शर्तें (Pay and Service Conditions in Japanese Civil Service):

जापानी लोक सेवा में वेतन और सेवा शर्तों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण परामर्शदात्री भूमिका NPA (राष्ट्रीय कार्मिक प्राधिकरण) ही निभाता है । इन मामलों में अंतिम निर्णय डाइट ओर मंत्रीमण्डल के अधीन हैं ।

वेतन (Pay):

जापानी लोक सेवा में वेतन संबंधी निम्नलिखित तथ्य महत्वपूर्ण है:

1. राष्ट्रीय लोक सेवा कानून के अनुसार कार्मिकों का वेतन उनके पद के कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों के अनुसार देय होगा ।

2. इसके लिये NPA निजी क्षेत्रों में प्रचलित वेतन स्तरों का वार्षिक सर्वेक्षण करता है और उनकी तुलना लोक सेवा के वेतनमानों से करता है । तदनुरूप उचित तुलना के सिद्धान्तानुसार वह लोक सेवकों के लिये पद अनुसार विभिन्न वेतनमान तैयार कर डाइट और मंत्रिमण्डल को प्रस्तुत करता है ।

3. नियमित मासिक वेतन के अतिरिक्त लोक सेवकों को विभिन्न भत्ते भी दिये जाते है जैसे आवास भत्ता, ओवर टाइम भत्ता, विशेष क्षेत्र कार्य भत्ता, ठण्डे क्षेत्रों में कार्य भत्ता, परिवार भला, विशेष कार्य भला इत्यादि ।

4. सेवानिवृत्ति उपरान्त पेंशन ।

सेवाशर्तें (Service Conditions):

1. जापान में लोक सेवकों की सेवानिवृत्ति आयु आधारित है । 1985 के पहले तक अनिवार्य सेवानिवृत्ति का प्रावधान ही नहीं था । 1985 में 60 वर्ष की आयु सेवानिवृत्ति हेतु निर्धारित की गयी ।

2. अमाकुदारी (Amakudari)- इस जापानी शब्द का अर्थ है ”स्वर्ग से उतार” । इस प्रणाली के तहत सरकार सेवानिवृत्त कार्मिकों को निजी निगमों में काम पर लगा देती है । ऐसा उस मंत्रालय की समिति द्वारा किया जाता है जिससे कार्मिक संबंधित रहा था ।

3. जापानी लोक सेवकों को अपने संगठन या यूनियन बनाने का अधिकार है । लेकिन पुलिस कर्मियों, दाण्डिक संस्थाओं के कार्मिकों तथा तटीय सुरक्षा एजेंसियों के कार्मिकों को यह अधिकार नहीं है ।

4. जापान में लोक सेवकों की हड़ताल पर पूर्णतः कानूनी प्रतिबंध है । वे निजी क्षेत्रों के कार्मिकों की हड़ताल में भी भाग नहीं ले सकते ।

5. जापानी लोक सेवकों को मताधिकार को छोड़कर अन्य कोई राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं है । राजनीतिक गतिविधियों में वे किसी भी प्रकार से भाग नहीं ले सकते, मात्र वोट डालने के ।