इंग्लैंड में स्थानीय सरकार की वर्तमान प्रणाली | Current System of Local Government in England.
ब्रिटिश संविधान में एकात्मक राज्य की व्यवस्था है । अत: सरकार की तमाम शक्तियाँ एकमात्र सर्वोच्च केंद्र सरकार में निहित हैं । प्रशासनिक सुविधा के लिए यह स्थानीय सरकारों की इकाइयों को पैदा या समाप्त कर सकती है ।
स्थानीय सरकारों की इन इकाइयों को शक्ति केंद्र सरकार से मिलती है । उनकी सत्ता का प्रमुख स्रोत ब्रिटिश संसद के कानून हैं । जबकि अन्य स्रोत हैं- इंग्लैंड का सामान्य कानून तथा न्यायिक व्यवस्थाएँ ।
इंग्लैंड में स्थानीय सरकार की मौजूदा प्रणाली की स्थापना 1974 में स्थानीय सरकार अधिनियम 1972 के द्वारा की गई थी । इसने महानगरीय क्षेत्रों के लिए दो स्तरीय तथा शेष (शहरी और ग्रामीण) के लिए तीन स्तरीय प्रणाली की रचना की ।
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उपनगरों वाले नगरों का विभाजन छह महानगरीय प्रमंडलों में किया जाता है । प्रत्येक महानगरीय प्रमंडल को महानगरीय जिलों में बाँटा गया है जिनकी कुल संख्या छत्तीस है । इस तरह से शेष इंग्लैंड के मिले-जुले शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का विभाजन उनतालीस गैर-महानगरीय प्रमंडलों में किया गया है ।
इनमें से प्रत्येक प्रमंडल गैर-महानगरीय जिलों में विभाजित है जिनकी कुल संख्या 296 है । इसके आगे प्रत्येक गैर-महानगरीय जिले को कस्बों में बाँटा गया है । पल्लियों और कस्बों के बीच सिर्फ यह अंतर है कि कस्बों के सभापति को मेयर या महापौर कहा जाता है ।
लंदन और इसके आसपास की स्थानीय सरकारों की प्रणाली हमेशा से इंग्लैंड के दूसरे भागों से भिन्न रही है । मौजूदा ढाँचे की स्थापना 1965 में लंदन सरकार अधिनियम के अधीन हुई थी । ग्रेटर लंदन पहली बार स्थानीय सरकार का एक सुपरिभाषित क्षेत्र बना था ।
इसके अंतर्गत 32 लंदन बोरो (गाँव/उपनगर) और लंदन शहर आता है । लंदन नगर महापालिका तीन न्यायसभाओं के माध्यम से काम करती है । ये हैं- कोर्ट ऑफ कॉमन कौंसिल, कोर्ट ऑफ एल्डरमैन और कोर्ट ऑफ कॉमन हॉल ।
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परंतु वास्तविक नियंत्रक संस्था कोर्ट और कॉमन हॉल है जिसे विधि निर्माण और कार्यकारी दोनों शक्तियां प्राप्त हैं । पूरे इंग्लैंड में स्थानीय सरकार की मौजूदा व्यवस्था का संपूर्ण चित्र नीचे दिया है ।
स्थानीय सरकार की ब्रिटिश प्रणाली की अन्य विशिष्टताएँ इस प्रकार हैं:
1. स्थानीय सरकार की तमाम इकाइयों (प्रमंडल, जिले और पल्लियाँ) की परिषदें वास्तविक प्रबंधन निकाय हैं । ये स्थानीय सरकार के विधायी तथा कार्यपालक अंग हैं ।
2. प्रमंडल परिषदों तथा जिला परिषदों के सभी सदस्यों का चुनाव चार वर्ष के लिए प्रत्यक्षत: किया जाता है । 1972 के अधिनियम की समाप्ति के बाद संस्था के तौर पर कोई भी एल्डरमैन नहीं होता है । परिषद की सदस्य संख्या 40 से 100 के बीच घटती-बढ़ती रहती है ।
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3. प्रत्येक पल्ली में पल्ली परिषद नहीं होती । 200 से या इससे अधिक मतदाताओं वाली पल्लियों में ही पल्ली परिषद होती है । ऐसी परिषद में कम से कम 5 सदस्य होते हैं जिनका चुनाव चार वर्ष के लिए किया जाता है ।
4. कानूनी तौर पर प्रत्येक परिषद एक सार्वजनिक निगम होती है । अत: व्यक्तिगत पार्षदों के बजाय निर्णय लेने तथा उनको लागू करने की जिम्मेदारी सामूहिक होती है ।
5. परिषद के पीठासीन अधिकारी को मेयर या सभापति कहा जाता है । वह स्थानीय सत्ता का औपचारिक प्रमुख होता है ।
6. स्थानीय अधिकारी दो प्रकार के काम करते हैं- आदेशात्मक और अनुज्ञात्मक । ये समितियों के द्वारा काम करते हैं और समितियाँ परिषद की ओर से प्रशासन के काम की देखरेख करती हैं ।
7. 1974 के स्थानीय सरकार अधिनियम ने स्थानीय ऑम्बुड्समैन की स्थापना की है जिसे स्थानीय प्रशासन आयुक्त कहते हैं । वे स्थानीय सरकार में वही कार्य करते हैं जो केंद्र सरकार में संसदीय आयुक्त करता है । वे स्थानीय पार्षदों के माध्यम से की गई कुप्रशासन संबंधी शिकायतों की जाँच करते हैं ।
8. स्थानीय सरकार के ढाँचे के पुनर्गठन से पूर्व 1974 में इंग्लैंड के स्थानीय निकायों के छह भिन्न-भिन्न तंत्र थे- प्रमंडल (प्रशासनिक), प्रमंडल ग्रामीण, ग्रामीण-शहरी जिले, ग्रामीण जिले और पल्ली । मौड आयोग (1967) तथा बेंस कमेटी (1972) की सिफारिशों पर पुनर्गठन किया गया था ।
स्थानीय सरकार की ब्रिटिश और फ्रांसीसी प्रणालियों की परस्पर विरोधी विशिष्टताओं का सार मुत्तालिब ने शानदार ढंग से पेश किया है । उनके अनुसार ब्रिटिश प्रणाली की विशिष्टता है- विकेंद्रीकरण, विधायी प्रभुत्व, समिति पद्धति, बहुउद्देशीय गतिविधि और नागरिकों की स्वैच्छिक भागीदारी । दूसरी ओर फ्रांसीसी प्रतिरूप को केंद्रीकरण, आदेशों की श्रृंखला, पदानुक्रमिक संरचना, कार्यपालिका के आधिपत्य तथा विधायी अधीनस्थता के लिए जाना जाता है ।