रेखा और कर्मचारी एजेंसियां | संगठन | Line and Staff Agencies | Organisation.
सरकार के प्रशासनिक संगठन में तीन प्रकार की एजेंसियाँ शामिल हैं- रेखा, स्टाफ और सहायक । इन तीनों के बीच भेद इनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों की प्रकृति के अंतर में निहित है ।
रेखा एजेंसियाँ सांगठनिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रत्यक्ष रूप से काम करती हैं । स्टाफ एजेंसियों रेखा एजेंसियों को उनकी गतिविधियों में सलाह और मदद देती हैं और सहायक एजेंसियां रेखा एजेंसियों को सामान्य गृह व्यवस्था सेवाएं देती हैं ।
एल.डी. व्हाइट के अनुसार- “सरकार का एक विस्तृत संगठन के माध्यम से होता है जो सार्वभौमिक श्रेष्ठ अधीनस्थ संबंध में एक दूसरे के साथ बँधे होते है; और विशिष्टीकरण के सिद्धांत पर आधारित होते हैं । केंद्रीय पदानुक्रम में रेखा शामिल होती है, रेखा की सहायता में कई इकाइयाँ होती हैं, कुछ परामर्शीय और तैयारी के कामों से जुड़ी होती हैं जिन्हें स्टाफ कहते हैं, कुछ गृह व्यवस्था कार्यों से जुड़ी होती हैं जिन्हें सहायक एजेंसियों कहते है । रेखा में किसी भी प्रशासनिक का केंद्रीय संघटक होता है । एक बड़े और जटिल संगठन में स्टाफ़ और सहायक एजेंसियों जरूरी होती हैं मगर वे गौण हैं । वे रेखा की ही सेवा करती हैं ।”
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कार्य केंद्रित पर्यवेक्षक:
1. काम पूरा करवाने के लिए भारी दबाव डालते हैं ।
2. अधीनस्थों पर कम विश्वास करते हैं ।
3. अधीनस्थों को कम स्वतंत्रता देते हैं ।
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4. करीबी और विस्तृत पर्यवेक्षण करते हैं ।
5. निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधीनस्थों को भागीदारी की अनुमति नहीं देते ।
6. दंड दने वाले और गलतियों के प्रति आलोचक होते हैं ।
7. ‘कार्य’ वाले काम पर ज्यादा ध्यान देते हैं ।
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कर्मचारी केंद्रित पर्यवेक्षक:
1. अधीनस्थों पर कम दबाव डालते हैं ।
2. अपने अधीनस्थों पर विश्वास करते हैं और उनका विश्वास जीतते हैं ।
3. अधीनस्थों को अपने काम की गति को स्वयं ही निर्धारित करने देते हैं ।
4. सामान्य पर्यवेक्षण करते हैं ।
5. निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधीनस्थों की अधिकतम भागीदारी की अनुमति देते हैं ।
6. जब अधीनस्थ गलती करते हैं या समस्याएँ होती हैं तो उनकी मदद करते हैं ।
7. जिम्मेदारी वाले काम पर ज्यादा जोर देते हैं ।
लोक प्रशासन में रेखा और स्टाफ का विभेद सैन्य प्रशासन से लिया गया जहाँ यह पहली बार विकसित हुआ था ।
रेखा-स्टाफ़ विभेद और इसकी प्रासंगिकता के बारे में निम्न कथनों पर ध्यान दिया जा सकता है:
फिफनर व प्रेस्थस- ”सामान्य रूप में स्टाफ और रेखा के बीच का अंतर कहता है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष श्रम के बीच, प्रत्यक्ष रेखा होती है और अप्रत्यक्ष स्टाफ ।” ओलीवर शेल्डन- ”स्टाफ संगठन की व्याख्या विचार के लिए एक सुविचारित संगठन के रूप में की जा सकती है, ठीक उसी तरह, जैसे रेखा संगठन लागू करने वाला संगठन है ।” डिमॉक, डिमॉक व कोइंग- ”रेखा और स्टाफ के बीच उचित व्यवस्थापन प्रबंधन के सबसे मुश्किल क्षेत्रों में से एक है ।”
एल्बर्ट लेपावस्की- ”स्टाफ़ और रेखा सवर्गीय हैं, जो स्टाफ और रेखा के उच्चानीचक्रमिक संबंध में नहीं काम करते, बल्कि प्रमुख कार्यकारी के अंतर्गत प्राधिकार और जिम्मेदारी के समान धरातल पर काम करते हैं…. एक स्टाफ़कर्मी जो रेखा को निर्देश नहीं देता, प्रभाहीन है और एक रेखाकर्मी जो स्टाफ कार्य को जरा भी नहीं समझता वह भी एक असफलता है ।” कुंटज व ओ डौनेल- ”रेखा व स्टाफ प्राधिकार संबंधों का चरित्र चित्रण है न कि विभागीय गतिविधियाँ ।”
रेखा एजेंसियाँ (Line Agencies):
लोक सेवा में चार प्रकार की रेखा एजेंसियाँ होती हैं:
(a) सरकारी विभाग,
(b) लोक निगम,
(c) सरकारी कंपनियाँ,
(d) स्वतंत्र नियामक आयोग (IRC) ।
पहले तीन दुनिया के सभी देशों में पाए जाते हैं । जबकि चौथा (यानि, IRC) अमेरिका की प्रशासनिक व्यवस्था का खास लक्षण है ।
रेखा एजेंसियों के निम्न चारित्रिक लक्षण होते हैं:
(i) वे संगठन के सारभूत लक्ष्य को पूरा करने का काम प्रत्यक्ष रूप से करती हैं ।
(ii) उन्हें निर्णय लेने और आदेश व निर्देश जारी करने का प्राधिकार मिला होता है ।
(iii) वे जनता के सीधे संपर्क में आती हैं और उन्हें विभिन्न सेवाएँ देती हैं, व्यवहार का नियमन करती हैं और कर एकत्र करती हैं ।
इस प्रकार रेखा एजेंसियों स्वभाव से कार्यकारी होती हैं और प्रमुख कार्यकारी के प्रत्यक्ष नियंत्रण, निर्देशन और देखरेख में काम कर रहे कार्यात्मक जिम्मेदारी के अधीनस्थ विभाग हैं ।
एल.डी. व्हाइट के अनुसार रेखा एजेंसियों के मुख्य कार्यों में निम्न शामिल हैं:
(a) निर्णय लेना,
(b) जिम्मेदारी लेना,
(c) नीति और कार्यों की व्याख्या और बचाव करना,
(d) उत्पादन सँभालना और प्रभाविता और मितव्ययता की तलाश करना ।
स्टाफ़ एजेंसियाँ (Staff Agencies):
भारत सरकार की महत्वपूर्ण स्टॉफ एजेंसियां हैं:
1. कैबिनेट सचिवालय,
2. प्रधानमंत्री कार्यालय,
3. कैबिनेट समितियां,
4. योजना आयोग,
5. वित्त मंत्रालय,
6. कार्मिक मंत्रालय का प्रशासनिक निगरानी प्रभाग,
7. वित्त मंत्रालय की स्टॉफ निरीक्षण इकाई ।
फ़िफ़नर के अनुसार– स्टाफ एजेंसियां तीन प्रकार की होती हैं:
(i) सामान्य स्टाफ, जो आमतौर पर सलाह, सूचना संग्रहण और अनुसंधान आदि के जरिये प्रशासनिक कार्यों में प्रमुख कार्यकारी की मदद करता है । सामान्य स्टाफ का बुनियादी उद्देश्य प्रमुख कार्यकारी के लिए एक ‘छलनी और चिमनी’ के रूप में काम करना है ।
(ii) तकनीकी स्टाफ, जो तकनीकी मामलों में प्रमुख कार्यकारी को सलाह देता है और कार्यात्मक पर्यवेक्षण करता है । इसे विशेष स्टाफ या कार्यात्मक स्टाफ भी कहते हैं ।
(iii) सहायक स्टाफ, जो रेखा एजेंसियों को सामान्य गृह व्यवस्था सेवाएँ देता है ।
लेकिन एल.डी. व्हाइट और विलोबी स्टाफ एजेंसियों में सहायक एजेंसियों (यानी सहायक स्टाफ) को नहीं शामिल करते और उन्हें एक अलग और भिन्न इकाई मानते हैं । व्हाइट उन्हें ”सहायक सेवाएँ” कहते हैं, जबकि विलोबी उन्हें- ”संस्थागत या गृह व्यवस्था सेवाएँ” कहते हैं । जॉन गाँस उन्हें ”सहायक तकनीकी स्टाफ सेवाएँ” कहते हैं ।
स्टाफ एजेंसियों के निम्न चारित्रिक लक्षण हैं:
(i) वे गौण या समर्थक कार्य करते हैं, यानी सांगठनिक उद्देश्य की पूर्ति में रेखा की मदद करते हैं ।
(ii) उनके पास निर्णय लेने और आदेश व निर्देश जारी करने का प्राधिकार नहीं होता । उनकी भूमिका प्रकृति से परामर्शीय है और वे प्रभावित करती हैं, प्राधिकार का प्रयोग नहीं करतीं ।
(iii) वे जनता के प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं आतीं । वे अज्ञात रूप से सक्रिय रहती हैं । अमेरिका की ब्राउनलो कमेटी (1937) के अनुसार, स्टाफ को अज्ञात रहने की लालसा होनी चाहिए ।
मूनी के अनुसार, स्टाफ एजेंसियाँ तीन काम करती हैं:
(i) सूचनात्मक कार्य यानी सूचना एकत्र करना और प्रमुख कार्यकारी को देना, शोध, अध्ययन और जाँच ।
(ii) परामर्शीय कार्य यानी, निर्णय निर्माण में प्रमुख कार्यकारी को सुझाव देना ।
(iii) पर्यवेक्षकीय कार्य यानी, यह ध्यान देना कि प्रमुख कार्यकारी के निर्णय केवल संबंधित एजेंसियों द्वारा लागू हो रहे हैं ।
फ़िफ़नर कहते हैं कि स्टाफ एजेंसियों निम्न कार्य करती हैं:
(i) सलाह, शिक्षा और सुझाव,
(ii) तालमेल,
(iii) तथ्यान्वेषण और शोध,
(iv) संपर्क और सहकार,
(v) रेखा की सहायता,
(vi) रेखा से प्रत्यायोजित प्राधिकार का प्रयोग करना,
(vii) योजना निर्माण ।
मूनी के अनुसार- स्टाफ ”कार्यकारी के व्यक्तित्व का विस्तार है । इसका अर्थ है-अपनी योजनाओं को लागू करने में ज्यादा आँखों, ज्यादा कानों और ज्यादा हाथों का सहायता के लिए होना ।” फ़िफ़नर व प्रेस्थस स्टाफ को प्रमुख कार्यकारी के घनिष्ठ मित्र के रूप में वर्णित करते हैं ।
सहायक एजेंसियाँ (Auxiliary Agencies):
भारत सरकार की प्रमुख सहायक एजेंसियाँ निम्न हैं:
(a) केंद्रीय लोक निर्माण विभाग,
(b) कानून मंत्रालय,
(c) वित्त मंत्रालय,
(d) सूचना व प्रसारण मंत्रालय,
(e) संघ लोक सेवा आयोग,
(f) संसदीय मामलों का विभाग,
(g) आपूर्ति व सुपुर्दगी के महानिदेशक ।
स्टाफ एजेंसियों के समान, सहायक एजेंसियाँ भी सांगठनिक उद्देश्य पूर्ति में रेखा की सहायता करती हैं और जनता के प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं आतीं ।
लेकिन वे निम्न रूपों में स्टाफ एजेंसियां से अलग हैं:
(i) स्टाफ एजेंसियाँ रेखा एजेंसियों को सलाह देती हैं जबकि सहायक एजेंसियाँ रेखा एजेंसियों को सामान्य गृह व्यवस्था सेवाएँ देती हैं ।
(ii) स्टाफ एजेंसियों की कोई कार्य संबंधी जिम्मेदारी नहीं होती, जबकि सहायक एजेंसियों की कार्य संबंधी जिम्मेदारियाँ होती हैं ।
(iii) स्टाफ एजेंसियाँ प्राधिकार प्रयोग नहीं करतीं और निर्णय नहीं लेतीं, जबकि सहायक एजेंसियाँ सीमित प्राधिकार प्रयोग करती हैं और अपने क्षेत्र में निर्णय लेती हैं ।
(iv) स्टाफ एजेंसियों के कार्य और अधिकार क्षेत्र सहायक एजेंसियों से ज्यादा और व्यापक हैं जो केवल रेखा एजेंसियों को कायम रखने से सरोकार रखती हैं ।
रेखा-स्टाफ द्वंद्व (Line Staff Conflict):
हालाँकि रेखा और स्टाफ एजेंसियाँ सभी सरकारी संगठनों के लिए अपरिहार्य हैं और उनका मकसद एक-दूसरे का पूरक बनना है । किंतु, उनके बीच के संबंध सदा शिष्ट और प्रसन्न नहीं रहते । व्यवहार में रेखा और स्टाफ इकाइयों के बीच के संबंध की पहचान द्वंद्व, टकरावों, तनावों, संदेहों इत्यादि से होती है ।
ऐसी विरोधी परिस्थिति के लिए जिम्मेदार कारण ये हैं:
(i) प्रमुख कार्यकारी के निकट होने के कारण स्टाफ एजेंसी रेखा एजेंसी के प्राधिकार को हड़पने का प्रयास करती हैं ।
(ii) रेखा और स्टाफ अधिकारियों के बीच आयु, स्थिति, दृष्टिकोण, अनुभव, तकनीकी योग्यता इत्यादि का अंतर रहता है ।
(iii) स्टाफ के लोग प्राय: ‘हवाई दृष्टिकोण’ अपनाते हैं, यानी वे रेखा के उन लोगों को अवास्तविक योजनाएं और विचार बताते हैं, जो स्वयं अपने दृष्टिकोण में व्यावहारिक होते हैं । परिणामत: वे उनके सुझावों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते, जो दोनों के बीच गलतफहमी और तनाव की ओर ले जाते हैं ।
(iv) रेखा अधिकारियों के बीच जिम्मेदारी से मुँह चुराने और गलतियों के लिए स्टाफ अधिकारियों को कोसने की प्रवृत्ति ।
(v) स्टाफ अधिकारी रेखा अधिकारियों के काम और प्रक्रियाओं में कमियाँ पाने लगते हैं ।
रेखा-स्टाफ संबंध में विरोध, प्रतिस्पर्धा और द्वेष को घटाने के उपाय हैं:
(i) प्रमुख कार्यकारी को रेखा और स्टाफ के लोगों की जिम्मेदारियों की प्रकृति को साफ तौर पर स्पष्ट कर देना चाहिए । यह उनकी गलतियों के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराने में सक्षम बनाता है ।
(ii) भूमिकाएँ बदलने के अवसर पैदा करने चाहिए यानी, रेखा और स्टाफ के बीच नियमित तबादले होने चाहिए ।
(iii) प्रमुख कार्यकारी को दोनों को एक दूसरे से और दूसरे की परस्पर भूमिका से परिचित होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए । उसे सांगठनिक उद्देश्य और लक्ष्य की पूर्ति के लिए रेखा और स्टाफ अधिकारियों के बीच करीबी संबंध की वांछनीयता पर जोर देना चाहिए ।
(iv) रेखा के लोगों को स्टाफ के कामों में स्टाफ की रेखा के लोगों के काम में प्रशिक्षित करना चाहिए और यह उन्हें उनके कर्त्तव्यों और जिम्मेदारियों के उचित पहलुओं को जानने में सक्षम बनाता है ।
इसके अलावा रेखा-स्टाफ विवाद की समस्या से निपटने के लिए ‘मैट्रिक्स संगठन’ अपनाया जा सकता है ।