Read this article in Hindi to learn about:- 1. प्रधानमंत्री कार्यालय का प्रारम्भ (Introduction to Office of Prime Minister) 2. प्रधानमंत्री कार्यालय के कार्य/भूमिका (Work / Role of Office of Prime Minister) 3. बदलती भूमिका (Changing Role) 4. वर्तमान स्थिति (Present Situation).
प्रधानमंत्री कार्यालय का प्रारम्भ (Introduction to Office of Prime Minister):
राष्ट्र के वास्तविक प्रधान के रूप में कार्य करने में सहायता देने के लिए 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री सचिवालय की स्थापना की गयी । इसने गवर्नर जनरल के निजी सचिव का स्थान लिया है । इसका वर्तमान नाम प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएम ऑफिस) है जो 1977 में जनता पार्टी सरकार ने किया था ।
यह एक संविधानेतर संस्था है, किन्तु प्रधानमंत्री को विभिन्न मुद्दों पर सलाह तथा सचिविय सहायता देने वाली यह संस्था कैबिनेट सचिवालय के बाद दूसरी महत्वपूर्ण स्टॉफ एजेन्सी है ।
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आलोचकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भिन्न-भिन्न संज्ञाओं से नवाजा है । जैसे- ‘सुपरकैबिनेट’, ‘माइक्रो कैबिनेट’, ‘सुपर मिनिस्ट्री’, ‘सुपर सेक्रेटेरिएट’, ‘सुपर अथॉरिटी’, ‘दी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’, ‘दी गवर्नमेंट ऑफ दी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’ आदि । प्रधानमंत्री के माध्यम से यह कार्यालय उच्चस्तरीय नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
स्वतन्त्रता के समय प्रधानमंत्री सचिवालय का निर्माण उन समस्त कार्यों को सम्पन्न करने के उद्देश्य से किया गया, जो पहले गवर्नर जनरल के लिए उसका निजी सचिव करता था । इसके संगठन, कार्यों और प्रभाव में तब से आज तक अनेक बार परिवर्तन हुए है । लालबहादुर शास्त्री और विशेषकर इंदिरा गांधी के समय इसने अत्यधिक शक्ति अर्जित की परिणामस्वरूप इसके पर कतरने के लिए जनता सरकार ने इसका नाम प्रधानमंत्री कार्यालय कर दिया ।
1961 के कार्य विभाजन नियमों के तहत प्रधानमंत्री सचिवालय भारत सरकार के एक विभाग के रूप में काम करता है । इसका सर्वोच्च अधिकारी ”प्रधान सचिव” होता है जिसकी सहायता के लिए सचिव, अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव, निदेशक, उपसचिव जैसे उच्चस्तरीय अधिकारों के अतिरिक्त अधीनस्थ स्तरीय एक बड़ा कार्मिकवृन्द इस कार्यालय में पाया जाता है ।
निजी सचिव (P.A.), विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी (O.S.D.), सामाजिक सचिव, अनुसंधान अधिकारी, हिन्दी अधिकारी जैसे अधिकारी वर्ग के साथ अनुभाग अधिकारी वरिष्ठ और कनिष्ट लिपिक, टायपिस्ट आदि कार्मिक भी इस कार्यालय में पर्याप्त संख्या में होते हैं ।
प्रधानमंत्री कार्यालय के कार्य/भूमिका (Functions/Role of Office of Prime Minister):
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प्रधानमंत्री कार्यालय में दो बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है- प्रथमत: यह कार्यालय उन सब बातों का विषयों का निपटान करता है जो किसी मंत्रालय/विभाग को नहीं सौंपे गए हैं । दूसरे इस कार्यालय का केंद्रीय मंत्रिमंडल के अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री की जिम्मेदारियों से कोई संबंध नहीं है ।
मंत्रिमंडल से जुड़े मामले सीधे मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा निपटाए जाते हैं जो प्रधानमंत्री के निर्देशन में कार्य करता है । प्रधानमंत्री सचिवालय का प्रमुख कार्य प्रधानमंत्री को शासन प्रमुख के रूप में सम्पन्न किये जाने वाले कार्यों में सहायता देना है ।
इस हेतु यह निम्न कार्य करता है:
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1. केन्द्रीय मंत्रियों, राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विदेशी प्रतिनिधियों आदि से सम्पर्क स्थापित करने में प्रधानमंत्री की मदद करना ।
2. प्रधानमंत्री को मंत्रालयों से सम्पर्क स्थापित करने में मदद करना ।
3. प्रधानमंत्री के आवश्यक रिकार्डों की देख-रेख करना तथा प्रधानमंत्री द्वारा मांगी गयी सूचना उपलब्ध करना ।
4. प्रधानमंत्री के अतिथियों को व स्वागत सत्कार करने की व्यवस्था करना ।
5. प्रधानमंत्री के आदेश, निर्देश और संदेशों को मंत्रिमण्डलीय सचिवालय को प्रेषित करना ।
6. योजना आयोग के अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री को सहायता प्रदान करना ।
7. प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में प्रधानमंत्री को सहायता देना और इस हेतु ”प्रधानमंत्री कोष” का संचालन करना ।
8. प्रधानमंत्री को जन ”सम्पर्क” कार्यों में सहयोग देना ।
9. प्रधानमंत्री के राजनीतिक कार्यों और कार्यक्रमों में सहायता देना ।
10. प्रधानमंत्री को उसके अधीन मंत्रालयों के कुशल संचालन हेतु सचिवीय सहायता देना ।
11. प्रधानमंत्री के पास आए प्रकरणों का परीक्षण कर सुझाव सहित प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करना ।
प्रधानमंत्री कार्यालय के बदलती भूमिका (Changing Role of Office of Prime Minister):
स्वतंत्र भारत में प्रधानमंत्री कार्यालय की भूमिका में जो परिवर्तन हुआ उसको 4 रूपों में देख सकते हैं:
(1) प्रारंभिक सीमित भूमिका का युग (1947-1956):
i. पं नेहरू के प्रधानमंत्री रहते प्रधानमंत्री सचिवालय अपनी सीमित स्टॉफ संबंधी भूमिकाएं निभाता रहा ।
ii. पं नेहरू ने इसे मूल भूमिका में बनाये रखा अर्थात् इसके द्वारा स्टॉफ के ही कार्य संपन्न किये गये ।
(2) शक्तिशाली व्यापक भूमिका का प्रथम युग (1965-1977):
a. प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री सचिवालय पर अपनी निर्भरता अधिक बढ़ा ली ।
b. शास्त्रीजी के समय से सचिवालय शक्ति केंद्र के रूप में स्थापित हो गया ।
c. लेकिन यह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी जिन्होंने प्रधानमंत्री सचिवालय को नीति निर्माता के रूप में विकसित कर दिया ।
d. पी.एन. हक्स्र, आर.क. धवन जैसे व्यक्तियों की मौजुदगी से प्रधान सचिवालय ने कैबिनेट सचिवालय के महत्व को नेपश्य में धकेल दिया । अर्थात सर्वोच्च स्टॉफ के रूप में इस समय प्रधान सचिवालय था, न कि कैबिनेट सचिवालय ।
(3) ह्रास की अल्पावधि (1977-1980):
1. जनता पार्टी सरकार 1977 में सत्तारूढ़ हुई और उसने सर्वप्रथम प्रधानमंत्री सचिवालय की बढ़ी हुई भूमिका को सीमित करने का प्रयास किया ।
2. इसका नाम बदलकर ”प्रधानमंत्री कार्यालय” (P.M.O.) कर दिया गया जो अब तक बना हुआ है ।
(4) शक्तिशाली भूमिका का दूसरा और वर्तमान युग (1980-अब तक):
a. श्रीमति इंदिरा गांधी के पुन: प्रधानमंत्री (1980) बनने के साथ पी.एम.ओ. के दिन फिर लौट आए ।
b. राजीव गांधी (1984-1988), नरसिम्हाराव (1991-95) के बाद अटलबिहारी वाजपेयी (1999-2003) के समय ब्रजेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में पी.एम.ओ. फिर ”सरकार” बन गयी ।
प्रधानमंत्री कार्यालय के वर्तमान स्थिति (Present Situation of Office of Prime Minister):
संगठन:
एक विशाल संगठन जिसमें 375 के लगभग अधिकारी कर्मचारी कार्यरत है ।
भूमिका:
प्रधानमंत्री से कैबिनेट सचिव की तुलना में ज्यादा निकटता प्रधान सचिव की । सभी मंत्रालयों, विभागों, अभिकरणों पर प्रधानमंत्री की और से निर्देशन की सत्ता का उपयोग ।
प्रभाव:
प्रधानमंत्री की मुख्य कार्यपालक की भूमिका को प्रभावी बनाने में योगदान । लेकिन कैबिनेट सचिवालय की स्थिति में ह्रास के लिये जिम्मेदार । मंत्री और मंत्रालय की स्थिति और प्रतिष्ठा में तुलनात्मक रूप से ह्रास (गैर प्रजातांत्रिक भूमिका) । अजय मेहरा- “प्रधानमंत्री कार्यालय ने कैबिनेट सचिवालय पर ग्रहण लगा दिया है ।”
स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की भूमिका देश के प्रशासन में अत्यन्त महत्वपूर्ण है । इसकी सहायता से ही प्रधानमंत्री देश के मुख्य प्रशासक, मुख्य नीति निर्माता और मुख्य राजनयिक के साथ देश के जननेता के अपने दायित्वों को पूरा कर पाता है । वस्तुतः प्रधानमंत्री कार्यालय देश का महत्वपूर्ण और अग्रणी स्टॉफ अभिकरण है जिस पर अप्रत्यक्ष रूप से देश के शासन का भार है ।