Read this article in Hindi to learn about the Fayol’s  administrative theory of scientific management.

यांत्रिक या शास्त्रीय विचारधारा के प्रतिमान में फेयोल ने अपने प्रशासनिक सिद्धांतों के माध्यम से विशेष योगदान दिया । वह इन सिद्धांतों पर आधारित औपचारिक संगठन को ही मानता और महत्व देता रहा ।

एक ही प्रशासनिक विज्ञान: 

फेयोल उच्च स्तरीय प्रबंधकीय क्रियाकलापों को ही प्रबंध की संज्ञा देता है जो सर्वत्र ही एकसमान संपादित होती है चाहे वह सरकारी प्रशासन हो या निजी । उसके अनुसार प्रबंध और प्रशासन में कोई अंतर नहीं है ।

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उल्लेखनीय है कि फेयोल ने संगठन के उच्च स्तर पर कार्यों के लिये ‘प्रशासन’ शब्द का इस्तेमाल किया । फेयोल के ही शब्दों में, ”मैने जो अर्थ प्रशासन शब्द को दिया है और जो सामान्यतः स्वीकार किया जाता है, उससे प्रशासन द्वारा की जाने वाली सेवाओं का क्षेत्र काफी विस्तृत हो जाता है ।……….. अब हमारे सामने विभिन्न प्रकार के प्रशासनिक विज्ञान नहीं है अपितु एक ही प्रकार का प्रशासन है, जिसे सार्वजनिक एवं निजी मामलों में समान रूप से लागू किया जा सकता है ।”

छह संगठनात्मक कार्य या गतिविधियां: 

अपनी पुस्तक “जनरल एण्ड इण्स्ट्रीअल एडमिनिस्ट्रेशन” में फेयोल ने संगठन की समस्त गतिविधियों को 6 वर्गों में रखा:

1. तकनीकी (Technical):

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इसके अंतर्गत उत्पादन निर्माण, अनुकूलता को रखा और संगठन की प्रगति में उन्हें सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताया ।

2. वाणिज्यिक (Commercial):

इसमें क्रय विक्रय विनिमय आदि कार्यों को शामिल किया ।

3. वित्तीय (Financial):

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इसमें पूंजी की प्राप्ति और उसके सर्वोत्तम उपयोग से संबंधित वित्तीय प्रबंध की गतिविधियों को रखा ।

4. सुरक्षात्मक:

इसमें दो प्रकार की सुरक्षा शामिल है:

(a) कार्मिकों की सुरक्षा तथा

(b) सयंत्र और उसकी संपत्ति की सुरक्षा

5. लेखांकन संबंधी (Accounting):

इसके अंतर्गत संगठन के समस्त लेन-देन का हिसाब रखने, बेलेंस शीट बनाने, लागत लेखांकन, साख्यिकी आदि कार्य शामिल हैं ।

6. प्रबंधकीय गतिविधियाँ (Managerial):

फेयोल ने इसके अंतर्गत 5 कार्यों या गतिविधियों को रखा:

(i) नियोजन या पूर्वानुमान:

फैयोल ने इसे महत्वपूर्ण मानते हुए इसको ”प्रबंध का बहुमूल्य उपकरण” कहा । नियोजन का अर्थ फेयोल ने दिया है- ”आगे की और देखना ।” अर्थात् भविष्य का आकलन कर तदनुरूप योजना बनाना । फेयोल ने अच्छी योजना के लक्षण बताये है- एकता, निरंतरता, लोचशीलता और निश्चितता ।

(ii) संगठन:

फेयोल के अनुसार संगठन से आशय है, ”उद्यम को चलाने के लिये आवश्यक ”उपयोगी साधनों” तथा ”कार्मिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना और इसके लिए जरूरी व्यवस्था करना ।”

फेयोल ने सांगठनिक क्रिया के दो भाग बताएं:

(a) भौतिक संगठन और

(b) मानवीय संगठन ।

पहले के अंतर्गत उपकरण, मशीन, कच्चा माल आदि तथा दूसरे के अंतर्गत नेतृत्व, संगठन-संरचना आदि को रखा ।

(iii) आदेश:

फेयोल इसका उद्देश्य बताते है, ”संगठन के हितों के अनुकूल कार्मिकों से निष्पादन प्राप्त करना ।” फेयोल के अनुसार आदेश की कला प्रबंधक के व्यैक्तिक गुणों के साथ उसके प्रबंधकीय सिद्धांतों के ज्ञान पर भी निर्भर करती है ।

(iv) समन्वय या संयोजन:

फेयोल के अनुसार इससे आशय है, ”संगठन की समस्त क्रियाओं एवं प्रयासों में एकरूता लाना ।” समन्वय एक महत्वपूर्ण प्रबंधकीय कार्य है जो सब लोगों को मिल-जुलकर काम करने के लिये प्रेरित करता है जिससे उद्देश्य प्राप्ति आसान हो जाती है ।

(v) नियंत्रण:

फेयोल ने नियंत्रण को परिभाषित किया है, ”यह देखने की क्रिया कि प्रत्येक कार्य अपनाई गयी योजना, दिए गए निर्देशों और मानक सिद्धांतों के अनुसार हो रहा है या नहीं । और जहां कहीं भी विचलन दिखायी दे, वहां समय रहते उसे दूर करना ।” फेयोल ने नियंत्रण में 5 कार्य रखे है- निगाह रखना, मानिटरिंग करना, जाँच करना, लेखा-परीक्षण करना और प्रत्युत्तर प्राप्त करना ।

प्रबंधकीय या प्रशासनिक प्रशिक्षण:

हेनरी फेयोल का प्रबल मत था कि व्यक्ति में प्रबंधकीय गुण एवं कौशल का विकास किया जा सकता है । इसके लिये प्राथमिक शालाओं से ही प्रबंध-शिक्षा की शुरूआत हो जाना चाहिये यद्यपि उच्च शिक्षण-संस्थानों में प्रबंध की व्यापक शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए ।

प्रबंधकों की योग्यताएं:

फेयोल ने निम्नलिखित गुणों या योग्यताओं की सिफारिश की:

1. भौतिक योग्यताएँ अच्छा स्वास्थ्य, शक्ति और आकर्षण व्यक्तित्व ।

2. मानसिक योग्यताएँ जैसे मानसिक शक्ति विवेकशीलता, सीखने या समझने की क्षमता, अनुकूलता ।

3. नैतिक गुण- उत्तरदायित्व लेने की इच्छाशक्ति और दृढता ।

4. सामान्य शैक्षिक योग्यताएं- कार्य के अलावा अन्य जानकारी ।

5. विशिष्ट ज्ञान जैसे कार्य संबंधी तकनीकी, वाणिज्यिक, वित्तीय, प्रबंधकीय ज्ञान ।

6. अनुभव संबंधी योग्यताएँ या कार्य संबंधी अनुभव ।

प्रबंधकीय कौशल:

फेयोल ने संगठन के प्रत्येक स्तर पर प्रबंधकीय कौशल की आवश्यकता बतायी यद्यपि उसके स्वरूप में ऊपर से नीचे तक प्रकारात्मक अंतर बताए:

1. तकनीकी कौशल:

निम्न स्तर पर कार्यरत कार्मिकों में तकनीकी कौशल अधिक होना चाहिये। इससे तात्पर्य है कार्य क्षेत्र की प्रक्रिया, तकनीक का विशेषीकृत ज्ञान।

2. मानवीय कौशल:

यह मध्यस्तरीय प्रबंधकों में अधिक आवश्यक है । इसके अंतर्गत प्रबंधकों को सामूहिक रूप से कार्मिकों की समझने, प्रोत्साहित करने और उनके साथ मिलकर कार्य करने की कला आना चाहिए ।

3. अवधारणात्मक कौशल:

उच्च स्तर पर यह प्रबन्धकीय कौशल अधिक आवश्यक है इस कौशल के माध्यम से ही प्रबंधक संगठनात्मक हितों और सांगठनिक गतिविधियों को एकीकृत और समन्वित कर पाते हैं ।

स्पष्ट है कि उपरोक्त सभी कौशल प्रत्येक स्तर पर जरूरी है लेकिन उनमें से किसी एक की विशेष जरूरत संबंधित स्तर पर अधिक होती है ।

फैयोल के कुछ अन्य सुझाव:

(I) लिखित संचार के अत्यधिक प्रयोग से संगठन की एकता खतरे में पडती है अतः इसका सीमित प्रयोग हो ।

(II) प्रत्यायोजन का आवश्यकतानुरूप प्रयाग करना चाहिए । इससे मनोबल में वृद्धि होती है, कार्य शीघ्र होते है ।

(III) कार्मिकों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिये । फेयोल ने स्वयं अपनी कोयला-खदान में ऐसा किया था ।

(IV) नियंत्रण का क्षेत्र सीमित होना चाहिये । एक अधिकारी के अधीन 5-6 अधीनस्थ रखे जा सकते हैं ।

(V) संगठन में अनार्थिक प्रोत्साहनों को भी अपनाना चाहिये ।

(VI) प्रशासन और प्रबंध एक ही है और सर्वव्यापी है ।

मूल्याँकन:

हेनरी फेयोल ने अपने विचारों से उस आधुनिक प्रबंध विज्ञान की नींव रखी जो आज भी प्रासंगिक है । लेकिन उसके सिद्धांतों की कतिपय आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ा । पीटर ड्रकर, नार्मन कुथबर्ट, साइमन, बनार्ड, मेयोवादी आदि ने उसकी आलोचना की । मानव संबंधों की उपेक्षा के कारण उसकी तीव्र आलोचना हुई ।

पीटर ड्रकर के अनुसार फेयोल के 14 सिद्धांतों में दोहराव का दोष हैं । उसका यांत्रिक संगठनों का आदर्श प्रतिमान मानव-संगठनों के लिये थोपी गयी व्यवस्था है । टेलर ने फेयोल के ”आदेश की एकता” के सिद्धांत का अव्यवहारिक बताया । यह सिद्धांत समन्वय की समस्या को जन्म देता है ।

संरचनात्मक दृष्टिकोण के समर्थक फेयोल की इस बात के लिये आलोचना करते है कि उसने सरचना के स्थान पर प्रकार्यो (कार्यात्मक दृष्टिकोण) पर बल दिया । इसी प्रकार फेयोल ने मात्र उच्च प्रबंध पर अध्ययन केन्द्रित किया और अधीनस्थ या कार्यशाला स्तर के प्रबंध के बारे में कुछ नहीं कहा ।

वह मात्र उच्च प्रबंधकों को ही एकमात्र योग्य, बुद्धिमान और सब समस्याओं का हल मानता है । इस दृष्टिकोण की भी खूब आलोचना हुई । लेकिन प्रशासनिक सिद्धांतों के जनक और प्रबंध प्रक्रिया के संस्थापक के रूप में हेनरी फेयोल के योगदान का महत्व आज भी बरकरार है ।

फेयोल पहले विचारक थे जिन्होंने प्रबंध को एक पृथक् और विशेष कोशल से युक्त विधा माना । उन्होंने प्रबंधकीय सिद्धांतों की सार्वभौमिकता पर बल नहीं दिया अपितु संगठन के स्तर पर तार्किक चिंतन को महत्व दिया ।

लेकिन वे प्रबंध या प्रशासन को सार्वभौमिक प्रक्रिया मानते थे और लोक तथा निजी प्रशासन में कोई अंतर नहीं करते थे । फिर भी फेयोल प्रशासन या प्रबंध को मात्र उच्च वर्गीय कार्य ही नहीं मानते अपितु उनके अनुसार संगठन में निचले से निचले स्तर का कार्मिक कुछ न कुछ प्रबंधकीय कार्य अवश्य करता है ।