Read this article in Hindi to learn about Hawthorne studies on human relation.

हॉथार्न अध्ययन मानव संबंध सिद्धांत के उदय का आधार बने । इन अध्ययनों ने क्लासिकीय उपागम अर्थात आर्थिक मनुष्य और औपचारिक संगठन के ढाँचे की भूमिका की सोच की बुनियादें हिला दीं । ये अध्ययन एल्टन मेयो के नेतृत्व में हावर्ड बिजनेस स्कूल द्वारा हॉथार्न (शिकागो के पास) स्थित वेस्टर्न इलैक्ट्रिक कंपनी में संचालित किए गए ।

इन्हें निम्न चार चरणों में चलाया गया:

1. प्रकाश प्रयोग (1924-27), प्रकाश क विभिन्न स्तरों का मजदूरों का उत्पादकता पर प्रभाव निर्धारित करने के लिए ।

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2. रिले असेंबली टेस्ट रूम प्रयोग (1927), काम करने का स्थितियों में विभिन्न बदलावों का मजदूरों के उत्पादन खार उत्साह पर प्रभाव देखने के लिए ।

3. व्यापक साक्षात्कार कार्यक्रम (1928-31), कर्मचारियों से बात करके उनका भावनाओं (अर्थात् मानवीय रुख खार भावनाएँ) को जानना ।

4. बैंक वायरिंग प्रयोग (1931-32), यह जानने के लिए क प्रत्येक सदस्य के उत्पादन का नियंत्रित करने वाले मानक मजदूरों के सामाजिक समूहों (अनौपचारिक संगठन) द्वारा किस प्रकार से स्थापित होते हैं । उपरोक्त चरणों की व्याख्या 1939 में रोथलिस्बर्गर व डिक्सन द्वारा प्रकाशित मैनेजमेंट एंड दि वर्कर में की गई है ।

हॉथार्न अध्ययन के नतीजे हैं:

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(i) कार्य की भौतिक स्थितियाँ नहीं बल्कि कार्यस्थान के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारक कर्मचारियों के उत्पादन और उत्साह को निर्धारित करते हैं । यह सबसे महत्वपूर्ण खोज थी ।

(ii) संगठन एक सामाजिक व्यवस्था है ।

(iii) आर्थिकेतर पुरस्कार और प्रतिबंध कर्मचारी के व्यवहार, उत्साह और उत्पादन पर गहरा प्रभाव डालते हैं ।

(iv) कर्मचारी तटस्थ, कटे हुए असंबद्ध व्यक्ति नहीं होते, अपितु वे सामाजिक प्राणी होते हैं ।

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(v) विशिष्टीकरण के ही आधार पर कार्य विभाजन अनिवार्यत: सबसे प्रभावी उपागम नहीं है ।

(vi) मजदूरों में छोटे सामाजिक समूह (अनौपचारिक संगठन) बनाने का रुझान होता है । उत्पादन के मानक और व्यवहारीय प्रतिरूप ऐसे समूहों द्वारा ही तय होते हैं ।

(vii) मजदूर प्रबंधन के प्रति अनौपचारिक कार्य समूहों के सदस्यों के तौर पर प्रतिक्रिया देते हैं, न कि व्यक्तियों के रूप में ।

(viii) मजदूरों के व्यवहार, संतोष और उत्पादकता में नेतृत्व, पर्यवेक्षण की शैली, संचार और भागीदारी एक केंद्रीय भूमिका अदा करते हैं ।

इस प्रकार हॉथार्न अध्ययन के नतीजे अचंभित करने वाले थे और उन्होंने सांगठनिक चिंतन में क्रांति ला दी । उन्होंने एक नए सिद्धांत को जन्म दिया, जिसे मानव संबंध सिद्धांत कहा गया ।

तत्व/विशेषताएं (Elements/Features):

मानव संबंध सिद्धांत के तीन संघटक हैं:

(i) व्यक्ति,

(ii) अनौपचारिक संगठन और

(iii) भागीदारीपूर्ण प्रबंधन ।

(i) व्यक्ति:

यह सिद्धांत व्यक्तियों की भावनाओं और धारणाओं के महत्व को पहचानता है । मजदूरों के उत्पादन और सांगठनिक नतीजे का स्तर कार्य में मानव संबंधों से निर्धारित होता है न कि कार्य की भौतिक और आर्थिक स्थितियों से ।

रोथलिस्बर्गर के अनुसार- हर व्यक्ति अद्वितीय है । हर व्यक्ति कार्य स्थिति में कुछ रुझान, विश्वास और जीवन पद्धतियाँ और साथ ही साथ कुछ कुशलताएँ-तकनीकी, सामाजिक या तार्किक-ले आते हैं । अपने पहले के अनुभवों के अर्थों में, हर व्यक्ति की अपनी कार्य स्थिति से कुछ खास आशाएँ और उम्मीदें होती हैं ।

(ii) अनौपचारिक संगठन:

मानव संबंध सिद्धांत अनौपचारिक संगठनों पर जोर देता है । जैसा कि हिक्स व गुलेट कहते हैं- ”औपचारिक संगठन के भीतर मौजूद अनौपचारिक छाया संगठन पर बल दिया गया है । मनुष्य के सामाजिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है और उसकी मुख्य आवश्यकता को अपने कार्य समूह से संबंधित होने, उसके द्वारा स्वीकारे जाने और उसमें सुस्थित होने की चाहत के रूप में देखा गया है ।”

एल.डी. व्हाइट ने अनौपचारिक संगठन को ”कार्य संबंधों के उस सम्मुचय” के रूप में परिभाषित किया है जो ”लंबे समय से साथ काम कर रहे व्यक्तियों के बीच घुलने-मिलने से पैदा होता है ।”

अनौपचारिक और औपचारिक संगठनों में भेद के बिंदु हैं:

(i) अनौपचारिक संगठन प्रथागत होता है, जबकि औपचारिक संगठन को लागू करता पड़ता है ।

(ii) अनौपचारिक संगठन लिखित नहीं होता और स्वच्छ चित्रों के अधीन नहीं होता, जबकि औपचारिक संगठन लिखित, नियमावलीबद्ध और सांगठनिक आरेखों में चित्रित होता है ।

(iii) अनौपचारिक संगठन भावनात्मक और व्यक्तिगत होता है, जबकि औपचारिक संगठन तार्किक और अवैयक्तिक ।

(iv) अनौपचारिक संगठन स्वतःस्फूर्त और सामाजिक होता है, जबकि औपचारिक संगठन नियोजित और कानूनी ।

अनौपचारिक संगठन सांगठनिक कुशलता को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । जैसा कि बैंक वायरिंग प्रयोग (1931-32) में पाया गया, यह उत्पादन के मानक और व्यवहारीय प्रतिरूप को निर्धारित करता है ।

ये मानक हैं:

(i) बहुत ज्यादा काम नहीं करना चाहिए । अगर कोई करता है तो वह ‘रेट बस्टर’ है ।

(ii) बहुत कम काम नहीं करना चाहिए अगर कोई करता है तो वह ‘स्वार्थी धोखेबाज’ है ।

(iii) पर्यवेक्षक को ऐसा कुछ नहीं बताना चाहिए जो किसी साथी को हानि पहुँचाए । अगर कोई ऐसा करता है तो वह ‘कबूतर का बच्चा’ है ।

(iv) सामाजिक दूरी कायम नहीं रखनी चाहिए और अतिपदक्षमता से काम नहीं करना चाहिए । जैसे- किसी निरीक्षक को ऐसे व्यवहार नहीं करना चाहिए ।

इस प्रकार मानव संबंध सिद्धांत ने मजदूरों की प्रेरणा, संतोष और उत्पादकता पर कार्य समूह के प्रभाव पर बल दिया । मेयो ने कहा कि उसके कार्य समूह में मनुष्य की सामाजिक स्थिति पहले है और काम तो संयोग से है । इस प्रकार उन्होंने डेविड रिकार्डो की रैबल परिकल्पना को खारिज कर दिया जो मानती है कि मनुष्य जाति आत्महित से संचालित व्यक्तियों का झुंड है ।

रोथलिस्बर्गर ने टिप्पणी की- ”अक्सर हम मानवीय समस्याओं को गैर मानवीय साधनों और गैर मानवीय सूचना के अर्थों में हल करने का प्रयास करते हैं । यह मेरा सीधा-सा शोध निष्कर्ष है कि मानवीय समस्या के मानवीय हल के लिए मानवीय सूचनाओं और मानवीय साधनों की जरूरत होती है । मजदूर अलग-थलग या असंबद्ध व्यक्ति नहीं हैं; अपितु सामाजिक प्राणी हैं और उनसे उसी तरह व्यवहार होना चाहिए ।”

(iii) भागीदारीपूर्ण प्रबंधन:

मानव संबंध सिद्धांत भागीदारी प्रबंधन की शैली का समर्थन करता है अर्थात् अपनी कार्य स्थितियों के संबंध में निर्णय निर्माण में मजदूरों की भागीदारी । दूसरे शब्दों में, प्रबंधक को कार्यक्रम (कार्य शेडयूल) में बदलाव से पहले कार्य समूहों और उनके अनौपचारिक नेताओं से सलाह ले लेनी चाहिए ।

प्रबंधन की इस शैली के निम्न लाभ हैं:

(i) यह मजदूरों को पर्यवेक्षकों से विचार-विमर्श-करने और उन्हें प्रभावित करने वाले निर्णयों को प्रभावित करने की इजाजत देती है ।

(ii) यह समूह में एक भागीदारी का अहसास पैदा करती है ।

(iii) इसका नतीजा अधिक उत्पादकता के रूप में सामने आता है ।

(iv) यह कार्य परिवेश को ज्यादा सुखद बना देता है ।

(v) यह प्रबंधन से मजदूरों के अलगाव को रोकता है ।

(vi) यह सांगठनिक लक्ष्यों के मजदूरों द्वारा स्वीकार किए जाने में सहायक होता है । मानव संबंधवादियों द्वारा भागीदारी प्रबंधन को समर्थन एफ.डब्ल्यू. टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन के ठीक विपरीत है ।

क्लासिकीय बनाम मानव संबंध (Classical Vs Human Relations):

मानव संबंध सिद्धांत ने क्लासिकीय सिद्धांत को पूरी तरह खारिज नहीं किया । इसने क्लासिकीय उपागम की खाली जगहों को भरा, कुछ क्लासिकीय अवधारणाओं को सुधारा और विस्तारित किया ।

लेकिन इसने क्लासिकीय सिद्धांत द्वारा समर्पित दो अवधारणाओं को खारिज कर दिया; आर्थिक मनुष्य और औपचारिक संस्थाकरण की अवधारणाएँ । मानव संबंधवादियों ने क्लासिकीय चिंतकों (परंपरावादियों) के समान संगठन के वैध मूल्यों के रूप में कुशलता और उत्पादकता तथा उत्पादन में प्रबंधन की भूमिका को स्वीकारा ।

जैसा कि मोहित भट्टाचार्य ठीक ही कहते हैं- ”वे संगठन के प्रति अपने बुनियादी उपागम में परंपरावादियों से अलग थे जिसे वह औपचारिक संगठन के अलग व्यक्तियों, अनौपचारिक समूहों और अंतर्समूह संबंधों को समेटने वाली एक सामाजिक व्यवस्था मानते थे ।”

तालिका 3.1 क्लासिकीय बनाम मानव संबंध सिद्धांत:

क्लासिकीय सिद्धांत:

1. औपचारिक सांगठनिक ढाँचे पर जोर ।

2. संगठन को तार्किक व अवैयक्तिक व्यवस्था के रूप में देखता हैं ।

3. मजदूरों की ‘आर्थिक मनुष्य’ दृष्टि की वकालत करता है ।

4. संगठन के शारीरिक और यांत्रिक पहलुओं पर जोर ।

5. यह मानता है कि सांगठनिक व्यवहार प्रबंधन द्वारा बनाए गए नियमों-विनियमों का उत्पाद है ।

6. मानती है कि लोग सजातीय है ।

7. पर्यवेक्षण की निरंकुश शैली पर जोर है ।

8. मानव की परमाणु दृष्टि अपनाता है ।

9. कहती है कि सांगठनिक कुशलता सिद्धांतों के अनुसार बने ढांचों पर निर्भर करती है।

10. कार्य के भौतिक परिवेश पर ध्यान केंद्रित करता है ।

मानव संबंध सिद्धांत:

1. अनौपचारिक संगठन पर जोर ।

2. संगठन को एक भावनात्मक और सामाजिक व्यवस्था के रूप में है ।

3. मजदूरों की ‘सामाजिक मनुष्य’ दृष्टि का समर्थन करता है ।

4. संगठन के समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर जोर ।

5. मानती है कि सांगठनिक व्यवहार कर्मचारियों के रुखों, भावनाओं अहसासों का उत्पाद है ।

6. यह मानता है कि लोग बहुजातीय हैं ।

7. पर्यवेक्षण की जनतांत्रिक शैली पर जोर है ।

8. मानव की ‘सामाजिक दृष्टि’ अपनाता है ।

9. कहती है कि सांगठनिक कुशलता मानव संबंधों और कर्मचारी और उत्साह पर निर्भर है ।

10. कार्य के सामाजिक परिवेश पर ध्यान केंद्रित करता है ।

आलोचनात्मक मूल्यांकन (Critical Evaluation):

इस प्रकार हॉथॉर्न अध्ययनों और मानव संबंध सिद्धांत ने प्रशासनिक चितंन के विकास में बुनियादी योगदान किया है । इसका महत्व उन अनौपचारिक संगठनों (सामाजिक समूहों) की खोज और उन पर जोर देने में निहित है जो सभी संगठनों में मौजूद होते हैं और टीम वर्क और गठजोड़ को बढ़ावा देते हैं । दरअसल डी.एस.पुग ने मेयो को ”उस समय से पहले का एक व्यवहारवादी वैज्ञानिक” कहा ”जब यह शब्द लोकप्रिय हुआ था ।”

फिर भी, मेयो और उनके मानव संबंध सिद्धांत की निम्न आधारों पर आलोचना हुई है:

(i) एलेक्स कैरी ने वैज्ञानिक आधार के अभाव और पाँच और छह लड़कियों के एक गैर भरोसेमंद नमूने को चुनकर सामान्यीकरण करने के लिए हॉथार्न अध्ययनों की आलोचना की ।

(ii) आलोचकों का कहना है कि प्रयोगों के दौरान मजदूरों का व्यवहार स्वाभाविक नहीं था बल्कि शोध के दौरान मिल रहे महत्व, ध्यान और प्रचार से प्रभावित था । इसे हॉथार्न प्रभाव के रूप में जाना जाता है । अर्थात मजदूरों को जब पता होता है कि उन पर नजर रखी जा रही है, तो वे सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं ।

(iii) लॉरेन बैरिट्‌ज ने मानव संबंधवादियों के प्रबंधन समर्थक और यूनियन विरोधी होने के लिए आलोचना की । यूनाइटेड ऑटो मजदूरों ने उनको ‘गाय समाजशास्त्री’ कहा ।

(iv) अमिताई एत्जिऑनी ने टिप्पणी की- ”मानव संबंध सिद्धांतवादी मजदूरों के बीच या मजदूरों और पर्यवक्षकों के बीच अनौपचारिक संबंधों पर कुछ ज्यादा ही ध्यान देते हैं, लेकिन औपचारिक संबंधों या इस बात पर नहीं कि वे अनौपचारिक संबंधों से कैसे निर्धारित हो रहे हैं ।”

(v) पीटर एफ.ड्रकर कहते हैं कि मानव-संबंधवादी कार्य की प्रकृति की उपेक्षा करते हैं और अत: वैयक्तिक संबंधों पर ज्यादा ध्यान देते हैं । उन्होंने आर्थिक आयामों से अनभिज्ञ होने के लिए उनकी आलोचना की ।

(vi) बेंडिक्स व फिशर ने कहा कि मेयो अपने वैज्ञानिक कार्य की नैतिक पूर्वधारणा को सुस्पष्ट: परिभाषित करने में असफल रहे ।

(vii) डेनियल सेल कहते हैं कि हावर्ड समूह की प्रणाली दोषपूर्ण थी ।

(viii) आलोचक कहते हैं कि मेयो के दर्शन में तनाव और विरोध का कोई स्थान नहीं था ।

(ix) मार्क्सवादी कहते हैं कि मेयोवाद मजदूरों के शोषण की नई तकनीक है, क्योंकि यह आर्थिक कारकों की उपेक्षा करता है ।

(x) आलोचक कहते है कि मेयो ने संगठन के सदस्यों पर अधिक जोर दिया और इसके काम और प्रयोजन की उपेक्षा की ।

(xi) सिद्धांत की आलोचना इस आधार पर की गई कि इसने मजदूरों के रुख और व्यवहार के परिवेशीय कारकों को नजरअंदाज किया ।