Read this article in Hindi to learn about:- 1. प्रशासनिक न्यायाधिकरण का अर्थ (Meaning of Administrative Tribunals) 2. प्रशासकीय न्यायाधिकरणों के प्रमुख संरक्षण (Chief Protection of Administrative Tribunals) 3. लोकप्रियता के कारण (Popularity).

प्रशासनिक न्यायाधिकरण का अर्थ (Meaning of Administrative Tribunals):

सामान्य न्यायालयों से हटकर जब किसी स्वतंत्र न्यायिक किस्म के अभिकरण का गठन शासन करता है तब उसे प्रशासनिक न्यायाधिकरण या अर्द्ध न्यायिक अभिकरण कहते हैं । इन्हें शक्तियाँ भी शासन द्वारा ही प्रदान की जाती हैं । इनका स्रोत संविधान भी हो सकता है । प्रशासन में प्रशासनिक अधिनिर्णय के महत्व को देखते हुए सिविल सेवा न्यायाधिकरणों की स्थापना की जाती है ।

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भारत में प्रमुख प्रशासकीय न्यायाधिकरण निम्नलिखित है:

1. आयकर अपील न्यायाधिकरण,

2. रेलवे रेट न्यायाधिकरण,

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3. श्रम न्यायालय,

4. औद्योगिक न्यायाधिकरण,

5. किराया न्यायाधिकरण आदि ।

प्रशासकीय न्यायाधिकरणों के प्रमुख संरक्षण (Chief Protection of Administrative Tribunals):

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प्रशासकीय न्यायाधिकरणों के प्रमुख संरक्षण निम्नलिखित है:

1. संगठनात्मक संरक्षण

2. प्रक्रियात्मक संरक्षण

3. न्यायिक संरक्षण

कार्य और अधिकार:

प्रशासनिक न्यायाधिकरण के कार्य, अधिकार, शक्तियां और कार्य करने की प्रक्रिया का निर्धारण संसद अधिनियम बनाकर करती है । इनके निर्णयों पर उच्च न्यायालय को क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं हैं, सिवाय विशेष अनुमति याचिका को छोड़कर । इनका प्रमुख कार्य है- गैर सरकारी पक्ष द्वारा शासन के विरूद्ध दायर मामलों की सुनवाई कर निर्णय देना ।

प्रशासनिक न्यायाधिकरण से सामान्य न्यायालय की तुलना में शीघ्र न्याय मिलता है । इनमें प्रशासकीय और न्यायिक क्षेत्र के अनुभवी सदस्य होते हैं जो प्रशासनिक पहलुओं को अच्छी तरह जानते अर्थात विशेषज्ञ होते हैं । उनकी जांच प्रक्रिया संक्षिप्त और सरल होती है । इनके निर्णयों में परिस्थितियों के अनुरूप लचीलापन होता है । ये सरकार की निरंकुशता और मनमानी पर नियंत्रण रखते हैं ।

अन्य लाभ- सस्ता न्याय, स्वविवेक का प्रयोग, न्यायालयों का कार्यभार हल्का करना, अधिक प्रगतिशील निर्णय आदि । लेकिन प्रशासनिक न्यायाधिकरणों की आलोचना भी की जाती है, जैसे विधि के शासन का उल्लंघन करती है, न्याय की प्रक्रिया सामान्य न्याय के सिद्धान्तों का पालन नहीं करती, इनके निर्णयों का व्यापक प्रचार-प्रसार नहीं हो पाता, इससे उनके उल्लंघन की संभावना बनी होती है ।

उपर्युक्त गुण-दोषों के परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि न्यायाधिकरण के काफी लाभ हैं और जो दोष दिखायी देते हैं, उनका उपाय किया जा सकता है । आधुनिक युग की यह एक नवीन प्रवृत्ति और आवश्यकता है जिसकी उपेक्षा का मतलब है; जन शिकायतों को दूर करने वाले एक सस्ते, शीघ्रगामी मंच को हटा लेना । इन्हें समय की जरूरत के मुताबिक उपयोगी, विश्वसनीय, स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष बनाने की जरूरत है ।

संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रशासकीय न्यायालय:

संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख प्रशासकीय न्यायालय निम्नलिखित है:

1. स्वतंत्र प्रशासकीय न्यायालय,

2. विशेष प्रशासकीय न्यायालय,

3. नियामक समितियां,

4. लाइसेंस अधिकारी ।

केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Central Administrative Tribunal):

संविधान के अनुच्छेद 312-ए में इसका प्रावधान है, तदनुरूप केंद्र सरकार अधिनियम द्वारा प्रावधान किया गया था कि राज्यों के लिए भी ऐसे न्यायाधिकरण उनकी सिफारिश पर निर्मित किए जाएंगे । इस न्यायाधिकरण का उद्देश्य है- लोक सेवकों और शासन के मध्य लोक सेवकों की सेवा शर्तों जैसे वेतन, पदोन्नति, स्थानान्तरण, शास्ति आदि पर उत्पन्न विवादों का शीघ्र निर्णय करना । सिविल सेवा न्यायाधिकरण सिविल सेवकों की सेवा शर्तों की व्याख्या करके इस आधार पर उत्पन्न हुए विवादों का निपटारा करते हैं ।

सिविल सेवा न्यायाधिकरण में सामान्यतः एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और कुछ संख्या में सदस्य होते हैं । इनके लिए न्यायिक या प्रशासनिक अनुभव की योग्यता रखी जाती है । सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष होता है । अध्यक्ष के लिए 65 वर्ष तथा सदस्यों के लिए 62 वर्ष की अधिकतम आयु निर्धारित है । इन्हें राष्ट्रपति ही अपने पद से हटा सकते है ।

प्रशासकीय अधिनिर्णय की लोकप्रियता के कारण (Popularity of the Administrative Adjudication):

1. सामान्य न्यायालयों की महंगी और जटिल प्रक्रिया के विपरीत न्यायाधिकरणों की सस्ती एवं संक्षिप्त प्रक्रिया ।

2. विशेषज्ञों का निर्णयों में सहयोग लेना संभव ।

3. सामाजिक नीति को लागू करने में उपयोगी ।

4. ये स्वयं पहल कर सकते हैं ।

5. रूढ़िवादी न्यायाधीश के विपरीत प्रगतिशील प्रशासकीय निर्णय ।

लाभ:

सस्ता और त्वरित न्याय, स्वविवेक का प्रयोग, लोचदार, न्यायालयों का कार्यभार हल्का करना, विशेषज्ञों का निर्णयों में उपयोग, अधिक प्रगतिशील निर्णय आदि ।

फ्रांस में प्रशासकीय न्यायाधिकरण (Administrative Tribunals in France):

यहां एक साधारण न्यायालय है जो साधारण नागरिक के विवाद को निपटाते है । दूसरे प्रशासकीय न्यायाधिकरण हैं, जो सरकारी अधिकारियों और नागरिकों के विवादों को निपटाते है । इसकी स्थापना 1790 में इस उद्देश्य से की गई थी ताकि सरकारी अधिकारियों को सामान्य न्यायालयों के दबाव से बचाया जा सके । यहां प्रशासकीय न्यायालय द्वि-स्तरीय है ।

निम्न स्तर पर प्रादेशिक परिषद (23) तथा इनके विरूद्ध अपील हेतु राज्य परिषद जो सर्वोच्च प्रशासकीय न्यायालय है, इसका अध्यक्ष फ्रांस का न्यायमंत्री होता है ।

अमोरका में प्रशासकीय न्यायाधिकरण (Administrative Tribunals in the United States):

यहां चार प्रकार के प्रशासकीय न्यायालय हैं:

1. स्वतंत्र प्रशासकीय न्यायालय – ये वस्तुतः सामान्य न्यायालयों की भांति ही न्यायिक प्रकृति के है, जैसे आपात कालीन ”बोर्ड ऑफ कोर्ट अपील”, ”कोर्ट ऑफ क्लैम” ।

2. विशेष प्रशासकीय न्यायालय – ये संस्थाएं प्रशासकीय प्रकृति की होती है जैसे पेटेंट अधिकार की अपील परिषद ।

3. नियामिकीय – आयोग ये मिश्रित प्रकृति के कार्य करते हैं । जैसे अंतर्राज्यीय और वाणिज्यिक आयोग, फेडरल ट्रेड कमीशन ।

4. लाइसेसिंग अथॉरिटी – समुद्र निरीक्षण नौचालन ब्यूरो, असैनिक विमान प्राधिकरण ।

इनकी लोकप्रियता के कारण:

1. सामान्य न्यायालयों की महंगी और जटिल प्रक्रिया के विपरीत न्यायाधिकरणों की सस्ती एवं संक्षिप्त प्रक्रिया ।

2. विशेषज्ञों का निर्णयों में सहयोग लेना संभव ।

3. सामाजिक नीति को लागू करने में उपयोगी ।

4. ये स्वयं पहल कर सकते हैं ।

5. रूढ़िवादी न्यायाधीश के विपरीत प्रगतिशील प्रशासकीय निर्णय ।

नोट:

इनकी गुप्त कार्यवाहियों के प्रकटीकरण के लिए यहां 1966 में सूचना प्राधिकरण कानून बनाया गया ।

प्रशासकीय अधिनियम के विकास के कारण (Development of the Administrative Act):

फ्रेंक्स समिति के अनुसार सामाजिक कल्याण और आर्थिक नियमन के लिए सरकार ने जो अनेक कार्य दायित्व और अपने हाथों में लिए है, उससे प्रशासनिक अधिनिर्णय की आवश्यकता में निरन्तर वृद्धि हो रही है ।

प्रशासकीय अधिनिर्णय के विकास के सामान्य कारण निम्नलिखित हैं:

(1) लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा:

इस कारण से राज्य का हस्तक्षेप नागरिक जीवन में अत्यधिक बड़ा और उसके क्रियाकलापों में भारी वृद्धि हुई । इससे नागरिक प्रशासन के मध्य विवाद भी बड़े जिनके निराकरण हेतु अधिनिर्णय की प्रणाली विकसित हुई ।

(2) नवीन नीतियों और विनियामक कानून के लिए:

लोक कल्याण की भावना से प्रेरित होकर ही राज्य निरन्तर नवीन नीतियों को निर्मित करता है, उन्हें लागू करता है और उनके संबंध में विवादों का निर्णय करता है । अनेक दुष्प्रवृत्तियों पर काबू रखने के लिए भी उसे नियमन कार्य करने पड़ रहे है, जिनसे उत्पन्न विवादों का निपटारा भी प्रशासनिक अधिनिर्णय के माध्यम से प्रशासन की जवाबदारी बन रही हैं ।

(3) तकनीकी मामलों में विशेषज्ञ समाधान हेतु:

आधुनिक युग की जटिल सामाजिक आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए तथा विभिन्न तकनीकी मामलों का उचित समाधान करने के लिए यह उचित माना गया कि ऐसे मामले न्यायाधिकरणों के माध्यम से सुलझाए जाए, जिनमें विशेषज्ञ होते है । सामान्य न्यायाधिशों के पास इस तकनीकी विशेषज्ञता अभाव है ।

(4) सामान्य न्यायालयों के न्यायाधीश मामलों को दृष्टि से देखते है, जबकि कल्याणकारी राज्य में इसे दो व्यक्तियों के बीच के मामले के स्थान पर मामला मानने की जरूरत होती है । इसकी पूर्ति न्यायाधिकरण करते हैं ।

(5) न्यायाधिकरण शीघ्र कार्यवाही के लिए अनिवार्य व्यवस्था के रूप में विकसित हो रहे हैं ।

(6) न्याय प्राप्त करने में कम व्यय, शीघ्र न्याय, प्रक्रिया संबंधी कम जटिलता आदि लाभों ने भी अधिनिर्णय के विकास में योगदान दिया हैं ।

(7) इन्हें सामान्य न्यायालयों के कार्य भार में कमी करने के उद्देश्य से भी अपनाया गया ।

प्रशासकीय न्यायाधिकरण का महत्व/उपयोगिता/लाभ (Importance / Utility / Benefits of Administrative Tribunals):

प्रशासनिक अधिनिर्णय का महत्व:

उपर्युक्त के कारणों के परिप्रेक्ष्य में ही प्रशासनिक के महत्व को भी विश्लेषित किया जा सकता है । वस्तुतः सामान्य न्यायालयों की तुलना में प्रशासनिक से अनेक लाभ है, जिन्होंने उसके महत्व को रेखांकित किया है ।

जैसे:

(1) सस्ता और शीघ्र न्याय:

सामान्य न्यायालयों के वितरित बहुत से प्रशासकीय न्यायालयों में न तो फीस लगती है, न वकील । प्रकार इनकी सरल न्याय को सुनिश्चित करती हैं ।

(2) नमनीयता या लोचशीलता:

प्रशासनिक न्यायाधिकरणों की कार्यप्रणाली में काफी जाती है । न तो वे अपने निर्णयों से बंधे होते है, ना ही सामान्य कानूनों को मार्ग में बाधक बनने देते है । साक्ष्य के उनेक अपने सरल नियम होते हैं । वे परिस्थितियों के अनुरूप अपने को ढाल सकते हैं ।

(3) प्रगतिशील दृष्टिकोण:

सामान्य न्यायालयों के रूढ़िवादी दृष्टिकोण के विपरीत प्रशासनिक न्यायालयों का दृष्टिकोण प्रगतिशील होता है । वे परिवर्तित सामाजिक व्यवस्था के साथ कदमताल करते हुए चलते हैं ।

(4) विशिष्ट मामलों का उपयुक्त समाधान:

प्रशासनिक न्यायालयों के निर्णायक प्रशिक्षित अनुभवी और विशेषज्ञ होते है, अतः व्यापार, उद्योग, इंजिनियरिंग, स्वास्थ्य जैसे मामलों में उपयुक्त समाधान प्रस्तुत कर पाते हैं ।

(5) सामान्य न्यायालयों के कार्यभार को हल्का करना:

इनका एक महत्व यह है कि बहुत से विवादों का निपटारा इनके द्वारा होने पर, सामान्य न्यायालयों पर कार्याधिक्य का बोझ कम हो जाता है ।

(6) अन्य उपयोगिता:

प्रशासनिक न्यायाधिकरण सादगी और अनौपचारिक कार्यप्रणाली के लिए अत्यन्त लोकप्रिय है । इनमें कानून की कठोरता का अभाव पाया जाता है, तथा साक्ष्य की इनके सरल नियम प्रक्रिया होती है, जिससे आधुनिक युग की नवीन न्यायिक आवश्यकताओं को पूरा करने में ये अत्यधिक सफल रहे हैं ।

वस्तुतः न्यायाधिकरणों ने सामान्य न्यायालय की कठोर और विलम्बकारी न्याय प्रक्रिया के मध्य ”प्रशासनिक अधिनिर्णय” जैसी लचीली और शीघ्र न्यायिक प्रक्रिया को सुनिश्चित करके सामाजिक हितों की पूर्ति में अमूल्य योगदान दिया है ।

ये सामान्य विधि के विरोधी नहीं है और ना ही इन्हें उनका विकल्प मानने की भूल करना चाहिए, अपितु ये आधुनिक जटिलताओं के युक्तियुक्त समाधान ढूंढने की प्रक्रिया के रूप में सामान्य विधि प्रणाली की पूरक व्यवस्था है । ये सामान्य विधि का नये स्वरूप में नये क्षेत्रों की ओर विस्तार हैं ।