“नौसैनिक आक्रमण” रानी एलिजाबेथ का भाषण | Speech of Queen Elizabeth I on “Naval Attack” in Hindi Language!
सन् 1588 में मई महीने में स्पेन के सम्राट फिलिप्स द्वितीय ने इग्लैण्ड पर नौसैनिक आक्रमण करने के लिए 131 युद्धपोतों का विशाल बेड़ा भेजा था ।
इस गम्भीर स्थिति में इग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने निम्न प्रेरक भाषण दिया :
‘मेरे प्रिय प्रजाजनो ! मुझे कुछ लोगों ने सलाह दी है कि अपनी सुरक्षा के लिए सशस्त्र सैनिक समूहों के धोखा देने के प्रति हमेशा सतर्क रहूं, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि अपने प्रिय व विश्वसनीय प्रजाजनों पर अविश्वास करने की मुझमें जरा-सी भी इच्छा नहीं । ‘डरे हुए तो अत्याचारी रहते हैं ।
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मैंने हमेशा ऐसा व्यवहार किया है कि भगवान् के पश्चात् मैंने अपने प्रजाजनों के स्वामीभक्त व प्रेमपूर्ण हृदयों के कारण अपनी सर्वाधिक शक्ति व सुरक्षा को महसूस किया है । इसलिए मैं इस समय आपके बीच आयी हूँ । यह किसी खेल के सुख-चैन का समय नहीं । यह तो युद्ध की भीषणता का समय है, मैं जिसमें आपके साथ ही जीना-मरना चाहती हूं ।
भले ही मेरे ईश्वर मेरे साम्राज्य और मेरी प्रजा की भलाई में मेरा सम्मान मेरा खून मिट्टी में मिल जाये ।’ ‘मैं जानती हूं कि मेरा शरीर एक अबला का है, परन्तु मेरा हृदय राजा का है, वह भी इंग्लैण्ड के राजा
का । मुझे इस विचार मात्र से नफरत है कि स्पेन या यूरोप का कोई शासक मेरे साम्राज्य की सीमाओं का अतिक्रमण करने का चेष्टा करे ।
मैं स्वयं हथियार उठाऊंगी युद्ध में आपमें से प्रत्येक द्वारा दिखायी गयी वीरता का खुद निर्णय करके उन्हें इनाम दूंगी ।’ ‘मुझे अभी भी पता है कि आप इनाम व सम्मान के पात्र हैं और यह एक राजा का वचन है कि आपको पुरस्कार दिया जायेगा । इस दौरान मेरे लेफ्टिनेण्ट जनरल मेरी तरफ से आपका नेतृत्व करेंगे ।
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मुझे मेरे जरनल के प्रति आपकी आज्ञाकारिता पर कोई शक नहीं । सैन्य शिविर में अपने सामंजस्य व संगठन एवं युद्ध में आपकी वीरता के कारण हम जल्द ही मेरे प्रभु मेरे साम्राज्य एवं मेरे प्रजाजनों के शत्रुओं को परास्त कर देंगे ।’