राष्ट्र की गरिमा । Speech of Colonel Tim Collins on “The Dignity of the Nation” in Hindi Language!
सन 2003 के इराक युद्ध में ब्रिटिश सेना के लेफ्टिनेण्ट कर्नल टिम कॉलिंस थे । उन्होंने सन् 2003 में 19 मार्च को यह भाषण युद्ध शुरू होने की पूर्व सन्ध्या पर अपने सैनिकों को दिया था कर्नल टिम के इस भाषण की इतनी चर्चा हुई और उसे इतना सराहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डबल्यू० बुश ने उसकी एक प्रति मंगवाकर अपने कार्यालय की दीवार पर टगंवायी :
हम उन्हें आजाद कराने जा रहे हैं, जीतने नहीं । हम उस देश पर अपने झण्डे नहीं फहरायेंगे । हम इराक में वहां की जनता को स्वतन्त्र करने के लिए प्रवेश कर रहे हैं । इस प्राचीन धरती पर केवल उनका अपना झण्डा फहरायेगा । उसके प्रति सम्मान प्रदर्शित करें ।
कुछ ऐसे भी हैं, जो अभी जिन्दा हैं, किन्तु कुछ समय पश्चात् जिन्दा नहीं रहेंगे । जो व्यक्ति इस यात्रा पर नहीं जाना चाहते हम उन्हें नहीं भेजेंगे । जहां तक अन्य लोगों का प्रश्न है, मैं उम्मीद करता हूं आप उनकी दुनिया को हिलाकर रख देंगे । यदि वे यही चाहते हैं, तो उनका अस्तित्व समाप्त कर दो । लेकिन यदि आप युद्ध में विकराल हैं, तो विजय में उदार होना भी स्मरण रखना ।
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इराक इतिहास से सराबोर है । वह अदन के बाग महाजल-प्रलय की स्थली और इब्राहिम की जन्मभूमि है । इस भूमि पर हलकी चाल से चलें । आप वह सब देखेंगे, जो कोई पैसा व्यय करके नहीं देख सकता । इराकियों से भले, उदार और ईमानदार व्यक्ति आपको बहुत छूने पर ही मिलेंगे । यद्यपि उनके पास कुछ नहीं है, फिर भी आप उनकी अतिथि-परायणता से अभिभूत हो जायेंगे ।
उनके साथ शरणार्थियों जैसा व्यवहार नहीं करना; क्योंकि वे अपने देश में हैं । उनके बच्चे गरीब होंगे परन्तु आने वाले सालों में उन्हें मालूम चलेगा कि उनके जीवन में स्वाधीनता का प्रकाश आपने फैलाया था । वे जब युद्ध में हताहत हों तो याद रखना कि जब उन्होंने सुबह उठकर वर्दी पहनी थी तो उनकी योजना दिल में मरने की नहीं थी ।
उनको गरिमामय मौत प्राप्त करने देना । उनको ठीक से दफनाना और उनकी कब्र को चिह्नित करना । मेरा सबसे पहला इरादा है कि आप में से प्रत्येक को यहा से जीवित बचा ले जाऊं । लेकिन हम में से कुछ ऐसे होंगे जो इस युद्ध का अन्त देखने तक नहीं रहेंगे । हम उनको उनकी चिरनिद्रा से बक्सों में रखकर वापस भेज देंगे ।
उनके लिए दु:ख मनाने का वक्त भी नहीं होगा । इसमें दुश्मन को शंका नहीं होनी चाहिए कि हम उसके लिए प्रतिशोध के देवता है और उसका विनाश करने आये हैं । अनेक क्षेत्रीय कमाण्डर भी हैं, जिनकी आत्माएं दुखी हैं और जो सद्दाम के लिए नरक की अग्नि भड़का रहे हैं ।
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वह और उनकी सेनाएं इस सयुक्त बल द्वारा समाप्त होंगी-जो कुछ उन्होंने किया है, उसी के फलस्वरूप! मरते समय उन्हें महसूस होगा कि यह उनके कर्मों का फल है । उनके प्रति जरा भी दया भाव नहीं
दिखाना । किसी अन्य मानव के प्राण लेना बहुत मुश्किल होता है । यह लापरवाही से नहीं किया जाना चाहिए ।
में जानता हूं कि दूसरे युद्धों में कुछ व्यक्तियों ने बिना किसी कारण के प्राण लिये । मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि वे हत्यारे का कलक लेकर जीते हैं । यदि कोई आपके सामने आत्मसमर्पण करता है, तो स्मरण रखें कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार उसे यह अधिकार है । यह निश्चित करें कि वह एक दिन अपने घर और अपने परिवार के पास जा सके ।
जो लड़ना चाहते हैं उन्हें हम प्रसन्नता से निशाना बनायेंगे । यदि आप प्राण लेने के अति उत्साह से या अपनी कायरता से अपनी रेजीमेण्ट या उसके इतिहास को नुकसान पहुंचाते हैं, तो स्मरण रखिये कि इसका परिणाम आपके परिवारों को भुगतना पड़ेगा । यदि आपका व्यवहार सर्वोत्कृष्ट नहीं रहा तो आप बहिष्कृत होंगे; क्योंकि आपका आचरण इतिहास में अंकित होगा । हम अपनी वर्दी या अपने राष्ट्र को शर्मिन्दा नहीं होने देंगे ।
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(सद्दाम के रासायनिक और जैविक अस्त्रों के बारे में ।) सवाल यह नहीं है कि यदि, सवाल यह है कि कब ? हम जानते हैं कि उन्होंने अपने अधिनस्थ कमाण्डरों को इसका फैसला जेएन का अधिकार सौंप दिया
है । इसका तात्पर्य यह है कि उन्होंने इस बारे में पहले से ही खुद फैसला लिया हे ।
यदि हम पहले प्रहार से बच निकले, तो हम समस्त उननाक्रमण से पचे रहेंगे । जहां तक हमारा प्रश्न है, हम अपने में से प्रत्येक को स्गु वापस लें जाना चाहेंगे और इराक को एक पहले से बेहतर भूमि के रूप में छोड़ जायेंगे । अब हमारी मंजिल उत्तर की तरफ है ।