जॉन मेजर द्वारा प्रतिस्पर्धात्मकता और समृद्धि पर निबंध | Essay on Competitiveness and Prosperity by John Major in Hindi!

सन 1994 में 28 जनवरी को ब्रिटिश प्रधानमन्त्री जॉन मेजर ने यह भाषण लीड्‌स चैम्बर ऑफ कॉमर्स में दिया था :

सन् 1994 में मेरी प्रमुख अधिमान्यताएं अर्थव्यवस्था, शिक्षा और ज्यादा सुरक्षित एवं सुव्यवस्थित समाज का निर्माण करना होंगी । ये आधारभूत हैं । मैं आज रात्रि पहली दो की चर्चा करूंगा ।

प्रथम अर्थव्यवस्था । इसके आधारभूत तत्त्व है: कम उधार-ग्रहण, कम बेरोजगारी, कम मुद्रास्फीति और ज्यादा वृद्धि । हमें मुद्रास्फीति की उस मानसिकता को त्यागना होगा जिसने लम्बे समय से हमारी सम्भावनाओं को बिगाड़ा हुआ है ।

ADVERTISEMENTS:

प्रत्येक को यह समझ लेना चाहिए कि हमारी भावी सम्पन्नता का रास्ता प्रतिस्पर्धा  है । यदि हम सबसे श्रेष्ठ नहीं तो दूसरे हमारी मण्डियों पर कब्जा कर लेंगे और हमारा फायदा चुरा ले जायेंगे । हमें एक राष्ट्र के रूप में वह सब करने का पूरा प्रयत्न करना चाहिए जिससे हम विजय पा सकें । यह आसान है । यदि व्यापार सफल होता है, तो ब्रिटेन सफल होता है ।

यदि व्यापार असफल होता है, तो भी हम प्रवाह के साथ आगे बढ़ते रहेंगे लेकिन अपने उसी दृढ़निश्चय के साथ नहीं न ही विश्व में अपने उसी प्रभाव के साथ । सबसे प्रथम बात तो यह कि भावी कामयाबी का रास्ता कम मुद्रास्फीति से होकर जाता है । मेरा हमेशा इसमें भरोसा रहता है ।

इसीलिए मैंने प्रधानमन्त्री बनने के प्रथम रोज ही ऐसी कार्रवाई करने का निश्चय कर लिया था जो मुद्रास्फीति की आदत को हमेशा के लिए खत्म कर सके । इस प्रकार का सुधार बहुत पीड़ादायक रहा । मैं ऐसा मानता हूं । मन्दी के समय कई व्यापारियों और व्यक्तियों को गहरा धक्का लगा । लेकिन हम उससे आगे बढ रहे हैं और भविष्य में हमारे सामने कई प्रकार की सम्भावनाएं हैं ।

पिछले वर्ष मुद्रास्फीति की दर 2% या उससे भी कम रही है । चालीस साल से कम आयु का कोई भी व्यक्ति स्मरण नहीं कर सकता कि इससे पहले ऐसा कब हुआ था । यद्यपि आने वाले महीनों में इसमें कुछ बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन अब कम मुद्रास्फीति बनी रहेगी ।

ADVERTISEMENTS:

अत: अब उद्योग आत्मविश्वास के साथ निवेश कर सकते हैं । लेकिन यदि हमें कम मुद्रास्फीति का फायदा उठाना है, तो खुद को उससे ज्यादा भुगतान करने की आदत में बदलाव लाना होगा जितना हमें करना चाहिए । निजी क्षेत्र में आप लोग अपनी मेहनत की लागत को कम रखे हुए हैं जबकि आपके विरोधी उसमें निरन्तर वृद्धि कर रहे हैं ।

हम लोग सार्वजनिक क्षेत्र में भी अपने परिचालन खर्च पर पूरा नियन्त्रण बनाये हुए हैं । हम इस बात पर बल दे रहे हैं कि वेतन में होने वाली वृद्धि बढ़ती उत्पादकता और कुशलता से आनी चाहिए । इसका तात्पर्य यह नहीं कि जनसेवकों के वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी । इसका तात्पर्य यह है कि सरकार जितना देने का सामर्थ्य रखती है, उतना ही देगी ।

आज ऐसे कठोर फैसले लेना सही है, जो कल सबको खुशहाल बनायेंगे । हमें सरकारी उधार लेने को कम करने के लिए कुछ करों में बढ़ोत्तरी करनी पड़ी है । मैं ऐसा न करना उचित समझता लेकिन यह जरूरी था; क्योंकि सतत आर्थिक वृद्धि के लिए ठोस अर्थ का प्रबन्ध जरूरी होता है । खर्च का भुगतान तो करना ही होता है ।

इसीलिए हमने अब सार्वजनिक खर्च को लेकर कुछ कठोर फैसले लिये हैं । मुझे वे दिन स्मरण हैं, जब कर विभाग आपकी बचत के हर पौण्ड में से 98 पेस ले जाता था । जब वह कमाई के प्रत्येक पौण्ड में से 83 पेस ले लेता था । मुझे स्मरण है, जब निगम कर 52% था । करों की ऐसी दरें अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं ।

ADVERTISEMENTS:

हमें पुन: कभी ऐसा नहीं करना चाहिए । कम दर के प्रत्यक्ष कर ब्रिटेन को निवेश, उद्यम और कुशलता के लिए आकर्षक बनायेंगे ।

अब दीर्घकालीन सतत आर्थिक वृद्धि के लिए हमारे सामने निम्न स्थितियां हैं:

(i) गत साल आर्थिक बढ़ोतरी 2% थी ।

(ii) ब्याज दर 5.5% थी । यह पिछले 17 सालों में न्यूनतम थी । यह समस्त यूरोप में न्यूनतम थी ।

(iii) हड़तालों में बेकार जाने वाला वक्त पिछले सौ सालों में न्यूनतम था ।

(iv) बेरोजगारी घट रही है । पिछली जनवरी से लगभग 2.5 लाख कम, लोगों की उम्मीदों से कहीं बेहतर । हम यूरोप में एकमात्र देश हैं, जहां ज्यादा रोजगार उत्पन्न हुए और बेकारी के अनुदान की लाइनें कम हुई      हैं । अत: यह कोई हैरानी का विषय नहीं कि हमारा लचीला श्रम बाजार यूरोप में बहुतों के लिए नफरत का विषय हो गया है । हमें व्यापार को अधिक आजादी देनी होगी । कामयाबी के लिए यह आजादी चाहिए ।

कामयाबी का तात्पर्य है:

(i) व्यापार कर कम रखना ।

(ii) व्यापार को नियम-कायदों से आजाद रखना ।

(iii) ब्रिटिश निर्यात को मदद देना ।

(iv) आधारभूत ढांचे में निवेश करना ।

(v) मानव संसाधन और कुशलता में निवेश करना ।

हमने इन सभी क्षेत्रों में कार्रवाई की है । अभी और कार्य शेष हैं । हमने निगम कर में कमी की है । यूरोपीय समुदाय में हमारे व्यापार कर सबसे कम हैं । मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि मैं उन्हें न्यूनतम रखता हूं । हम एक बृहत् विनिमय अधिनियम ला रहे हैं ।

इसमें सरकारी कार्यों परिवहन नियुक्ति पर्यावरण और उचित व्यापार से अनावश्यक नियमों को खत्म कर रहे हैं । बेकारी की होली जलेगी । नियन्त्रण फॉर्मों व कागजी कार्रवाई का दौर समाप्त होगा । हम ब्रिटिश निर्यात को मदद दे रहे हैं । इसके लिए मौके हैं । आप उनका फायदा भी उठा रहे हैं । आज प्रात काल के व्यापार के आकड़ों से भी पता चल रहा था कि निर्यात नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है ।

हमने ब्रिटिश निर्यातकों को मौके का पूरा फायदा उठाने में मदद करने का निश्चय किया है । हमने निर्यात के लिए बीमा सुरक्षा का विस्तार किया है और उसके प्रीमियम में कटौती की है । विदेशों में जो हमारे दूतावास हैं, वे छोटे-बड़े सभी ब्रिटिश निर्यातकों को मदद देने में ज्यादा-से-ज्यादा प्रयत्न कर रहे हैं । ब्रिटिश हितों को बढ़ावा देने का तात्पर्य है ब्रिटिश सरकार को बढ़ावा या प्रोत्साहन देना ।

व्यापार को स्वदेश में भी पर्याप्त समर्थन की जरूरत है । उत्पादन बेचने के लिए आपको उत्पाद को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना होता है । इसीलिए हम ब्रिटिश परिवहन का आधुनिकीकरण कर रहे हैं । हममें सालों से यह हास्यास्पद टाल-मटोल की भावना बनी रही है कि बड़ी परियोजनाएं चलाना केवल सरकार का कार्य है । यह बेतुकी बात है । रेलवे का निर्माण किसने किया ? निजी क्षेत्र, आपने ! आप पुन: भी ऐसा कर सकते हैं ।

इसलिए अब हम बड़ी परियोजनाओं को निजी क्षेत्र के निवेश और निजी क्षेत्र के उद्योगों के लिए खोल रहे हैं । निजी क्षेत्र भूमिगत रेल सम्पर्क बनाने में और पश्चिमी तट की मुख्य लाइन का आधुनिकीकरण करने में मदद कर रहा है । इसके अलावा और भी काम होने हैं ।

ब्रिटेन आने वाली शताब्दी में नेतृत्व करेगा या नहीं इसका निश्चय करने वाले इससे भी बड़े और लम्बी अवधि के मुद्दे हैं । लोगों के प्रतिस्पर्धी हुए बिना देश प्रतिस्पर्धी नहीं बन सकता । हमारे विद्यालयों कॉलेजों विश्वविद्यालयों और ब्रिटिश उद्योग के प्रशिक्षण स्थानों पर उनको ढाला जाता है ।

अनेक पहलुओं से स्थिति सन्तोषजनक है, लेकिन कुछ दृष्टियों से अच्छी नहीं । मजदूरों में अशिक्षा और गणित की अनभिज्ञता हमें और नियोक्ताओं को महंगी पड़ रही है- पांच अरब पाउण्ड प्रतिवर्ष । इसका प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है ।  उनके विकास में रुकावट आती है । वे मौका खो देते हैं और उनका जीवन उतना सम्पन्न नहीं होता जितना होना चाहिए ।

इसलिए प्राथमिक स्तर से ही शि क्षा पर बल देना हमारी योजना के केन्द्र में होना चाहिए । मैं एक बेहतर शिक्षित समाज के निर्माण के लिए अध्यापकों के साथ मिलकर कार्य करना चाहता हूं । एक ऐसा राष्ट्रीय पाठ्‌यक्रम रखा जायेगा जो निश्चित करे कि प्रत्येक राज्य में प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित किया जाये । इसमें व्याकरण वर्तनी गणित विज्ञान पढ़ना-लिखना और अंकगणित विशेषरूप से सम्मिलित होंगे ।

माता-पिता यह चाहते हैं, नियोक्ता इसकी मांग करते हैं और मैं यह प्रदान करूंगा । इसके अतिरिक्त मेरा विश्वास है कि लोग साफ-सुथरे कार्यों और गन्दी वर्दी वाले कार्यों में जो अन्तर करते हैं, हमें उससे छुटकारा मिलना चाहिए । ये वर्गभेद विध्वंसकारी और बेतुका है । हर व्यक्ति की कुशलता और गुणों का महत्त्व है और उसका महत्त्व माना जाना चाहिए । यह उसके कल्याण में और देश के कल्याण में होगा ।

इसलिए हमने सोलह साल से ज्यादा उम्र के विद्यार्थियों के लिए पेशेगत योग्यताओं की श्रेणी और गुणवत्ता में सुधार किया है । मैं अब चौहद साल से ज्यादा उम्र के उन बच्चों को यह मौका देना चाहता हूं जो इसे पाना चाहते हैं, ताकि विद्यालय शैक्षणिक और व्यावसायिक दोनों प्रकार की शिक्षा का मिश्रण प्रस्तुत कर सके । दोनों को समान महत्त्व दिया जाना चाहिए ।

यही बात सब युवाओं के लिए सच है । इसीलिए हमने पॉलिटैकनीक और विश्वविद्यालयों के मध्य का कृत्रिम अन्तर समाप्त कर दिया है । इसीलिए हमने आधुनिक प्रशिक्षुताएं निर्मित की हैं, ताकि कुशल तकनीशियन दस्तकार और सुपरवाइजरों की संख्या तीन गुना की जा सके । हम ब्रिटेन को दोबारा कुशल बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं । जिन्होंने कठोर मेहनत करके कुछ पाया है, वे जानते हैं कि ऐसे कितने ही दूसरे हैं, जिनमें हुनर तो है, लेकिन उन्हें बाधाएं तोड़ने का सौभाग्य नहीं मिला ।

इसलिए वे जो सहयोग दे सकते थे उसे देने का मौका नहीं पा सके । मैंने उन्हें वह मौका देने का निश्चय किया है । प्रत्येक को चाहे वह कोई हो कहीं से आया हो, उसकी क्षमता का पूरा इस्तेमाल करने के लिए पहले अच्छी शिक्षा और उसके बाद बेहतर प्रशिक्षण देना जरूरी है । ब्रिटेन को सम्पन्न और शक्तिशाली बनाने का रास्ता प्रतिस्पर्धा है ।

Home››Speech››