हम जीतेंगे पर मार्शल जोसिप ब्रोज टाइटो का भाषण । Speech of Marshal Josip Broz Tito on “We Will Win” in Hindi!

मार्शल जोसिप बरोज टिटो ने-जो बाद में यूगोस्लाविया के प्रधानमन्त्री और फिर राष्ट्रपति बने-यह भाषण सन् 1942 में 26 नवम्बर को जर्मनी की निजी सेनाओं के खिलाफ संघर्ष के स्वदेशवासियों को ललकारते हुए दिया था :

साथियो, भाइयो, बहिनो, यूगोस्लाविया की जन-स्वाधीनता परिषद् के सदस्य, मैं यूगोरूहविया के सर्वोच्च मुख्यालय युद्ध में लगे हुए सैनिकों साथियों जन-स्वाधीनता सेना के राजनीतिक कॉमिसारों की तरप से आप सभी का स्वागत करता हूं ।

पिछले 18 माह के कठिन और रक्तरंजित महान् संघर्ष के पश्चात् इस ऐतिहासिक सम्मेलन में आप सभी का स्वागत करने का जो मौका मुझे मिला है, में उससे खुद को बहुत गौरवान्वित अनुभव करता हूं ।

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मैं यूगोस्लाविया की इस फासिस्ट-विरोधी जन-स्वाधीनता परिषद् का उद्‌घाटन करते हुए आपसे कुछ कहना चाहता हूं ।

हम इस दीर्घ और खून से सने हुए युद्ध में लगभग बिना किसी हथियार के ही कूद पड़े थे । यह इसी संघर्ष का परिणाम है कि हम लोग यहां इकट्‌ठे हुए है । हम यहां एक ऐसी संस्था का निर्माण करने के लिए इकट्‌ठे हुए हैं जो जन-स्वाधीनता समितियों के साथ मिलकर इस संघर्ष का मेरुदण्ड बन सके ।

यह हमारे नाक डो चुके देश का आर्थिक और राजनीतिक संगठन करेगी । उस सीमा तक जो इन हालातों में सम्भव है, ताकि हम इस कटु संघर्ष को एक विजयी परिणाम तक पहुंचा सकें । साथियो हम कोई संवैधानिक सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है; क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध और परिस्थितियां अभी इसकी आज्ञा नहीं देतीं लेकिन साथियो हमें इन मुश्किल हालातों में भी एक वसुर का अधिकार प्राप्त है, वह है एक राजनीतिक संस्था बनाने का अधिकार ताकि हम जनता को संगठित कर सकें उनका अपनी बहादुर सेना के साथ भावी युद्धों के वक्त संचालन कर सकें, वे युद्ध, के वक्त जो बहुत भयावह होंगे ।

हमारे पास इस क्षेत्र में केवल जन-स्वाधीनता समिति के कोई अधिकरण नहीं है, जिसकी स्थापना खुद जनता ने की है । हमने विभिन्न कठपुतली फासिस्ट सरकारों को मान्यता नहीं दी । यही कारण है कि यहां हमारी अपनी धरती पर जो हमारी जनता के सपूतों के खून से सनी है, हमें ऐसी स्थितियों का निर्माण करना पड़ा जिनमें हम लोग जन-स्वाधीनता संग्राम में ज्यादा संख्या में योगदान दे सकें ।

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जब हम छोटी गुरिल्ला सेना थे जब हमारी बहुत छोटी-छोटी गुरिल्ला टुकड़ियां थीं हमारी जरूरतें बहुत ज्यादा नहीं थीं । आज वे छोटी गुरिल्ला टुकड़ियां विशाल जन-स्वाधीनता सेना बन गयी हैं । यह सेना अपने बल और मनोबल में दुश्मन के समान नहीं उससे कहीं बढ़-चढ़कर है, हालांकि तकनीक में दुश्मन हमसे बेहतर है, इसलिए अब इस सेना की जरूरतें पहले से बहुत ज्यादा हो गयी हैं ।

तब प्रत्येक गांव जिला और समुदाय अपने योद्धाओं को खिला-पिला सकता था । अब किसी अधिकरण किसी राजनीतिक सत्ता का गठन करना जरूरी हो गया है । यह हमारी अपनी जनता की भी सत्ता होगी । यह अपराधी फासिस्ट आक्रमण कारियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ युद्ध में दिशा-निर्देश दे सकेगी । उनके इन सहयोगियों में हमारे मध्य बसे उस्ताशीं चेतानिक और अन्य देशद्रोही भी हैं ।

मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि हमारे मध्य युद्ध की अग्नि में तपकर इस्पात बने जाता के सच्चे सपूत देशभक्त मौजूद हैं । वे मताथर्कों के चुने प्रतिनिधि नहीं जैसा पहले होता था ।  वे तो अति मानवीय संघर्ष की ज्वाला में तपकर बड़े हुए यौद्धा हैं, जो प्राण न्योछावर करने के संकल्प के साथ युद्धभूमि में गये थे । यहां अपने देश के सच्चे फूलों को देखकर मेरा हृदय खुशी से भर गया है ।

साथियो, हमारी फासिस्ट-विरोधी जन-स्वाधीनता समिति पर बड़ा भारी और महान् जिम्मेदारी है । हमारे पास आज लगभग कुछ भी नहीं है । हमारे पास केवल वे अस्त्र हैं, जो हमने अपने सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं का खून देकर कब्जे में लिये हैं । हमारा देश ध्वस्त हो गया है ।  हमारे लोग भयावह कष्ट और मुसीबतें सहन कर रहे हैं । वे भूखे नंगे पैर हैं ।

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वे चेतानिक उस्ताशी और दूसरे आक्रामक विद्रोहियों के पाशविक आतंक से त्रस्त हैं, परन्तु हमारे पास एक वस्तु है: हमारे पीड़ित और आक्रान्त लोगों का दृढ़विश्वास कि विजय हमारी ही होगी । हमारा मनोबल ऊचा है । समस्त विश्व को हैरान करने वाला हमारी सेना का मनोबल ही नहीं हमारी जनता का मनोबल भी ।

थोड़ा जलाकर खाक किये गये ग्रामों पर दृष्टि डालिये ! निकट ही रक्त जमा देनी वाली सर्दी में झोपड़ी में या खुले आसमान के नीचे जगल में आपको अपनी पत्नियों के साथ आग तपाते किसान मिल जायेंगे परन्तु वे अपने दुर्भाग्य का रोना नहीं रो रहे हैं । वे कहते हैं कि भाइयो युद्ध करो ।

यदि हमारे सारे दुश्मनों को हराने के लिए उसकी आवश्यकता है, तो हम रोटी का आखिरी निवाला भी तुम्हें दे देंगे । यह सर्वोत्तम मनोबल एं, जिस पर यूगोस्तघिवयाई जनता को गर्व होना चाहिए । स्वाभाविक है कि यहा हम लोग जो संस्था बनाने जा रहे हैं, जो नीचे से उभरकर इस स्तर पर आयी है, उसे भारी उत्तरदायित्व उठाने होंगे और बहुत बड़ा कार्य पूरा करना होगा ।

हमारी सेना को हथियार चाहिए और हमारे पास कोई आयुध-कारखाने नहीं हैं । हमारी सेना को भोजन चाहिए । ये सारे उत्तरदायित्व हमारी जनता द्वारा बनायी इस संस्था पर हैं । मेरे मतानुसार आप में से एक भी ऐसा नहीं जो इस मुश्किल कार्य और बड़ी जिम्मेदारी से कर रहा हो । मेरे विचार में आप उस भावी युद्ध के लिए-जो हमारे लिए जीत लायेगा-सब कुछ बलिदान करने को तैयार है ।

हम लड़ते रहे हैं और दुश्मन के पास बेहतर हथियार होने के बाबुजूद अपना युद्ध जारी रखेंगे । साथियो आपके पूर्ण सहयोग के साथ हमारा सर्वोच्च मुख्यालय सभी भावी मुश्किलों से पार पा लेगा । आज हम छह माह पहले की अपे क्षा इन मुश्किलों को स्वीकार करते हुए ज्यादा आसानी से युद्ध कर रहे हैं । आज परिप्रेक्ष्य स्पष्ट है: सूर्य की भांति स्पष्ट है कि विजय दोस्त राष्ट्रों की ही होगी ।

आज हिटलरी और दूसरे ब्राण्ड के फासिस्ट एक के बाद एक हार का मुह देख रहे हैं । बहादुर लाल सेना जर्मनी के फासिस्ट झुण्डों पर घातक प्रहार कर रही है । समस्त प्रगतिशील मानवता के दुर्ग स्तालिनग्राद की सुरक्षा कर ली गयी है । इसमें और इससे पहले के युद्धों में लाखों जर्मन सैनिक इसकी प्राचीरों के नीचे धराशाही हुए हैं ।

हिटलरी फासिस्ट पिंजरे में कैद किसी जंगली पशु के समान प्रत्येक दिशा में भागते फिर रहे हैं, लेकिन अब उनके लिए कोई उम्मीद नहीं । अपनी हार में वे कमजोर और आक्रान्त देशों पर अपना क्रोध उतारने का प्रयास कर सकते है; लेकिन हम उन्हें बता सकते है कि यूगोस्लाविया में उनके लिए यह बहुत मुश्किल होगा । आज हमारे पास सेना है । आज हमारे पास बद्धको से लेकर तोपें तक हैं ।

हम उनका सामना करने में समर्थ हैं । आप निश्चिन्त रहें; क्योंकि हमारे देश को खत्म करने के अपने प्राथमिक मनसूबों को पूरा करने की पर्याप्त शक्ति उनमें नहीं है । कभी हमारा भरोसा डगमगाया नहीं और आज तो हमें पूर्ण भरोसा है कि विजय हमारी होगी ।

फलस्वरूप इस वेला में जबकि सभी पराधीन व्यक्तियों के हृदय आनन्द से परिपूर्ण हो रहे हैं; क्योंकि वे अवश्यंभावी को देख रहे हैं । वे फासिस्ट जानवरों की हार साफ देख रहे हैं । ऐसे में हम पूरी मजबूती के साथ आगे बढ़ेंगे ।

इस उम्मीद से परिपूर्ण कि हम आने वाली सभी मुश्किलों को दूर कर देंगे । हमें भरोसा है कि मिल-जुलकर कार्य करने और लड़ने से हम इस लम्बे संघर्ष को जारी रख सकेंगे जो हमारी मुसीबत को जीत में बदल देगा । मैं इस महान् राष्ट्रीय फोरम यूगोस्लाविया की फासिस्ट-विरोधी, जन-स्वाधीनता परिषद् की उसके भावी काम में पूर्ण सफलता की कामना करता हूं ।

वह काम जो हमारी जनता की भलाई के लिए कर रही है, जो हमारी मुक्तिवाहिनी के बहादुरों के लिए कर रही है और यूगोस्लाविया की सभी राष्ट्रीयताओं की एकता के लिए कर रही है; क्योंकि आज जिस नींव का निर्माण किया जा रहा है, वह नींव है: भ्रातृत्व एकता और दोस्ती की जिसे कोई कभी भी खत्म नहीं कर पायेगा ।

यह ऐतिहासिक सम्मेलन हमारे जनों सर्व क्रोट सोवेन मेण्टनैग्रिन मुस्लिम और अन्य की एकता का प्रमाण है, भले ही वे किसी भी धर्म या राष्ट्रीयता के हों । यह इस बात की गारण्टी की है कि हमारे जनमानस के लिए बेहतर और सुखद भविष्य की दिशा में विकास हो रहा है ।

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