संयुक्त राष्ट्र और उसके कार्य पर अनुच्छेद | Paragraph on the United Nation and Its Work in Hindi!

अंतर्राष्ट्रीय विवादों का हल निकालने की प्रमुख पद्‌धतियों का उल्लैख संयुक्त राष्ट्र के अधिकार पत्र में किया गया है । उसके अनुसार दो पद्‌धतियों द्‌वारा अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष, विवाद और झगड़े सुलझाए जाते हैं ।

१. शांतिपूर्ण पद्‌धति:

संयुक्त राष्ट्र इस बात पर बल देता है कि किसी भी संघर्ष अथवा विवाद को शांतिपूर्ण पद्‌धति द्‌वारा निपटाया जाए । संयुक्त राष्ट्र यह अपेक्षा करता है कि जिन राष्ट्रों के बीच संघर्ष अथवा विवाद चलता है; वे अपने पारस्परिक संघर्ष एवं विवाद बातचीत मध्यस्थता और सामंजस्य पूर्ण पद्‌धति द्‌वारा हल करें ।

२. प्रत्यक्ष कार्यवाही की पद्‌धति:

किसी विवाद अथवा समस्या का हल शांतिपूर्ण पद्‌धति द्‌वारा न निकलने पर संयुक्त राष्ट्र प्रत्यक्ष कार्यवाही पद्‌धति का अनुसरण करता है । इसमें आक्रमणकारी राष्ट्रों के विरुद्‌ध सदस्य राष्ट्रों की शांति सेना की सहायता ली जाती है । संयुक्त राष्ट्र यह कार्यवाही मानवतावादी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर करता है ।

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कोरिया, कांगो और सोमालिया आदि राष्ट्रों की समस्याओं का हल निकालने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने मानवतावादी दृष्टि से हस्तक्षेप किया था । यद्‌यपि युद्‌ध रोकने में संयुक्त राष्ट्र पूर्णत: सफल नहीं हो पाया फिर भी इस संगठन ने मानव के विकास के लिए आवश्यक शांतिपूर्ण परिस्थिति निर्माण हेतु अधिकाधिक प्रयास किए हैं । संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण का संरक्षण, शिशुओं के अधिकार, महिलाओं का सबलीकरण आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य किया है ।

संयुक्त राष्ट्र और पर्यावरण की समस्या:

विश्व स्तर पर पर्यावरण नष्ट हो रहा है और यह एक गंभीर समस्या है । संयुक्त राष्ट्र ने पर्यावरण की रक्षा करने हेतु कई महत्वपूर्ण उपाय योजनाएँ की है । पर्यावरण की समस्या की गंभीरता से सभी राष्ट्र अवगत हों, इस विषय पर सभी राष्ट्रों में विचार-विमर्श हो और सभी के सहयोग से इस समस्या को हल किया जाए; इसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने कई महत्वपूर्ण परिषदों का आयोजन किया है ।

ई.स. १९७२ में इस परिषद को स्टाकहोम (स्वीडन) में आयोजन किया गया था तथा इसी परिषद में संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण परियोजना निश्चित की गई । इसके पश्चात विकास और पर्यावरण से संबंधित एक विश्व आयोग का गठन किया गया ।

इसमें से स्थायी विकास (Sustainable development) की संकल्पना का उदय हुआ । ई.स. १९९२ में शिखर सम्मेलन का आयोजन पर्यावरण की रक्षा हेतु किए जा रहे प्रयासों का महत्वपूर्ण चरण था । इस परिषद में वैश्विक तापमान में वृद्‌धि, ओजोन परत का बिरल बनना, वनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, जैवविविधता की रक्षा और प्रदूषण पर नियंत्रण आदि विषयों पर विचार-विमर्श हुआ ।

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ई.स. १९९७ में पर्यावरण से संबंधित एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता किया गया । उसे ‘क्योटो प्रोटोकाल’ कहते है । ई.स. २००२ में भारत ने इस समझौते को स्वीकार किया । पर्यावरण के संवर्धन हेतु विश्व स्तर पर किए जा रहे सभी प्रयासों में भारत सम्मिलित रहा है । भारत ने अपनी आर्थिक, औद्‌योगिक, व्यापारिक और अन्य नीतियों को निश्चित करते समय पर्यावरण रक्षा को प्राथमिकता दी है ।

 

 

संयुक्त राष्ट्र और महिला सबलीकरण:

संयुक्त राष्ट्र ने महिला सबलीकरण और स्त्री-पुरुष समानता सिद्‌धांत को समर्थन दिया है । महिलाओं की समस्याओं की ओर संपूर्ण विश्व का ध्यान आकृष्ट करने तथा उनसे संबंधित उपाय योजना करने हेतु संयुक्त राष्ट्र ने ८ मार्च को ‘विश्व महिला दिवस’ के रूप में घोषित किया है ।

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ई.स. १९७५ को ‘महिला वर्ष’ के रूप में घोषित किया गया । यही नहीं; अपितु ई.स. १९७६ से १९८५ के संपूर्ण दशक को महिला दशक के रूप में घोषित किया गया । इस संगठन द्‌वारा संपूर्ण विश्व की महिलाओं की उन्नति हेतु स्वतंत्र धन राशि और प्रशिक्षण संस्थाओं की स्थापन की गई है ।

महिलाओं की विभिन्न समस्याओं से संबंधित जानकारी इकट्‌ठी कर उसके आधार पर महत्वपूर्ण निर्णय और उनका कार्यान्वयन संयुक्त राष्ट्र करता है ।

संयुक्त राष्ट्र के कार्यों में भारत का प्रतिभाग:

भारत संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य है । भारत ने इस संगठन के सभी सिद्‌धांतों और उद्‌देश्यों को स्वीकार किया है । संयुक्त राष्ट्र द्‌वारा किए जा रहे शांति कार्य में भारत का महत्वपूर्ण प्रतिभाग रहा है ।

वर्तमान समय में भारत की शांति सेना ने सोमालिया नामक देश में कुएँ खोदना, जलापूर्ति करना, विद्‌यालय चलाना, स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति करना जैसे कार्य किए हैं । भारतीय शांति सेना द्‌वारा किया गया यह कार्य गौरवपूर्ण है ।

 

 

निशस्त्रीकरण:

आर्थिक संपन्नता, समृद्‌धि और विकास की गति को बनाए रखने के लिए देश में स्थिरता और शांति का होना आवश्यक है । इसके लिए निशस्त्रीकरण महत्वपूर्ण घटक है । विश्व में शांति बनाए रखने के प्रयासों के चलते कई देश शस्त्र प्रतियोगिता को बढ़ाने पर बल देते हुए दिखाई देते हैं । शस्त्र प्रतियोगिता के फलस्वरूप विभिन्न राष्ट्रों के बीच के संबंधों में अविश्वास और संदेह का वातावरण उत्पन्न होने की संभावना होती है ।

अत: यदि शस्त्र ही नष्ट करें, उनका उत्पादन बंद करें अथवा उनका प्रयोग न करें तो विश्व में शांति स्थापित होगी, इस प्रकार का विचार करना ही निशस्त्रीकरण कहलाता है । ई.स. १९५९ में संयुक्त राष्ट्र ने सार्वत्रिक और संपूर्ण निशस्त्रीकरण को उद्‌देश्य के रूप में स्वीकार किया है ।

भारत की निशस्त्रीकरण नीति:

भारत ने निशस्त्रीकरण और संयुक्त राष्ट्र के निशस्त्रीकरण के प्रयासों को सदैव समर्थन दिया है । परमाणु युद्‌ध विश्व के सम्मुख सबसे बड़ा खतरा है; इसलिए भारत सैद्‌धांतिक रूप से पारमाणविक अस्त्रों का विरोध करता रहा है ।

भारत विश्व स्तर पर पारमाणविक निशस्त्रीकरण नीति को समर्थन देता है । भारत की पारमाणविक नीति का सबसे महत्वपूर्ण सिधान्त कि भारत पारमाणविक अस्त्रों का उपयोग पहले नहीं करेगा ।

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