संयुक्त राष्ट्र पर अनुच्छेद | Paragraph on the United Nation in Hindi Language!

बीसवीं शताब्दी के पूबार्ध में दो विश्व युद्‌ध हुए । इन विश्व युद्‌धों में हुई जन-धन की हानि की ओर ध्यान जाने पर विश्व के सभी देशों ने अनुभव किया कि विश्व शांति स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है ।

प्रथम विश्व युद्‌ध के पश्चात शांति स्थापित करने हेतु राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी किन्तु उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई । द्वितीय विश्व युद्‌ध के बाद यह विचार प्रबल हुआ कि विनाशकारी युद्‌धों को रोकना चाहिए ।

अत: २४ अक्तूबर, १९४५ को ‘संयुक्त राष्ट्र’ नामक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना हुई । इसलिए २४ अक्तूबर को ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है । विश्व शांति बनाए रखने का दायीत्व का बोध सभी राष्ट्रों को होना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र इसी बोध को उत्पन्न करनेवाला संगठन है ।

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संयुक्त राष्ट्र के सिद्‌धांतों को स्वीकार करनेवाले राष्ट्र इसकी सदस्यता प्राप्त कर सकते है । यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन महत्वपूर्ण सिद्‌धांतों पर आधारित है । यह संगठन सार्वभौम राष्ट्रों का संगठन है । अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं को हल करने के लिए वह एक मंच का कार्य करता है ।

इस संगठन के सभी सदस्य राष्ट्रों को समान स्थान प्राप्त है । इन राष्ट्रों के बीच विकसित-अविकसित, निर्धन-संपन्न जैसा भेदभाव इसमें नहीं किया जाता है । सदस्य राष्ट्रों पर यह बंधन है कि वे अपनी अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का हल शांतिपूर्ण ढंग से निकाले ।

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उद्‌देश्य: संयुक्त राष्ट्र के कुछ निश्चित उद्‌देश्य हैं ।

वे इस प्रकार हैं:

(१) अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में बृदधी करना ।

(२) विभिन्न राष्ट्रों में मित्रतापूर्ण संबंधों को विकसित करना ।

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(३) सभी प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का हल शांतिपूर्ण ढंग से निकालना ।

(४) मानवाधिकार एवं स्वतंत्रता का संरक्षण एवं संवर्धन करना । उपर्युक्त उद्‌देश्यों को पूर्ण करने हेतु संयुक्त राष्ट्र बिभिन्न देशों के बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य करता है ।

संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख छह अंग इस प्रकार हैं:

(१) साधारण सभा

(२) सुरक्षा पीरषद

(३) आर्थिक और सामाजिक परिषद

(४) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय

(५) विस्वस्त परिषद

(६) सचिवालय ।

संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय न्यूयार्क में है । अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अलावा यहाँ सभी घटकों के मुख्यालय है । अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय नेदरलैंड के ‘द हेग’ नामक शहर में है ।

(१) साधारण सभा:

संरचना:

संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधि साधारण सभा के सदस्य होते हैं । ई.स. २००६ तक साधारण सभा के सदस्य राष्ट्रों की संख्या १९२ थी । साधारण सभा में मतदान करने हेतु प्रत्येक राष्ट्र को केवल एक मत देने का अधिकार है ।

ई.स. १९५३ में श्रीमती विजयालक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र कीं साधारण सभा की अध्यक्ष बनने का सम्मान प्राप्त क्त चुकी हैं । इस पद से सम्मानित होनेवाले वे प्रथम भारतीय महिला थीं ।

कार्य:

साधारण सभा को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित समस्याओं के विषय में प्रस्ताव रखने का अधिकार है । सुरक्षा परिषद द्‌वारा प्राप्त प्रतिवेदनों पर विचार विमर्श करना, संयुक्त राष्ट्र संघ का आय-व्यय पत्रक पारित करना आदि कार्य साधारण सभा करती है ।

इसी तरह साधारण सभा द्‌वारा सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों, सामाजिक ‘और आर्थिक परिषद के सदस्यों का चुनाव भी किया जाता है । अधिवेशन काल में ‘ सभी सदस्य राष्ट्र कई महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर विचार-विमर्श करते हैं । इसलिए साधारण सभा को अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के विचार-विमर्श का महत्वपूर्ण मंच माना जाता है ।

(२) सुरक्षा परिषद:

संरचना: सुरक्षा परिषद में कुल पद्रह सदस्य राष्ट्र होते हैं । अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, रूस और चीन ये पाँच राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं । शेष सदस्य राष्ट्रों में से दस अस्थायी सदस्य राष्ट्रों का दो वर्ष के लिए चयन किया जाता है ।

सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों को नकाराधिकार प्राप्त है । स्थायी सदस्य राष्ट्रों की स्वीकृति को नकारने के अधिकार को नकाराधिकार कहते हैं । किसी भी निर्णय के कार्यान्वयन में इन पाँच राष्ट्रों की स्वीकृति आवश्यक होती है । इनमें से किसी भी एक राष्ट्र की स्वीकृति प्राप्त न होने पर वह निर्णय रद्‌द किया जाता है ।

कार्य: विश्व शांति और सुरक्षा का संवर्धन करना, अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं की छानबीन करना, अंतर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाने हेतु उपाय सुझाना, आवश्यकता होने पर आक्ष्मणकारी देशों के विरोध में आर्थिक और सैनिक कार्यवाही करना जैसे कार्य सुरक्षा परिषद करती है ।

(३) आर्थिक और सामाजिक परिषद:

संरचना:

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक कार्यों में समन्वय स्थापित करने के उद्‌देश्य से इस परिषद का गठन किया गया है । इस परिषद में स्ल ५४ सदस्य होते हैं ।

कार्य: इस परिषद के कार्यों में विश्व स्तर पर निर्धनता, आर्थिक एवं सामाजिक विषमता, रंगभेद आदि समस्याओं पर विचार विमर्श करना, मानवीय स्वतंत्रता और मानवाधिकार के विषय में जागृति उत्पन्न करना, सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक समस्याओं से संबंधित विविध परियोजनाओं का प्रारंभ करना आदि का समावेश है ।

(४) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय:

संरचना: अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुल पंद्रह न्यायाधीश होते हैं । सुरक्षा समिति और साधारण सभा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चुनाव करती हैं ।

कार्य: संयुक्त राष्ट्र के दो अथवा अधिक सदस्य राष्ट्रों के बीच उत्पन्न विवाद को सुलझाना, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों, संकेतों, मान्यताओं की उचित व्याख्या करना आदि कार्य अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय करता है ।

 

(५) विश्वस्त परिषद:

द्‌वितीय विश्व युद्‌ध के पश्चात जो प्रदेश अपना शासन चलाने में सक्षम नहीं थे उनका दायित्व विश्वस्त परिषद पर था । इन प्रदेशों के लोगों को अपना शासन चलाने में सक्षम बनाना इस परिषद का उद्‌देश्य

था ।

ई.स. १९९४ तक संयुक्त राष्ट्र ने ऐसे प्रदेशों की सहायता की । प्रशांत महासागर में स्थित प्लाऊ द्‌वीप के स्वतंत्र होने के पश्चात १ नवंबर, १९९४ को विश्वस्त परिषद विसर्जित हुई ।

(६) सचिवालय:

संरचना:

संयुक्त राष्ट्र के प्रशासकीय कार्य की देखरेख क्यने हेतु सचिवालय का गठन क्यिा गया है । सचिवालय के प्रमुख को सयुक्त राष्ट्र का ‘महासचिव’ कहते है । साधारण सभा और सुरक्षा परिषद संयुक्त रूप से पाँच वर्षों के लिए महासचिव का चुनाव करती हैं ।

कार्य:

महासचिव के निर्देश पर सचिवालय साधारण सभा तथा सुरक्षा परिषद की बैठकों का आयोजन करना, अंतर्राष्ट्रीय समस्या के विषय में अंतर्राष्ट्रीय परिषद का आयोजन करना, मानवाधिकारों की रक्षा और निशस्त्रीकरण जैसे मुद्‌दों का अध्ययन करना, संयुक्त राष्ट्रों के कार्यालयीन दस्तावेजों का संरक्षण करना जैसे कार्य करता है ।

इन छह प्रमुख घटकों के अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी कई संस्थाएँ सामाजिक और आर्थिक विकास के कार्य में लगी हुई हैं ।

उनमें से कुछ संस्थाओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है:

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन (जिनिवा):

श्रमिकों की स्थिति में सुधार लाने के लिए, उन्हें उचित वेतन मिले और उनका स्वास्थ्य सुरक्षित रहे, इस हेतु यह संगठन प्रयत्न करता है ।

 

अनाज एवं कृषि संगठन (रोम):

विश्वव्यापी निर्धनता, कुपोषण और भुखमरी जैसी समस्याओं का हल ढूँढ़ना, कृषि – उपज बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन करना जैसे कार्य यह संगठन करता है ।

 

शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (पैरिस):

विभिन्न राष्ट्रों के बीच शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति आदि क्षेत्रों में आदान-प्रदान को बढ़ाना इस संगठन का मुख्य उद्देश्य है । साथ ही यह संगठन निरक्षरता को समाप्त करने का प्रयास भी करता है ।

 

 

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (जिनिवा):

इस संगठन द्वारा विश्व के सभी लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाना, संसर्गजन्य रोगों की रोकथाम करना, इस हेतु टिकाकरण अभियान चलाना आदि कार्य किए जाते हैं ।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग (विएना):

यह आयोग इस बात की सतर्कता बरतता है कि नागरी परमाणु शक्ति का उपयोग सामरिक उद्देश्य के लिए न किया जाए । इसलिए यह आयोग विभिन्न देशों के परमाणु केन्द्रों पर जाकर निरीक्षण और जाँच करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी करता है ।

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