मछली: प्रजातियां और संरक्षण | Fish: Species and Conservation in Hindi!

मछलियों की जीवजातियाँ (Fish Species):

मछलियों को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जा सका है:

(1) लवणीय जल में रहने वाली मछलियाँ, जो अपना पूरा जीवन लवणीय सागरों में बिताती हैं तथा

(2) स्वच्छ जल की मछलियाँ जो नदियों एवं झीलों में पाई जाती हैं ।

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कुछ मछलियाँ समुद्रापगमी होती हैं, जिनका जन्म तो नदियों में होता है, परंतु पूरा जीवन सागरों में बिताती हैं और केवल अण्डजन्न के लिए नदियों में लौटकर आ जाती हैं तथा वहीं (नदियों) मर जाती हैं ।

(i) लवणीय जल की मछलियाँ (Salt Water Fish):

महासागरों के लवणीय जल में हजारों प्रकार की मछलियाँ पाई जाती हैं, परंतु इनमें हेरिंग सबसे प्रसिद्ध है । यह मछली बड़े झुंड में पाई जाती है । इनके एक झुंड का विस्तार 15 किलोमीटर लंबा तथा 6 किलोमीटर चौड़ाई तक होता है जिसमें सात लाख तक मछलियाँ पाई जाती है ।

यह 15 से 30 मीटर की गहराई में तैरती है । इसलिए इनको ड्रिफ्ट के द्वारा पकड़ा जाता है । मछुआरे इनको रात के समय में पकड़ते है, क्योंकि दिन के समय यह अधिक गहराई में तैरती हैं ।

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लवणीय गहरे जल में पाई जाने वाली मैकरल भी एक महत्त्वपूर्ण मछली है, जिसकी लंबाई 60 सेंटीमीटर तक होती है । यह स्वादिष्ट मछलियों में से एक है, परंतु यह जल्द नष्ट होती है । उत्तरी सागर, भूमध्य सागर बाल्टिक सागर तथा पीले सागर में यह बहुतायता के साथ मछलियाँ पाई जाती हैं ।

इनके अतिरिक्त लवणीय जल में सारडीन, बरिलिंग, अन्चोवी, काड, तथा मैनहेडन मछली पाई जाती हैं । इनके अतिरिक्त सफेद मछली, फ्लेट-फिश, बरिल, केटफिश, डॉगफिश, दाब, हेक, हैडक, हेलिबट, सोल तथा टूना भी सागरों के लवणीय जल में पाई जाती है ।

(ii) फ्रैश-वाटर फिश (Fresh-Water Fish):

व्यापार तथा वाणिज्य की दृष्टि से नदियों तथा झीलों में पाई जाने वाली मछलियाँ कम महत्त्वपूर्ण होती हैं । नदियों और झीलों में पाई जाने वाली मछलियों में ट्राऊट, पर्च, पाईक, सालोमन तथा क्रेप पशु मुख्य हैं ।

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(iii) समुद्रापगमी मछली (Anadromous):

सालमन इस वर्ग की सबसे महत्त्वपूर्ण मछली है । यह उत्तरी अमेरिका के अलास्का तट से लेकर कैलिफोर्निया के तट तक बडे झुंडों में पाई जाती है । सेलमन मछली की पाँच मुख्य किस्में है- चिनूक, हम्पबैक, सोकेई, सिल्वर तथा चुम । कम आयु की सेल्मन मछली दो से पाँच वर्ष की आयु तक सागर में रहती है, परंतु अंडे देने के लिए नदियों में आती हैं और अंडे देने के बाद मर जाती है ।

मछली संरक्षण (Fish Conservation):

मछली मानव का एक महत्त्वपूर्ण आहार है । बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण मछली संसाधन का तेजी से ह्रास हो रहा है ।

मछली संसाधन के प्रमुख कारण निम्न हैं:

(i) अत्यधिक मछली पकड़ना,

(ii) अंधाधुंध बड़ी तथा छोटी मछलियों को पकड़ना,

(iii) जल प्रदूषण तथा

(iv) मत्स्य-कृषि के प्रति अज्ञानता ।

मछली संरक्षण के लिये निम्न उपाय, उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं:

i. जीर्णोद्धार करना (Restocking of Overfished Water):

तटीय तथा अंत: स्थलीय जल जहाँ से अत्यधिक माहीगिरी की गई है उन क्षेत्रों में मछलियों को जीर्णोद्धार करना चाहिए । ऐसे क्षेत्रों में छोटी मछलियों को बीज के तौर पर छोडना चाहिए ।

ii. अंधाधुंध मछली पकड़ने पर प्रतिबंध (Forbid Indiscriminate Fishing):

छोटी मछलियों को पकड़ने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए ।

iii. कृत्रिम जननक्षम (Artificial Fertilization of Eggs):

छोटी एवं जलाशयों में कृत्रिम जननक्षम पर बल देना चाहिए ।

iv. जल को प्रदूषण से बचाना (Protection from Pollution):

प्रदूषित जल में मछली जीवित नहीं रह पाती, इसलिए जल को प्रदूषण से बचाना चाहिए ।

v. मछवाही के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय संधि (International Agreement on Fisheries):

मछलियाँ फूँक अंतर्राष्ट्रीय जल में कही भी जा सकती हैं, इसलिए मछवाही के बारे में एक अंतर्राष्ट्रीय संधि की जानी चाहिए ।

vi. मछलियों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोधकार्य (Researches in World Fisheries):

मछलियों के बारे में बहुत तरीके से शोध कार्य करने की आवश्यकता है । इस दिशा में सागरों का तापमान, लवणता, लघु-प्राणियों अथवा प्लैंकटन के संबंध में शुद्ध कड़े एकत्रित करने की आवश्यकता । यदि उपरोक्त उपाय किये जाएँ तो मछली संसाधन को संरक्षण प्राप्त किया जा सकता है ।

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