Read this article in Hindi to learn about the excretory system in insects.
उत्सर्जन तंत्र का कार्य शरीर के अंदर से व्यर्थ पदार्थों जैसे यूरिया, CO2, N2 आदि कार्बनिक व अकार्बनिक व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालना है तथा ये शरीर के अंदर ऊतकों एवं कोशिकाओं को कार्य करने के लिए स्वस्थ वातावरण प्रदान करती है ।
कीटों के शरीर में सामान्यतः उत्सर्जन मैल्पीघियन नलिकाएँ द्वारा मुख्य रूप से होता है मगर कुछ हद तक यह कार्य वसा पिंड, बाह्य त्वचा, व नैफ्रोसाइट्स के द्वारा भी किया जाता है ।
1. मैल्पीघियन नलिकाएँ (Malpighian Tubles):
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इनकी खोज सर्वप्रथम इटली के वैज्ञानिक माल्पीघी द्वारा की गयी थी इसलिए उन्हीं के नाम पर इन्हें मैल्पीघियन नलिकाएँ कहते है । ये बहुत बारीक, लंबी, हल्के पीले रंग की अशाखित नलिकाएँ होती हैं । जो कि गुच्छों के रूप में पायी जाती है । तथा हीमोसील में स्वतंत्र रूप से तैरती रहती हैं ।
ये नलिकाएँ मध्य व पश्च आहार नलिकाओं के जोड़ पर पायी जाती हैं । इन नलिकाओं की संख्या कीटों की जातियों के हिसाब से कम ज्यादा होती है । मैल्पीघियन नलिका पश्च आहार नलिका के अगले सिरे के उभार के रूप में निकलती है तथा इसका उभार व स्तर ग्रन्थियुक्त एपीथिलियम का बना होता है जिनका किनारा ब्रुश की भांति होता है ।
मैल्पीघियन नलिका के दो भाग होते हैं:
i. प्रोक्सीमल या अगला हिस्सा व
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ii. डिस्टल या दूरस्थ भाग ।
2. वसा पिंडक (Fat Bodies):
ये टिड्डे की देह गुहा में सफेद व पीले रंग के गुच्छों के रूप में काफी संख्या में पाये जाते हैं । ये सदैव रक्त या हीमोलिम्फ के सम्पर्क में रहते हैं । इसमें यूरेट के रूप में आए उत्सर्गी पदार्थ जमा हो जाते हैं । कई बार वसा पिंडकों में ये यूरेट, कणों के रूप में भी उपस्थित रहते हैं । मैल्पीघियन नलिकाओं द्वारा जो मल पदार्थ अधिक मात्रा में होने के कारण विसर्जित नहीं हो पाते, वे वसा पिंडक की कोशिकाओं में जमा हो जाते हैं एवं बाद में विसर्जित कर दिए जाते हैं ।
3. बाह्य त्वचा (Epidermis):
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उत्सर्जन का कुछ कार्य बाह्य त्वचा व क्यूटिकल के द्वारा भी होता है । रक्त की अमीबाइड कोशिकाएँ मल पदार्थ को क्यूटिकल के नीचे जमा कर देती है एवं त्वचा के निर्मोचन के समय क्यूटिकल की परत के साथ ही इस मल पदार्थ को विसर्जित कर दिया जाता है ।