Read this article in Hindi to learn about:- 1. लाख कीट का अर्थ (Meaning of Lac Insect) 2. लाख कीट के आर्थिक महत्व (Economic Importance of Lac Insect) 3. जीवन-चक्र (Life Cycle) 4. उत्पादन (Cultivation) 5. शत्रु (Enemies).
Contents:
- लाख कीट का अर्थ (Meaning of Lac Insect)
- लाख कीट के आर्थिक महत्व (Economic Importance of Lac Insect)
- लाख कीट का जीवन-चक्र (Life Cycle of Lac Insect)
- लाख कीट के उत्पादन (Cultivation of Lac Insect)
- लाख कीट के शत्रु (Enemies of Lac Insect)
1. लाख कीट का अर्थ (Meaning of Lac Insect):
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लाख कीट, लेसीफर लेक्का हैमीप्टेरा गण तथा लेसीफेरीडी कुल का कीट है । इस कीट का नामकरण लाक्ष अर्थात् सौ हजार के कारण पड़ा है क्योंकि इन कीटों की संख्या बहुत अधिक होती है । इस कीट के द्वारा रेजिन के समान एक विशेष प्रकार के पदार्थ का स्रावण होता है जिसे लाख कहते हैं ।
इस कीट के शरीर में स्थित विशेष प्रकार की ग्रन्थियों द्वारा अर्द्धद्रव्य के रूप में लाख पदार्थ स्रावित होता है । हवा के सम्पर्क में आने पर यह ठोस हो जाता है और इसका रंग लाल अथवा बादामी हो जाता है यह कीटों को एक प्रकार का सुरक्षात्मक आवरण प्रदान करता है ।
लाख का उत्पादन अधिकांशतः मादा कीटों के द्वारा ही होता है लाख के रासायनिक विशेषण से यह पता चलता है कि इसमें लाख की मात्रा 68 प्रतिशत, रंगीन पदार्थ 10 प्रतिशत, गोंद 5.5 प्रतिशत, मोम 6 प्रतिशत, शर्करा 4 प्रतिशत तथा अन्य पदार्थ 6.5 प्रतिशत पाये जाते हैं ।
लाख कीट के पोषक पौधे (Host Plants of Lac Insect):
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लाख कीट निम्नलिखित पौधों पर पाले / पाये जाते हैं:
1. पलास
2. बेर
3. कुसुम
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4. घोंट
5. जल्लारी
6. अरहर
7. पीपल
8. ग्रीवीया
9. बबूल
10. खैर
11. लिया
2. लाख कीट के आर्थिक महत्व (Economic Importance of Lac Insect):
भारतवर्ष में दुनिया की 80 प्रतिशत लाख का उत्पादन होता है । जिसका अधिकांश भाग निर्यात किया जाता है जिससे प्रतिवर्ष 10-15 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है । इस प्रकार लाख ग्रामीण क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है तथा ये देश के आदिवासी क्षेत्र में लोगों की अजीविका का प्रमुख आधार भी है । लाख का उपयोग ग्रामोफोन के रिकार्ड बनाने में होता है ये विद्युत का कुचालक होने के कारण यह इन्सुलेटर के रूप में विद्युत के सामानों में भी काफी उपयोग में लाया जाता है ।
लाख कीट की पहचान:
वयस्क कीट:
लाख कीट में नर व मादा की पहचान अलग-अलग होती है जो निम्नलिखित हैं:
मादा:
यह आकार में बड़ी होती है । यह गुलाबी या लाल रंग की लगभग 1.5 मि.मी. लम्बी होती है ।
इसका आधारतल चपटा एवं पृष्ठ तल उभरा हुआ होता है इसके अतिरिक्त इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं :
1. इसमें आँख, टांगें व पंखों का आभाव होता है ।
2. अवशेषी श्रृंगिकाएँ होती हैं जो 3-4 खण्डीय होती हैं ।
3. चुभाने व चूसने वाले मुखांग पाये जाते हैं ।
4. मादा प्रायः एक ही स्थान पर चिपकी रहती है एवं पौधों की रस चूसती रहती है ।
5. इसके मध्य वक्ष पर एक प्रवर्धन होता है जिस पर श्वसन छिद्र खुलते हैं ।
नर:
इसका भी रंग गुलाबी लाल होता है तथा ये दो प्रकार के पंखधारी व पंखहीन होते हैं । पंखधारी नर कीटों में केवल अगली जोड़ी झिल्लीदार पारदर्शी पंख होते हैं । ये प्रायः शुष्क ऋतु में ही पाये जाते हैं । इनका जीवन काल 3-4 दिन का होता है ।
नरों में कुछ विशिष्टताएँ होती है जो निम्नलिखित हैं:
i. सिर बड़ा, मुखांग स्पष्ट व अक्रियाशील होते हैं ।
ii. दो जोड़ी उपनेत्र पाये जाते हैं । श्रृंगिकाएँ शरीर से लम्बी होती है तथा इन पर रोम उपस्थित रहते है ।
iii. वक्ष मोटा होता है जिस पर एक जोड़ी पंख व तीन जोड़ी टांगें पायी जाती हैं ।
iv. तीन खण्डीय टारसाई पायी जाती है ।
v. उदर आठ खण्डीय होता है जो कि आगे की ओर से चौड़ा व पीछे की ओर नुकीला होता है ।
3. लाख कीट का जीवन-चक्र (Life Cycle of Lac Insect):
वयस्क मादा कीट लाख कोशिका के अन्दर लगभग 300 अण्डे देती है जो 0.4 मि.मी. लम्बे तथा 0.2 मि.मी. चौड़े होते हैं एवं इनका रंग गुलाबी होता है । इन अंडों से 7 से 10 दिनों में निम्फ निकल आते हैं इनका रंग लाल तथा शरीर गोलाकार होता है इसका पश्च भाग नुकीला होता है ।
लाख कोशिका से निम्फ बाहर निकलकर ये पोषक पौधों की टहनियों में रेंगकर एक स्थान पर चिपक जाते हैं । मुखांग, जनन छिद्र तथा गुदा स्थल को छोड्कर उनके सम्पूर्ण शरीर में लाख ग्रन्थियाँ पायी जाती हैं जिससे निरन्तर लाख का स्राव होता रहता है और ये अपने ही शरीर से निकले हुए लाख के खोल में बन्द हो जाते है । निम्फ तीन बार निर्मोचन करने के पश्चात् वयस्क बन जाते हैं ।
वयस्क होने पर कीट अपनी लाख कोशिश को छोड्कर बाहर निकल आते हैं तथा मादा से संभोंग करते हैं और फिर उनकी मृत्यु हो जाती है । मैथुन के उपरान्त मादा का आकार बहुत ही बड़ा हो जाता है एवं इसकी लाख उत्पादन क्षमता में भी बढ़ोतरी हो जाती है । मादा कीट अपनी लाख कोशिका के अन्दर ही रहती है ।
4. लाख कीट के उत्पादन (Cultivation of Lac Insect):
भारतवर्ष में लाख उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत भाग रंगीनी फसल से उत्पन्न होता है तथा शेष 10 प्रतिशत भाग कुसुमी फसल से पैदा होता है ।
लाख उत्पादन की निम्नलिखित दो विधियाँ प्रचलित हैं:
(i) प्रचलित विधि, एवं
(ii) आधुनिक विधि ।
(i) प्रचलित विधि:
यह विधि बहुत ही प्राचीन व अविकसित है । इसमें लाख के पौधों को काट कर लाख का संकलन किया जाता है एवं लाख कीट का कोई भी ध्यान नहीं रखा जाता है एवं लाख निकाली जाती है इससे लाख कीट भारी संख्या में नष्ट हो जाते हैं एवं भविष्य की फसल को भारी नुकसान होता है । यह विधि प्रायः आदिवासियों द्वारा अपनाई जाती है ।
(ii) आधुनिक विधि:
यह लाख उत्पादन की वैज्ञानिक विधि है । इस विधि में पौधों को 3 भागों में विभाजित किया जाता है तथा उनसे लाख एक साथ न निकाल कर बारी-बारी निकालते हैं । इससे वृक्षों को विश्राम मिलता है एवं वे सूखते नहीं हैं तथा फसल भी अच्छी प्राप्त होती है ।
इसमें लाख उत्पादन हेतु निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाता है:
i. स्थान का चयन
ii. पोषक पौधों की छटाई
iii. पोषक पौधों पर लाख कीटो को पहुँचाना
iv. लाख को अलग करना
v. लाख को धो कर साफ करना
vi. चपड़ा बनाना
5. लाख कीट के शत्रु (Enemies of Lac Insect):
a. परजीवी कीट:
परजीवी कीटों में निम्नलिखित कीट सम्मिलित हैं:
1. कोकोफेगस किरची
2. एरनासिर्ट्स डिविटजी
3. प्यूपालमस टेकार्डी
4. मेरिएटा जावेन्सिस
5. टेकार्डीफेगस टेकार्डो
6. टेकार्डीफेगस सोमरविलाई
7. टेट्रास्टिकस स्पि ।
ये परजीवी कीट अपने अण्डे या लारवा, लाख कीटों के शरीर के अन्दर अथवा लाख कोशिका के बाहर रखते हैं । अंडों से जो लार्वा निकलता है वे लाख कीट के शरीर से पोषण प्राप्त करते हैं एवं वयस्क होने पर लाख कोशिका से बाहर निकल जाते हैं । इनसे लाख उत्पादन को 5 से 10 प्रतिशत तक की क्षति होती है ।
b. परभक्षी कीट:
इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कीट शामिल है:
1. यूब्लेना एनाविलि
2. होलकोसिरा पल्वेरिया
3. क्राइसोपा कार्निया
परभक्षी कीटों द्वारा भी लगभग 40 प्रतिशत तक नुकसान होता है । इन कीटों के अतिरिक्त लाख को चूहों, गिलहरियों व बन्दरों आदि से भी काफी क्षति होती है ।